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  1. Women Investors: SIP, लॉन्ग-टर्म, स्मॉल कैप... ये 6 ट्रेंड्स फॉलो कर रही हैं महिला निवेशक

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Women Investors: SIP, लॉन्ग-टर्म, स्मॉल कैप... ये 6 ट्रेंड्स फॉलो कर रही हैं महिला निवेशक

Upstox

4 min read | अपडेटेड March 07, 2025, 14:15 IST

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सारांश

AMFI-Crisil Factbook में मार्च 2019 से मार्च 2024 के बीच निवेशकों के डेटा से पता चलता है कि इस दौरान महिला निवेशकों की संख्या से लेकर फोलियो साइज तक में बड़ा इजाफा देखा गया है। महिलाएं ज्यादा निवेश कर रही हैं जिससे उनकी वित्तीय फैसले लेने की क्षमता के बेहतर होने से संकेत मिलते हैं। महिला निवेशक ज्यादा जोखिम वाले निवेश से भी पीछे नहीं हट रही हैं।

AMFI-Crisil फैक्टबुक से पता चलता है कि पिछले 5 साल में महिलाएं वित्तीय फैसले लेने के लिए ज्यादा सशक्त हुई हैं। (तस्वीर: Shutterstock)

AMFI-Crisil फैक्टबुक से पता चलता है कि पिछले 5 साल में महिलाएं वित्तीय फैसले लेने के लिए ज्यादा सशक्त हुई हैं। (तस्वीर: Shutterstock)

साल 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने के लक्ष्य में एक बड़ी भूमिका देश की आधी आबादी की है। इसलिए ‘महिलाओं के विकास’ से आगे बढ़कर अब ‘महिलाओं द्वारा विकास’ के सिद्धांत को अपनाया जा रहा है। महिलाओं की स्थिति में हो रही बेहतरी का इशारा उनकी वित्तीय क्षमता में होते इजाफे से मिलता है।

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आज देश की ज्यादा से ज्यादा महिलाएं अपने घरों के पैसे से जुड़े फैसलों में शामिल हैं और संपत्ति को बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। इस बात को बल मिलता है कुछ वक्त पहले सामने आए असोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) और क्रिसिल के डेटा से।

AMFI-Crisil फैक्टबुक में क्रिसिल इंटेलिजेंस के सीनियर डायरेक्टर जीजू विद्याधरन के मुताबिक देश में हर चार व्यक्तिगत निवेशकों में से एक निवेशक महिला है। इससे पता चलता है कि न सिर्फ वे अपने वित्तीय मामलों को मैनेज कर रही हैं बल्कि पहले से ज्यादा आजाद और सशक्त भी हो रही हैं।

यहां एक नजर डालते हैं देश में महिला निवेशकों से जुड़े ट्रेंड्स पर-

1. ज्यादा अमाउंट कर रही हैं निवेश

म्यूचुअल फंड्स के मामले महिलाओं (unique investors) का पार्टिसिपेशन रेट 25.1% रहा। यही नहीं, कुल ऐसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) का 33% हिस्सा महिलाओं के पास है। पिछले पांच साल में ये दोगुना होकर ₹4.59 लाख करोड़ से ₹11.25 लाख करोड़ पर पहुंच गया है। AUM के यूनीक इन्वेस्टर शेयर से ज्यादा होने से संकेत मिलते हैं कि महिला निवेशक पुरुषों की तुलना में ज्यादा बड़ी राशि निवेश करती हैं।

2. फोलियो का साइज भी ज्यादा तेजी से बढ़ा

दिलचस्प बात यह है कि औसत फोलियो साइज की ग्रोथ के मामले में महिला निवेशक पुरुषों से कहीं आगे निकल चुकी हैं। मार्च 2019 से मार्च 2025 के बीच महिलाओं के फोलियो साइज में 24% बढ़त हुई है जबकि पुरुषों के फोलियो साइज में 6% इजाफा दर्ज किया गया है। ऐसे में महिला निवेशकों को इंडस्ट्री की ग्रोथ के लिए भी अहम माना जा रहा है।

फैक्टबुक के मुताबिक इस दौरान ग्रोस फ्लो ₹7.30 लाख करोड़ से ₹10.13 करोड़ पर पहुंच गया जिसमें महिलाओं की भागीदारी बड़ी रही है। उनका हिस्सा 56.5% बढ़त के साथ ₹2 लाख करोड़ से ₹3.13 लाख करोड़ पर पहुंच गया जबकि पुरुषों के मामले में यह बढ़त 41.7% रही।

3. लॉन्ग-टर्म निवेश का कमिटमेंट

महिला निवेशकों के AUM पर नजर डालें तो पाएंगे कि 5 साल के होल्डिंग पीरियड का हिस्सा 2019 में 8.8% से बढ़कर 2024 में 21.3% पर पहुंच गया है। यानी महिलाएं लॉन्ग-टर्म कमिटमेंट को प्राथमिकता दे रही हैं। इससे उलट एक साल से कम की होल्डिंग 2019 में 40.5% से गिरकर 2024 में 25.4% पर आ गई है।

4. SIP पर भरोसा

सबसे ज्यादा तेजी SIP अकाउंट्स में देखी गई है। कुल SIP AUM में से 30.5% हिस्सा महिलाओं का है जिसमें मार्च 2019 से मार्च 2024 के बीच 319% इजाफा दर्ज किया गया है।

5. बैलेंस, डायवर्सिफाइड निवेश

ओवरऑल ट्रेंड्स की तरह ही ज्यादा उम्र की महिला निवेशक ज्यादा बैलेंस और डायवर्सिफाइड निवेश में भरोसा जताती हैं। हाइब्रिड निवेश का हिस्सा 25 साल से कम उम्र की महिलाओं के बीच 13.7% से बढ़कर 58 साल की महिलाओं में 26.6% पर पहुंच गया।

6. जोखिम से डर नहीं, स्मॉल कैप पर दांव

AMFI अक्टूबर से लेकर जनवरी तक के डेटा से पता चलता है कि निवेशक कम जोखिम वाले लार्ज कैप फंड्स की जगह ज्यादा रिटर्न वाले स्मॉल फंड की ओर रुख कर रहे हैं। ऐसा ही ट्रेंड महिला निवेशकों के बीच भी जारी है जहां लार्ज कैप फंड का हिस्सा कम हुआ है और स्मॉल कैप फंड में निवेश बढ़ा है।

क्या है इस बढ़त की वजह?

फैक्टबुक के मुताबिक महिलाओं की लेबर फोर्स में बढ़ती हुई प्रतिभागिता और साक्षरता दर के बल पर ये सकारात्मक नतीजे सामने आ रहे हैं।

  1. जून 2024 के पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) के मुताबिक महिलाओं का लेबर फोर्स में हिस्सा 2017-18 में 23.3% से बढ़कर 41.7% पर पहुंच गया। खासकर, ग्रामीण महिलाओं की संख्या लेबर फोर्स में दोगुनी होकर 24.6% से 47.6% पर जा पहुंची।
  2. साक्षरता दर में बढ़त के मामले में भी महिलाएं पुरुषों से आगे रही हैं। सेंसस और PLFS के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में साक्षरता दर 2001 से 2011 के बीच में 11% और 2011-2024 के बीच 12% से बढ़ी। वहीं, पुरुषों के मामले में ये 2001-11 के दौरान 6% और 2011-2024 के बीच 8% बढ़ी।
  3. एक बड़ा सामाजिक फैक्टर भी महिला निवेशकों के बढ़ते ट्रेंड के पीछे समझा जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक जिन 13 राज्यों में AUM में महिलाओं का हिस्सा राष्ट्रीय औसत से ज्यादा पाया गया है, उनमें 5 उत्तरपूर्वीय राज्य हैं।
  4. यह खास इसलिए है क्योंकि इन राज्यों में मातृसत्तात्मक सामाजिक नियमों का प्रचलन है। इसके असर से भी वित्तीय फैसलों में उनकी भागीदारी को सकारात्मक आयाम मिलता है।

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