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Income Tax 2025: नया टैक्स कानून, नए स्लैब और रिफंड से लेकर रिबेट तक, टैक्सपेयर्स के लिए क्या बदला?

Upstox

4 min read | अपडेटेड December 23, 2025, 17:11 IST

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सारांश

Income Tax 2025: इस साल सबसे ज्यादा चर्चा इनकम टैक्स रिफंड में हो रही देरी को लेकर रही। वित्त वर्ष 2024–25 के रिटर्न के लिए कई लोगों को अब तक रिफंड नहीं मिला है। जिन टैक्सपेयर्स का रिफंड ज्यादा था या जिनके TDS और डिडक्शन में अंतर पाया गया, उनके मामलों में प्रोसेसिंग और धीमी हो गई।

Income tax

साल 2025 की सबसे बड़ी टैक्स सुधार की खबर नया Income Tax Act, 2025 रहा।

Income Tax 2025: इस साल भारत के इनकम टैक्स सिस्टम में कई बड़े बदलाव देखने को मिले। साल भर में नियम बदले, प्रक्रियाओं में दिक्कतें आईं और टैक्सपेयर्स को कई नई बातें समझनी पड़ीं। नए साल 2026 में कदम रखने से पहले यह जानना जरूरी है कि 2025 में इनकम टैक्स से जुड़े कौन-से बड़े ट्रेंड सामने आए।
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इनकम टैक्स रिफंड में देरी

2025 में सबसे ज्यादा चर्चा इनकम टैक्स रिफंड में हो रही देरी को लेकर रही। वित्त वर्ष 2024–25 के रिटर्न के लिए कई लोगों को अब तक रिफंड नहीं मिला है। जिन टैक्सपेयर्स का रिफंड ज्यादा था या जिनके TDS और डिडक्शन में अंतर पाया गया, उनके मामलों में प्रोसेसिंग और धीमी हो गई। शेयरों या अन्य एसेट्स से कैपिटल गेन कमाने वालों को भी रिफंड के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा।

Income Tax Act, 2025

साल 2025 की सबसे बड़ी टैक्स सुधार की खबर नया Income Tax Act, 2025 रहा। यह कानून करीब 60 साल पुराने Income Tax Act, 1961 की जगह लेगा और 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा। नए कानून में टैक्स की भाषा को आसान बनाने की कोशिश की गई है। इसमें “Assessment Year” और “Previous Year” जैसे कठिन शब्दों को हटाकर सिर्फ “Tax Year” का इस्तेमाल किया जाएगा, ताकि आम लोगों के लिए टैक्स सिस्टम समझना आसान हो।

ITR फॉर्म

इनकम टैक्स रिटर्न यानी ITR फॉर्म को लेकर भी 2025 में काफी परेशानी देखी गई। नए और बदले हुए ITR फॉर्म समय पर उपलब्ध नहीं हो पाए और तकनीकी समस्याएं भी सामने आईं। खासतौर पर जुलाई 2024 में बदले गए कैपिटल गेन नियमों के कारण ITR फॉर्म की संरचना में बदलाव हुआ, जिससे कई टैक्सपेयर्स को रिटर्न भरने में दिक्कत हुई।

इनकम टैक्स स्लैब में बड़े बदलाव

बजट 2025 में नए टैक्स सिस्टम के तहत इनकम टैक्स स्लैब में बड़े बदलाव किए गए। टैक्स-फ्री इनकम की सीमा बढ़ाई गई, जिससे आम टैक्सपेयर्स को राहत मिली। नए टैक्स सिस्टम को चुनने वालों के लिए ₹12 लाख तक की इनकम पर टैक्स नहीं लगता। सैलरी पाने वालों को स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा जोड़ने पर ₹12.75 लाख तक की इनकम टैक्स-फ्री हो जाती है।

सेक्शन 87A टैक्स रिबेट

सरकार ने सेक्शन 87A के तहत मिलने वाली टैक्स रिबेट को भी बढ़ाकर ₹60,000 कर दिया है। हालांकि, इसे लेकर काफी भ्रम रहा। यह रिबेट सैलरी, ब्याज जैसी सामान्य इनकम पर तो मिलती है, लेकिन शेयर या म्यूचुअल फंड से होने वाले शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर लागू नहीं होती। इसी वजह से कई लोगों को यह लगा कि उनकी कुल इनकम ₹12 लाख से कम होने के बावजूद उन्हें कैपिटल गेन पर टैक्स क्यों देना पड़ रहा है।

कैपिटल गेन टैक्स के नियमों में बदलाव

2025 में कैपिटल गेन टैक्स के नियमों में भी अहम बदलाव किए गए। शेयरों पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स की दर 15 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दी गई। वहीं लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन में छूट की सीमा तय की गई, जिसमें ₹1.25 लाख तक की कमाई टैक्स-फ्री है और उससे ऊपर की राशि पर 12.5 फीसदी टैक्स लगता है। इन बदलावों के बाद रिबेट और टैक्स कैलकुलेशन को लेकर काफी उलझन बनी रही।

GST 2.0

इनकम टैक्स के अलावा 2025 में GST 2.0 भी चर्चा में रहा। यह भले ही डायरेक्ट टैक्स न हो, लेकिन इससे टैक्स सिस्टम पर बड़ा असर पड़ा। GST 2.0 के तहत टैक्स दरों को आसान किया गया, जरूरी सामान पर टैक्स में राहत दी गई और कारोबारियों के लिए कंप्लायंस को सरल बनाया गया, जिससे अर्थव्यवस्था को सहारा मिला।

कुल मिलाकर 2025 टैक्सपेयर्स के लिए बदलावों, नई राहतों और कई तरह के कन्फ्यूजन का साल रहा। 2026 में जाते समय यह समझना बेहद जरूरी है कि नया टैक्स कानून क्या बदलने वाला है, टैक्स रिबेट कहां लागू होती है और कैपिटल गेन पर अलग से टैक्स क्यों देना पड़ता है।

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लेखकों के बारे में

Upstox
Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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