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4 min read | अपडेटेड December 11, 2025, 17:25 IST
सारांश
अब पेंशन फंड गोल्ड और सिल्वर के ETFs में निवेश कर सकते हैं। साथ ही IPO, FPO, OFS, equity mutual funds, equity ETFs, Nifty 250 की कंपनियों के शेयर और SEBI द्वारा रेगुलेट किए गए कई अन्य इक्विटी-ओरिएंटेड साधनों में निवेश का रास्ता भी खुल गया है। यह पूरी सूची PFRDA ने 10 दिसंबर 2025 को जारी दो मास्टर सर्कुलर के जरिए स्पष्ट की है।

NPS: नए नियमों के तहत Nifty 250 के शेयरों में निवेश की अनुमति है।
पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) ने NPS यानी नेशनल पेंशन सिस्टम के निवेश नियमों में बड़ा बदलाव किया है। इन बदलावों का मकसद यह है कि पेंशन फंड अब ज्यादा तरह के बाजारों में निवेश कर सकें और उनका पोर्टफोलियो बेहतर तरीके से डायवर्सिफाइड हो सके। खास बात यह है कि अब NPS के तहत चलने वाली स्कीम E, जो इक्विटी आधारित स्कीम है और सिर्फ नॉन-गवर्नमेंट सब्सक्राइबर्स पर लागू होती है, उसमें कई नए निवेश विकल्प जोड़ दिए गए हैं।
अब पेंशन फंड गोल्ड और सिल्वर के ETFs में निवेश कर सकते हैं। साथ ही IPO, FPO, OFS, equity mutual funds, equity ETFs, Nifty 250 की कंपनियों के शेयर और SEBI द्वारा रेगुलेट किए गए कई अन्य इक्विटी-ओरिएंटेड साधनों में निवेश का रास्ता भी खुल गया है। यह पूरी सूची PFRDA ने 10 दिसंबर 2025 को जारी दो मास्टर सर्कुलर के जरिए स्पष्ट की है।
नए नियमों के तहत Nifty 250 के शेयरों में निवेश की अनुमति है। इसके अलावा BSE 250 Index के वे शेयर जो Nifty 250 में नहीं आते, उन्हें भी निवेश के लिए एलिजिबल माना गया है। हालांकि नियम यह है कि स्कीम E के कुल AUM का 90 फीसदी हिस्सा सिर्फ Nifty 250 के टॉप 200 शेयरों में लगाया जाएगा। बाकी 10 फीसदी हिस्सा शेष एलिजिबल शेयरों में लगाया जा सकता है।
पेंशन फंड अब Gold ETF, Silver ETF, Real Estate Investment Trusts यानी REITs, और equity-oriented Alternative Investment Funds (Category I और Category II) में भी निवेश कर सकते हैं। लेकिन इन सभी साधनों में कुल मिलाकर निवेश Scheme E के AUM का 5 फीसदी से अधिक नहीं हो सकता। REIT में निवेश करने की शर्त यह है कि संबंधित REIT को सेबी-रजिस्टर्ड कम से कम दो credit rating agencies से ‘AA’ या उससे ऊपर की रेटिंग मिली हो।
इक्विटी म्युचूअल फंड में भी पेंशन फंड निवेश कर सकते हैं, लेकिन इसकी सीमा भी तय है। Scheme E के कुल AUM का 5 फीसदी से अधिक equity mutual funds में नहीं लगाया जा सकता। इसके अलावा किसी भी साल में Scheme E में आने वाले फ्रेश इनफ्लो का 5 फीसदी से ज्यादा हिस्सा म्युचूअल फंड्स में नहीं लगाया जा सकता।
पेंशन फंड SEBI द्वारा रेगुलेटेड ETF/इंडेक्स फंड में निवेश कर सकते हैं जो या तो BSE सेंसेक्स इंडेक्स या NSE निफ्टी 50 इंडेक्स के पोर्टफोलियो को दोहराते हैं। इसके अलावा वे ETFs भी allowed हैं जो सरकार के डिसइनवेस्टमेंट के लिए विशेष रूप से बनाए गए हैं। साथ ही पेंशन फंड एक्सचेंज ट्रेडेड डेरिवेटिव्स में भी निवेश कर सकते हैं, लेकिन इसका उद्देश्य सिर्फ हेजिंग होना चाहिए। डेरिवेटिव्स में कुल एक्सपोजर कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू के हिसाब से स्कीम E के AUM का 5 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता।
NPS के तहत अब IPO, FPO और OFS में भी निवेश किया जा सकता है। IPO में निवेश के लिए यह जरूरी है कि कंपनी BSE या NSE में लिस्ट होने वाली हो और उसके IPO के लोअर बैंड पर कैलकुलेटेड फुल फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन Nifty 250 Index की 250वीं कंपनी के मार्केट कैप के बराबर या उससे बड़ा हो। FPO और OFS के लिए शर्त यह है कि शेयर BSE या NSE पर लिस्टेड हों और Nifty 250 Index की टॉप 250 कंपनियों की सूची में शामिल हों।
पेंशन फंड को अपने बोर्ड द्वारा मंजूर की गई Investment Policy में IPO निवेश के नियम स्पष्ट रूप से लिखने होंगे। IPO, FPO या OFS के जरिए खरीदे गए शेयरों की जानकारी NPS Trust को निवेश के 30 दिनों के भीतर भेजनी होगी। अगर कोई कंपनी IPO के बाद Nifty 250 Index में शामिल नहीं रहती, तो पेंशन फंड के पास अधिकतम एक साल का समय होगा कि वह उस निवेश को एग्जिट करने पर निर्णय ले सके।
पेंशन फंड सेकेंडरी मार्केट में भी एलिजिबल शेयरों को खरीद सकते हैं। अगर Nifty 250 Index में बदलाव होता है, तो Scheme E को छह महीने की अवधि के भीतर अपना पोर्टफोलियो नए एलिजिबल शेयरों के अनुसार रि-बैलेंस करना होगा। इन सभी विकल्पों के अलावा पेंशन फंड अस्थायी रूप से आने वाले इनफ्लो को शॉर्ट टर्म डेट इंस्ट्रूमेंट में भी पार्क कर सकते हैं, ताकि पैसा खाली न पड़े।
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