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3 min read | अपडेटेड February 21, 2025, 13:18 IST
सारांश
Average Salary Increments: सर्वे के मुताबिक बाहरी कारणों से देश में सैलरी में औसतन बढ़त कम जरूर हुई है लेकिन पिछले साल के 9.3% की तुलना में स्थिर ही है।
45 सेक्टर्स की 1400 कंपनियों के सर्वे से निकला डेटा।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जारी तनाव के भारतीय बाजार पर असर और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (AI) के पैर पसारने से फैले डर के बावजूद देश में इस साल सैलरी पर औसतन 9.2% इंक्रीमेंट मिल सकता है। यह कहना है प्रफेशनल सर्विसेज देने वाली कंपनी Aon का।
कंपनी के सालाना सैलरी इंक्रीज ऐंड टर्नओवर सर्वे 2024-25 में उम्मीद जताई गई है कि पिछले साल के औसत 9.3% के मुकाबले इस साल वेतन पर बढ़ोतरी स्थिर ही रहेगी। Aon के इस सर्वे में 45 सेक्टर्स से 1,400 कंपनियों को शामिल किया गया था।
इसमें देखा जा सकता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देशों के बीच जारी तनाव, अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों या AI के बढ़ते इस्तेमाल के चलते कंपनियां ज्यादा बढ़ोतरी तो नहीं देंगी लेकिन पहले के मुकाबले स्थिरता जरूर दिख सकती है।
सर्वे के मुताबिक साल 2022 के बाद से सैलरी इंक्रीमेंट में लगातार गिरावट आ रही है। साल 2022 में 20.6% औसत इंक्रीमेंट दिया गया था। इसमें यह भी बताया गया है कि साल 2023 कंपनियों से कर्मचारियों के निकले की दर 18.7% थी जो 2024 में 17.7% पर आ गई थी। इससे संकेत मिलता है 2022 के दौरान चले इस्तीफों के दौर के बाद ज्यादा लोग नौकरियों के लिए उपलब्ध रहे।
सबसे ज्यादा इजाफा इंजिनियरिंग डिजाइन सर्विसेज और ऑटो/वीइकल मैन्युफैक्चरिंग में होने की उम्मीद है। इसके अलावा नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFCs), रीटेल और लाइफ साइंसेज जैसे क्षेत्रों में ज्यादा बढ़ोतरी हो सकती है। वहीं, बैंकिंग और टेक्नॉलजी कंसल्टिंग सर्विसेज में बहुत ज्यादा इंक्रीमेंट की उम्मीद नहीं है।
पिछले साल अक्टूबर में जार किए गए Aon के ही सर्वे में संभावना जताई गई थी कि 2025 में देश के अलग-अलग सेक्टर्स में औसत सैलरी में बढ़ोतरी 9.5% तक जा सकती है। इसके मुताबिक इंजिनियरिंग, मैन्युफैक्चरिंग और रीटेल इंडस्ट्रीज में सबसे ज्यादा इजाफा देखा जा सकता है।
Aon में पार्टनर रूपांक चौधरी का कहना है कि बाहरी अनिश्चतताओं के बावजूद भारत में आर्थिक स्तर पर स्थिति स्थिर रहने की उम्मीद है। ग्रामीण इलाकों में मांग बढ़ने और निजी उपभोग के सहारे आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार बनी रहेगी।
उनका कहना है कि सैलरी में बढ़ोतरी के गिरते ट्रेंड के पीछे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौजूद हालात जिम्मेदार हो सकते हैं। अमेरिकी व्यापार नीति, मध्यपूर्व में तनाव और AI का यह असर हो सकता है।
वहीं, असोसिएट पार्टनर अमित कुमार ओटवानी का कहना है कि मार्केट के ट्रेंड्स, डेटा और अडवांस्ड टेक्नॉलजी का ऐनलिसिस आगे की तैयारी के लिए जरूरी है।
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