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3 min read | अपडेटेड February 04, 2025, 14:03 IST
सारांश
US-China Trade War: ट्रंप ने चीन के साथ-साथ पड़ोसी देशों, मेक्सिको और कनाडा पर भी टैरिफ लगाए थे। चीन से सभी आयात पर 10%, और मेक्सिको और कनाडा से आयात पर 25% टैरिफ लगाने के लिए आर्थिक आपातकाल की घोषणा की थी।
चीन ने संयुक्त राष्ट्र में कहा था कि अमेरिका को ऐसी कार्रवाई से फायदा नहीं होगा। (तस्वीर: शटरस्टॉक)
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने चीन से आयात होने वाली चीजों पर शनिवार को टैरिफ लगा डाला था। इसके बाद चीन ने भी जवाब देते हुए कोयले, लिक्विफाइड नैचरल गैस जैसी चीजों के आयात पर टैरिफ जड़ दिया है। ट्रंप के ऐलान के बाद से ग्लोबल इकॉनमी में ट्रेड-वॉर छिड़ने की चिंता फैल गई थीं जो चीनी ऐक्शन के बाद तेज होती दिख रही हैं।
ट्रंप ने ‘X’ (पहले ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा था कि ये टैरिफ ‘अमेरिकियों की सुरक्षा के लिए’ जरूरी हैं। ट्रंप ने चीन के साथ-साथ पड़ोसी देशों, मेक्सिको और कनाडा पर भी टैरिफ लगाए थे। चीन से सभी आयात पर 10%, और मेक्सिको और कनाडा से आयात पर 25% टैरिफ लगाने के लिए आर्थिक आपातकाल की घोषणा की थी।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने जहां ट्रंप के फैसले की निंदा की थी और अमेरिकी आयात पर 25% ड्यूटी का ऐलान कर दिया था, वहीं चीन ने तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र में चीन के स्थायी प्रतिनिधि फू कांग ने कहा था कि व्यापारिक युद्ध से किसी का भला नहीं होता।
हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा था कि अमेरिकी टैरिफ के जवाब में चीन भी जवाबी कदम उठाने को मजबूर हो सकता है। उन्होंने अमेरिकी ऐक्शन को विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation, WTO) के नियमों का उल्लंघन बताया था। फू ने कहा था कि शुल्क बढ़ाने से अमेरिका को फायदा नहीं होगा और उसे अपनी समस्याओं पर गौर करना चाहिए और ऐसा समाधान ढूंढना चाहिए जो उसके लिए और पूरे विश्व के लिए लाभदायक हो।
वहीं, चीन ने मंगलवार को कोयला और तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) उत्पादों पर 15% जबकि कच्चे तेल, कृषि मशीनरी, बड़ी कारों पर 10% टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया। उसका कहना है कि अमेरिका की एकतरफा शुल्क वृद्धि विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों का गंभीर उल्लंघन है। यह अपनी समस्याओं को हल करने में कोई मदद नहीं करेगा, बल्कि यह चीन और अमेरिका के बीच सामान्य आर्थिक और व्यापार सहयोग को नुकसान पहुंचाएगा।
यही नहीं, चीन ने अमेरिकी सर्च इंजन ‘गूगल’ की जांच का ऐलान भी कर डाला है। चीन का ‘स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन फॉर मार्केट रेगुलेशन’ गूगल के खिलाफ विश्वास विरोधी (Antitrust) कानूनों के उल्लंघन के शक में यह जांच कर रहा है।
यूं तो, इसमें किसी शुल्क का अलग से जिक्र नहीं किया गया है लेकिन यह घोषणा ट्रंप के 10% शुल्क लागू होने के कुछ ही मिनट बाद की गई। इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि चीन ट्रंप के टैरिफ का जवाब देने के लिए ऐसा कर रहा है।
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