पर्सनल फाइनेंस
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4 min read | अपडेटेड December 30, 2025, 13:19 IST
सारांश
भारत के लगभग 15 राज्यों में महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए नकद सहायता योजनाएं चलाई जा रही हैं। झारखंड में 2500 रुपये तो कर्नाटक और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में 1500 से 2000 रुपये तक की मासिक मदद दी जा रही है।

जानें किस राज्य में महिलाओं को कितनी मदद मिल रही है?
भारत में महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें लगातार नई पहल कर रही हैं। वर्तमान में बिहार में मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना की समय सीमा नजदीक आ रही है, जिसने एक बार फिर से महिलाओं के लिए नकद सहायता वाली योजनाओं की चर्चा छेड़ दी है। आज के समय में देश के लगभग 15 राज्यों में ऐसी योजनाएं चल रही हैं, जहां महिलाओं के बैंक खातों में सीधे पैसे भेजे जाते हैं। इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को छोटी-मोटी जरूरतों के लिए दूसरों पर निर्भर न रहने देना और उनके जीवन स्तर को सुधारना है।
अगर हम राज्यों द्वारा दी जाने वाली मासिक सहायता की तुलना करें, तो झारखंड इस सूची में सबसे ऊपर आता है। झारखंड सरकार अपनी मुख्यमंत्री मैया सम्मान योजना के तहत 18 से 50 साल की महिलाओं को हर महीने 2500 रुपये की आर्थिक सहायता दे रही है। यह राशि उन महिलाओं को दी जाती है जो आयकर नहीं भरती हैं और सरकारी नौकरी में नहीं हैं। इसी तरह दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक में भी महिलाओं के लिए एक बड़ी योजना चल रही है। वहां की गृह लक्ष्मी योजना के तहत परिवार की महिला मुखिया को हर महीने 2000 रुपये दिए जाते हैं। इस योजना की शर्त यह है कि महिला या उसका पति आयकर या जीएसटी का भुगतान करने वाले नहीं होने चाहिए। अगर परिवार टैक्स के दायरे में आता है, तो उन्हें इस लाभ से बाहर रखा जाता है।
मध्य भारत के राज्यों में भी महिलाओं के लिए खास प्रावधान किए गए हैं। महाराष्ट्र सरकार की मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना के तहत 21 से 65 वर्ष की महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये दिए जाते हैं। इस योजना का लाभ लेने के लिए परिवार की कुल वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये से कम होना जरूरी है। वहीं मध्य प्रदेश की लाड़ली बहना योजना पूरे देश में काफी चर्चित रही है। यहां दिसंबर 2025 से मासिक सहायता राशि को बढ़ाकर 1500 रुपये कर दिया गया है। मध्य प्रदेश सरकार ने यह संकेत भी दिए हैं कि भविष्य में इस राशि को बढ़ाकर 5000 रुपये प्रति माह तक किया जा सकता है। इन योजनाओं ने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों की महिलाओं के बीच सरकार की लोकप्रियता को काफी बढ़ाया है।
दक्षिण और पूर्वी भारत के कई अन्य राज्य भी अपनी क्षमता के अनुसार महिलाओं की मदद कर रहे हैं। तमिलनाडु में कलैग्नार मगलिर उरीमाई थोगाई योजना के जरिए महिला मुखियाओं को हर महीने 1000 रुपये मिलते हैं। पश्चिम बंगाल की लक्ष्मी भंडार योजना के तहत सामान्य वर्ग की महिलाओं को 1000 रुपये और अनुसूचित जाति व जनजाति की महिलाओं को 1200 रुपये मासिक दिए जाते हैं।
असम में ओरुनोडोई योजना के जरिए कम आय वाले परिवारों की महिलाओं को 1250 रुपये की मदद मिलती है। छत्तीसगढ़ में महतारी वंदन योजना के तहत शादीशुदा महिलाओं को 1000 रुपये प्रति माह दिए जाते हैं। उड़ीसा की सुभद्रा योजना में महिलाओं को 5 साल में कुल 50,000 रुपये देने का प्रावधान है, जो महीने के हिसाब से लगभग 833 रुपये बैठता है।
राजधानी दिल्ली और पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में भी महिलाओं के लिए नकद सहायता की घोषणाएं की गई हैं। दिल्ली सरकार ने मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना के तहत 1000 रुपये देने की बात कही थी, जिसे कुछ विशेष कैटेगरी के लिए बढ़ाकर 2500 रुपये तक करने की योजना है। वहीं हिमाचल प्रदेश में इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि योजना के तहत अविवाहित महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये की आर्थिक मदद दी जा रही है।
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