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Loan Against Shares: शेयरों के बदले ₹1 करोड़ तक लोन मिल तो जाएगा, लेकिन अगर शेयर क्रैश हो गए तो?

Shubham Singh Thakur

4 min read | अपडेटेड November 28, 2025, 18:27 IST

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सारांश

Loan against shares: शेयरों के बदले लोन आमतौर पर पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड की तुलना में कम इंटरेस्ट रेट पर आते हैं। एप्लीकेशन प्रोसेस सीधा, पूरी तरह से डिजिटल है, और इसमें बहुत कम पेपरवर्क की जरूरत होती है। आप अपने इन्वेस्टिंग ऐप का इस्तेमाल करके बस कुछ ही क्लिक में ऐसा लोन ले सकते हैं।

Loan Against Shares

Loan Against Shares (LAS) का सबसे बड़ा खतरा तब सामने आता है जब बाजार अचानक गिरने लगता है।

Loan against shares: अगर आपको पैसों की जरूरत है और आप अपने शेयर बेचना नहीं चाहते, तो आपके लिए यह जानकारी बड़े काम की हो सकती है। आप अपने लिस्टेड शेयर गिरवी रखकर ₹1 करोड़ तक का लोन ले सकते हैं। पहले यह सीमा ₹20 लाख थी, जिसे 1 अक्टूबर 2025 से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दिया गया है। यह घोषणा RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में की थी। हालांकि, बड़ा सवाल यह है कि अगर आपके गिरवी रखे गए शेयरों की वैल्यू कम होई, यानी शेयर टूट गए, तो क्या होगा? आइए समझते हैं लोन अगेंस्ट शेयर्स के बारे में सबकुछ।
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Loan Against Shares क्या होता है?

जब आपको पैसे चाहिए होते हैं लेकिन आप अपने शेयर बेचना नहीं चाहते, तब आप उन शेयरों को बैंक या ब्रोकरेज फर्म के पास गिरवी रखते हैं। इसके बदले में बैंक आपको लोन दे देता है। यह लोन अक्सर पर्सनल लोन से सस्ता होता है।

इसके तहत शेयर की मार्केट वैल्यू का अधिकतम 50% लोन मिलता है। यानी अगर आपके शेयर ₹20 लाख के हैं, तो आपको अधिकतम ₹10 लाख तक लोन मिल सकता है। हालांकि, अगर आपके पास गिरवी रखने के लिए अधिक शेयर हैं तो आप ₹1 करोड़ तक भी उधार ले सकते हैं। इस तरह आपको पैसा भी मिल जाता है और शेयरों का मालिकाना हक भी बना रहता है।

कितना होता है इंटरेस्ट रेट

शेयरों के बदले लोन आमतौर पर पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड की तुलना में कम इंटरेस्ट रेट पर आते हैं। एप्लीकेशन प्रोसेस सीधा, पूरी तरह से डिजिटल है, और इसमें बहुत कम पेपरवर्क की जरूरत होती है। आप अपने इन्वेस्टिंग ऐप का इस्तेमाल करके बस कुछ ही क्लिक में ऐसा लोन ले सकते हैं।

क्या है इसमें खास

मान लीजिए अचानक किसी बड़ी जरूरत जैसे मेडिकल खर्च, पढ़ाई या बिजनेस के लिए पैसों की जरूरत पड़ जाए। आप आसानी से ₹1 करोड़ तक का लोन हासिल कर सकते हैं। इसकम मतलब है कि अब आपको अपनी स्ट्रेटेजी के आधार पर खरीदे गए शेयरों को छेड़ने की जरूरत नहीं है। इससे आपको निवेश बेचे बिना पैसा मिल जाएगा।

लोन लेने के बावजूद आपके शेयर आपके ही रहते हैं। आपको उनका डिविडेंड, बोनस, स्टॉक स्प्लिट सब मिलता रहता है। शेयर सिर्फ आपके डिमैट में ब्लॉक हो जाते हैं ताकि आप उन्हें बेच न सकें।

शेयर क्रैश हो गए तो क्या होगा?

Loan Against Shares (LAS) का सबसे बड़ा खतरा तब सामने आता है जब बाजार अचानक गिरने लगता है। शेयरों की कीमतें रोज बदलती हैं, इसलिए आपके गिरवी रखे हुए शेयर भी सुरक्षित नहीं रहते। अगर बाजार नीचे आता है और आपके शेयरों की वैल्यू घट जाती है, तो बैंक को लगता है कि उसके दिए गए लोन की सुरक्षा कमजोर हो रही है। इसी वजह से आपका LTV (Loan to Value Ratio) बढ़ जाता है, यानी आपके शेयरों की वर्तमान कीमत के मुकाबले लोन ज्यादा दिखने लगता है।

मान लीजिए आपने ₹20 लाख के शेयर गिरवी रखकर ₹10 लाख का लोन लिया है, जो 50% LTV है। लेकिन अगर बाजार गिर जाए और आपके शेयरों की कीमत 20–30% टूट जाए, तो अब आपके शेयरों की वैल्यू कम हो जाएगी और LTV 60–70% तक पहुंच सकता है। यह सुरक्षित सीमा से ज्यादा है, इसलिए बैंक इसे जोखिम मानता है और तुरंत कार्रवाई करता है।

ऐसी स्थिति में बैंक या ब्रोकर आपको “मार्जिन कॉल” भेजते हैं। इसका मतलब होता है कि आपको तुरंत या तो और पैसे जमा करने पड़ेंगे, या फिर और सिक्योरिटीज pledge करनी होंगी ताकि बैंक का जोखिम कम हो सके। अगर आप समय पर पैसा नहीं डालते, तो बैंक को पूरा अधिकार है कि वह आपके गिरवी रखे शेयर बेच दे।

शेयरों के बदले लेना चाहिए या नहीं?

LAS तब सही है जब आपको शॉर्ट-टर्म पैसे की जरूरत है, आपका पोर्टफोलियो बड़ा और मजबूत हो, बाजार स्थिर हो या आपको इस पर भरोसा हो। यह आपको बिना निवेश बेचे फंड देता है और आपका पोर्टफोलियो बढ़ता रहता है। लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि बहुत ज्यादा लोन नहीं लेना चाहिए।

(डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। किसी भी तरह का फैसला लेने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें।)
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लेखकों के बारे में

Shubham Singh Thakur
Shubham Singh Thakur is a business journalist with a focus on stock market and personal finance. An alumnus of the Indian Institute of Mass Communication (IIMC), he is passionate about making financial topics accessible and relevant for everyday readers.

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