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2 min read | अपडेटेड December 16, 2024, 08:23 IST
सारांश
Aurobindo Pharma, Glenmark, Zydus को अमेरिकी बाजार से अपनी दवाइयां वापस मंगानी पड़ी हैं। अमेरिकी FDA ने एक रिपोर्ट में बताया है कि तीनों कंपनियों के प्रॉडक्ट्स को मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ीं खामियों के चलते वापस बुलाया गया है।
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भारत है दुनिया में जेनेरिक दवाइयों का सबसे बड़ा सप्लायर
फार्मासूटिकल कंपनी Aurobindo Pharma, Glenmark और Zydus Pharmaceuticals ने मैन्यूफैक्चरिंग से जुड़ीं खामियों के चलते अमेरिकी बाजार से अपने प्रॉडक्ट्स को वापस मंगाया है। इस फैसले के बाद कंपनी के शेयर्स पर सोमवार को बाजार की निगाहें रहने वाली हैं।
Aurobindo Pharma की दवाई सिनाकैल्सेट में N-nitroso Cinacalcet की मात्रा के मानक से ज्यादा होने के कारण इसे वापस मंगाया गया है। इस बारे में अमेरिकी FDA (फूड ऐंड ड्रग्स अथॉरिटी) ने जानकारी दी है। सिनाकैल्सेट टैबलेट का इस्तेमाल Hyperthyroidism के इलाज के लिए किया जाता है।
FDA की रिपोर्ट के मुताबिक हैदराबाद की दवा बनाने वाली कंपनी की सब्सिडियरी Aurobindo Pharma USA Inc की सिनाकैल्सेट (Cinacalcet) गोलियों की एक लाख से ज्यादा बोतलें वापस मंगाई जा रही हैं।
Aurobindo Pharma ने बताया था कि सितंबर में खत्म हुई तिमाही में उसका नेट प्रॉफिट 9% बढ़कर ₹817 करोड़ पर पहुंच गया था। पिछले साल इसी तिमाही में यह ₹752 करोड़ था। वहीं, कंपनी की आमदनी 8% बढ़कर ₹7796 करोड़ पर पहुंच गई थी जो पिछले साल ₹7219 करोड़ थी।
Aurobindo Pharma के अलावा Glenmark Pharmaceuticals की एक अमेरिकी सब्सिडियरी Diltiazem Hydrochloride extended-release कैप्सूल की लगभग 90,000 बोतलें वापस मंगा रही है। इसमें N-nitroso-Desmethyl-Diltiazem मानक से ज्यादा पाया गया है। Diltiazem Hydrochloride extended-release कैप्सूल का इस्तेमाल हाई ब्लड-प्रेशर के इलाज के लिए होता है।
वहीं, Zydus Pharmaceuticals (USA) Inc गलत लेबलिंग की वजह से Esomeprazole Magnesium for Delayed-Release Oral Suspension (40 mg) के 4,404 डिब्बे वापस बुला रहा है। इसका इस्तेमाल पेट और खाने की नली की कुछ परेशानियों के इलाज में होता है।
भारत दुनिया में जेनेरिक दवाइयों का सबसे बड़ा सप्लायर है। ग्लोबल सप्लाई का करीब 20% हिस्सा भारत करता है। देश में 60 कैटिगिरीज की दवाइयों के लिए 60 हजार जेनेरिक ब्रांड का उत्पादन होता है। ये प्रॉडक्ट्स जापान, ऑस्ट्रेलिया, पश्चिमी यूरोप, अमेरिका समेत 200 देशों में पहुंचाए जाते हैं। कम कीमत होने के कारण अफ्रीका के देशों में भारत की दवाइयों का खासा इस्तेमाल होता है।
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