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किसानों के लिए गुड न्यूज, अब घर बैठे अपनी शर्तों पर बेच सकेंगे फसल, समझें कैसे ये सरकारी ऐप करेगा मदद?

Upstox

3 min read | अपडेटेड December 04, 2025, 14:58 IST

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सारांश

क्या आप जानते हैं कि ई-नाम के जरिए खेती अब डिजिटल हो गई है? कृषि मंत्रालय ने बताया है कि कैसे यह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म देश भर के किसानों को नई ताकत दे रहा है। इसके जरिए बिचौलियों का राज खत्म हो रहा है और खरीदार सीधे किसान से जुड़ रहे हैं।

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ई-नाम प्लेटफॉर्म के जरिए किसानों को मिल रहा है फसल का सही दाम और बेहतर बाजार

भारत सरकार किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए डिजिटल तकनीक का सहारा ले रही है। इसी दिशा में केंद्र सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने ई-नाम (e-NAM) यानी इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार को किसानों की 'डिजिटल ताकत' बताया है। एग्रीकल्चर इंडिया के आधिकारिक एक्स हैंडल से शेयर की गई जानकारी के मुताबिक, यह प्लेटफॉर्म अब किसानों की जिंदगी बदलने का काम कर रहा है। सरकार का मकसद है कि किसान अब सिर्फ खेत में मेहनत न करें, बल्कि बाजार में अपनी फसल का सौदा भी शान से करें।

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क्या है ई-नाम प्लेटफॉर्म?

अक्सर किसानों के मन में सवाल होता है कि आखिर ई-नाम क्या है और यह कैसे काम करता है? आसान भाषा में समझें तो यह एक ऑनलाइन मंडी है। यह एक ऐसा डिजिटल मंच है जो पूरे देश के किसानों, व्यापारियों और खरीदारों को एक ही ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर जोड़ता है। पहले किसान अपनी फसल सिर्फ पास की मंडी में बेच पाता था, लेकिन इस प्लेटफॉर्म के जरिए वह डिजिटल तरीके से देश भर के खरीदारों से जुड़ सकता है। यह व्यवस्था खेती और व्यापार के बीच की दूरी को खत्म करती है।

किसानों को मिलने वाले 5 बड़े फायदे

फसल का सही दाम: इस प्लेटफॉर्म का सबसे बड़ा फायदा यह है कि किसान को अपनी मेहनत का सही फल मिलता है। जब बाजार बड़ा होता है और खरीदार ज्यादा होते हैं, तो फसल के दाम अपने आप बेहतर मिलते हैं।
बाजार में पारदर्शिता: ई-नाम बाजार में पारदर्शिता यानी सफाई लाता है। इसमें दाम तय करने की प्रक्रिया पारदर्शी होती है। किसान अपनी आंखों के सामने देख सकता है कि उसकी फसल का क्या भाव लग रहा है, जिससे धोखाधड़ी की गुंजाइश खत्म हो जाती है।
आसान खरीद और बिक्री: पहले फसल बेचने के लिए कई दिनों तक मंडी में इंतजार करना पड़ता था। लेकिन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से फसलों की बिक्री और खरीद बेहद आसान हो गई है। तकनीक ने कागजी कार्रवाई और लंबी कतारों के झंझट को कम कर दिया है।
अधिक आय और बेहतर सौदे: जब किसान को देश भर के खरीदार मिलते हैं, तो उसके पास बेहतर सौदे चुनने का विकल्प होता है। अच्छी कीमत मिलने से किसान की आय में बढ़ोतरी होती है और उसे अपनी उपज बेचने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ता।
सीधा जुड़ाव: यह प्लेटफॉर्म खरीदारों को सीधे किसानों से जोड़ता है। बीच में बिचौलियों की भूमिका कम हो जाती है, जिससे जो मुनाफा पहले बीच के लोग ले जाते थे, वह अब सीधे किसान की जेब में आता है।

समस्या आई फिर क्या होगा?

सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए एक हेल्पडेस्क भी बनाया है। अगर किसी किसान को ई-नाम को समझने या इसका उपयोग करने में कोई दिक्कत आती है, तो वह 'किसान कॉल सेंटर' पर संपर्क कर सकता है। इसके लिए टोल-फ्री नंबर 1800-180-1551 जारी किया गया है। किसान भाई सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक इस नंबर पर कॉल करके जानकारी ले सकते हैं। यह पहल दिखाती है कि सरकार किसानों को हाई-टेक बनाने और उनकी आय दोगुनी करने के लिए कितनी गंभीर है।

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लेखकों के बारे में

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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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