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3 min read | अपडेटेड January 15, 2025, 16:31 IST
सारांश
GST साल 2017 में लागू किया गया था। इसके तहत 4 टैक्स दरें हैं- 5%, 12%, 18% और 28%। जरूरी वस्तुएं और सामान पर कम टैक्स रेट लगता है जबकि लग्जरी और नुकसान वाले सामान पर 28% तक टैक्स लगता है।
डॉ. पनगढ़िया का कहना है कि कैश ट्रांसफर की योजनाएं लंबे वक्त तक सरकारी खजाने पर बोझ डालने वाली नहीं होनी चाहिए
प्रख्यात अर्थशास्त्री और 16वीं फाइनेंस कमीशन के चेयरमैन डॉ.अरविंद पनगढ़िया ने वस्तु एवं सेवा कर (Goods & Services Tax, GST) के फ्रेमवर्क को सुधारने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं। डॉ. अरविंद के मुताबिक टैक्स दरों को आसान बनाने और आमदनी की असमानता से निपटने के लिए अप्रत्यक्ष कर की भूमिका पर दोबारा विचार करने की जरूरत है। उन्होंने यह बातें बिजनेस टुडे से चर्चा के दौरान कहीं।
डॉ.पनगढ़िया का कहना है कि टैक्स पॉलिसी को समानता स्थापित करने के तरीके के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। आमदनी बढ़ने के साथ टैक्स बढ़ना भी सही है लेकिन अप्रत्यक्ष कर अलग होता है। उनका मानना है कि टैक्स दरों को आसान करने की जरूरत है।
डॉ. पनगढ़िया का कहना है कि ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि एक ही टैक्स रेट के साथ जीएसटी ज्यादा असरदार होगा। हालांकि, उनके मुताबिक यह एक राजनीतिक चुनौती है लेकिन कम से कम दो गैर-जीरो टैक्स रेट्स की जरूरत है।
कैश ट्रांसफर और मुफ्त में सुविधाएं देने के बारे में डॉ. पनगढ़िया ने कहा कि इनका लंबे समय तक असर विचार करने वाला है, खासकर राज्यों के स्तर पर कैपिटल खर्चों को लेकर। उनका कहना है कि सीमित कैश ट्रांसफर फायदेमंद हो सकते हैं लेकिन राज्य के खजाने पर दबाव डालने वाले खर्चों से सावधान रहना चाहिए।
GST साल 2017 में लागू किया गया था। इसके तहत 4 टैक्स दरें हैं- 5%, 12%, 18% और 28%। जरूरी वस्तुएं और सामान पर कम टैक्स रेट लगता है जबकि लग्जरी और नुकसान वाले सामान पर 28% तक टैक्स लगता है। कई चीजों को जीएसटी फ्रेमवर्क से बाहर भी रखा गया है ताकि आम जनता को कम दाम पर उपलब्ध कराया जा सके। इनमें अनाज, ताजे फल और सब्जियां, मछली और मांस जैसी चीजें शामिल हैं। कई कृषि, परिवहन, मेडिकल, शिक्षा और न्यायिक सेवाओं को भी जीएसटी से बाहर रखा गया है।
बजट 2025 आने के पहले डॉ. पनगढ़िया की राय से उलट पांचवीं स्लैब बनाने की चर्चा चल रही थी। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की अध्यक्षता में मंत्री समूह ने नुकसान करने वाले उत्पादों पर 35% टैक्स लगाने का प्रस्ताव दिया था। इनमें सिरगेट, तंबाकू उत्पाद शामिल हैं।
इसके साथ ही कपड़ों पर भी जीएसटी दर को बदलने की मांग की गई है। हालांकि, इसे लेकर विरोध भी किया जा रहा है। वहीं, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया था कि नुकसान करने वाले उत्पादों पर ज्यादा टैक्स लगाने को लेकर कोई फैसला नहीं किया गया है।
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