मार्केट न्यूज़
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4 min read | अपडेटेड October 27, 2025, 07:12 IST
सारांश
इस हफ्ते शेयर बाजार में काफी हलचल रहेगी। कई बड़ी कंपनियों (जैसे ITC, L&T, मारुति) के तिमाही नतीजे आ रहे हैं। साथ ही अमेरिका का फेडरल रिजर्व ब्याज दरों पर क्या फैसला लेता है, इस पर सबकी नजरें टिकी रहेंगी। ये फैक्टर मिलकर बाजार की दिशा तय करेंगे।

ऐसे तय होगी बाजार की चाल
बीता हफ्ता भारतीय शेयर बाजारों के लिए मिलाजुला रहा, जहां सेंसेक्स और निफ्टी मामूली बढ़त के साथ बंद होने में कामयाब रहे। लेकिन यह कारोबारी हफ्ता निवेशकों के लिए काफी एक्शन भरा और व्यस्त रहने वाला है। विश्लेषकों का मानना है कि इस हफ्ते बाजार की दिशा कोई एक चीज नहीं, बल्कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई बड़े फैक्टर मिलकर तय करेंगे। निवेशकों को इस हफ्ते सावधानी से कदम उठाने की जरूरत है, क्योंकि बाजार में बड़े उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं।
बाजार की नजर सबसे पहले कंपनियों के मौजूदा वित्त वर्ष (2025-26) की दूसरी तिमाही, यानी जुलाई-सितंबर 2025 के नतीजों पर रहेगी। यह सीजन अब रफ्तार पकड़ रहा है। हफ्ते की शुरुआत में ही निवेशक कोटक महिंद्रा बैंक के नतीजों पर अपनी प्रतिक्रिया देंगे, जो शनिवार को आए थे। इसके बाद, कई बड़ी और दिग्गज कंपनियां अपने वित्तीय आंकड़े पेश करने वाली हैं।
इनमें लार्सन एंड टुब्रो (L&T), हिंदुस्तान पेट्रोलियम (HPCL), इंडियन ऑयल (IOC), टीवीएस मोटर कंपनी, सिप्ला, और डाबर इंडिया जैसी कंपनियां शामिल हैं। साथ ही, कंज्यूमर सेक्टर की बड़ी कंपनी आईटीसी (ITC), सीमेंट सेक्टर से एसीसी (ACC) और ऑटो सेक्टर की दिग्गज मारुति (Maruti) के नतीजों पर भी बाजार की खास नजर रहेगी। ये नतीजे न सिर्फ इन कंपनियों के प्रदर्शन का आईना होंगे, बल्कि यह भी संकेत देंगे कि त्योहारी सीजन से पहले अर्थव्यवस्था में मांग की स्थिति कैसी है।
घरेलू नतीजों के अलावा, इस हफ्ते सबसे बड़ा वैश्विक इवेंट 29 अक्टूबर को आने वाला अमेरिकी फेडरल रिजर्व का ब्याज दरों पर फैसला है। रेलिगेयर ब्रोकिंग लि. के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अजित मिश्रा ने कहा कि यह फैसला वैश्विक बाजार में लिक्विडिटी (कैश फ्लो) और निवेशकों के जोखिम लेने की क्षमता (रिस्क सेंटिमेंट) को सीधे तौर पर प्रभावित करेगा। अगर फेड महंगाई को काबू में करने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी का संकेत देता है, तो यह भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए निगेटिव हो सकता है।
इसके अतिरिक्त, बाजार भागीदार अमेरिका और चीन के राष्ट्रपतियों के बीच होने वाली निर्धारित बैठक से जुड़े घटनाक्रमों पर भी नजर रखेंगे। उम्मीद है कि इस बैठक से दोनों देशों के बीच जारी व्यापार तनाव (ट्रेड टेंशन) कुछ कम हो सकता है, जिसका सकारात्मक असर दुनिया भर के बाजारों पर पड़ेगा। मोतीलाल ओसवाल के सिद्धार्थ खेमका के मुताबिक, सिर्फ फेड ही नहीं, बल्कि यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ECB) और बैंक ऑफ जापान (BoJ) भी अपनी ब्याज दर नीतियां जारी करेंगे, जो वैश्विक रुझान के लिए महत्वपूर्ण होंगी।
मैक्रो डेटा का भी बाजार पर बड़ा असर दिखेगा। 28 अक्टूबर को भारत के औद्योगिक उत्पादन (IIP) के सितंबर महीने के आंकड़े आएंगे। इससे देश में औद्योगिक गतिविधि का पता चलेगा। इसके साथ ही, निवेशक अमेरिका के जीडीपी आंकड़ों और चीन के मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई डेटा पर भी कड़ी नजर रखेंगे, क्योंकि ये आंकड़े वैश्विक अर्थव्यवस्था की सेहत का संकेत देते हैं।
एक और अहम मुद्दा जिस पर निवेशकों का खास ध्यान रहेगा, वह है भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ता। एनरिच मनी के सीईओ पोनमुडी आर के अनुसार, इस बातचीत में होने वाली प्रगति बाजार के सेंटिमेंट के लिए काफी अहम है। शुक्रवार को एक अधिकारी ने कहा था कि दोनों देश एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के 'बहुत करीब' हैं। हालांकि, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल पहले ही साफ कर चुके हैं कि भारत कोई भी समझौता जल्दबाजी में या किसी 'सिर पर बंदूक' रखकर (दबाव में) नहीं करेगा।
इन बड़े इवेंट्स के साथ-साथ, बाजार की नजर हमेशा की तरह विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) के रुख पर भी बनी रहेगी। FIIs की खरीद-बिक्री बाजार की चाल को काफी प्रभावित करती है। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव भी अहम होगा।
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