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3 min read | अपडेटेड January 18, 2025, 07:53 IST
सारांश
बजट 2025 को लेकर कई तरह की अटकलें लग रही हैं। कुछ समूहों को उम्मीद है कि सरकार टैक्स फ्री इनकम की सीमा को बढ़ा देगी। हालांकि, ऐसा करने से सरकारी खजाने पर क्या असर होगा, यह भी चर्चा का विषय है।
सरकार की कोशिश है नई कर व्यवस्था से ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने की।
बजट 2025 आने के पहले ऐसी चर्चा होने लगी है कि शायद केंद्र सरकार नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) को करदाताओं के लिए ज्यादा आकर्षित बनाने को ₹10-15 लाख की सालाना आमदनी से कम पर आयकर को पूरी तरह माफ कर दे।
दरअसल, नई टैक्स व्यवस्था में यह सीमा ₹3 लाख है। वेतनप्राप्त कर्मचारियों को ₹75,000 का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिला हुआ है। वहीं, सेक्शन 87ए के तहत रीबेट मिलने से ₹7.5 लाख तक की आमदनी टैक्स फ्री हो जाती है।
वित्त मंत्रालय के मुताबिक FY24 में 72% लोगों ने नई कर व्यवस्था को चुना था। हालांकि, सरकार की कोशिश है कि और ज्यादा करदाता इससे जुड़ें। इस बीच रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि केंद्र सरकार ₹15 लाख सालाना आमदनी पर टैक्स कटौती का विचार कर रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट के पहले हुईं मुलाकातों में कई संस्थानों ने करदाताओं का बोझ कम करने की अर्जी दी थी।
इस बात की संभावना कम है कि सरकार ₹15 लाख से कम आमदनी को टैक्स ब्रैकेट से बाहर कर दे। एक्सपर्ट्स का मानना है कि सरकार इसे ₹10 लाख तक कर भी सकती है। हालांकि, माना जा रहा है कि इसके लिए सरकार बेसिक छूट की सीमा को ₹3 लाख से बढ़ाकर ₹10 लाख नहीं करेगी बल्कि टैक्स स्लैब को बदला जा सकता है। इसके अलावा सेक्शन 87 या स्टैंडक्ड डिडक्शन के तहत प्रावधान लागू करके नई व्यवस्था में इतनी आमदनी पर टैक्स से राहत मिल सकती है।
CA डॉ. सुरेश सुरना का कहना है कि सरकार बजट में टैक्स रिबेट बढ़ा सकती है। हालांकि, इसके लिए वाणिज्यिक हालातों, वित्तीय प्राथमिकताओं और Dr Suresh Surana also believes the आर्थिक स्थितियों पर ध्यान देना होगा। रिबेट में बढ़ोतरी से करदाताओं को तो राहत मिलेगी और नई कर व्यवस्था को भी विस्तार मिलेगा लेकिन इससे सरकारी खजाने पर भी असर पड़ेगा।
कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि टैक्स-फ्री आमदनी की सीमा ₹10 लाख करने से सरकारी खजाने पर भी शायद इतना असर ना पड़े लेकिन टैक्स बेस को बढ़ाने की सरकार की मुहिम को झटका जरूर लग सकता है। पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक 76% आयकर ₹50 लाख और उसके ऊपर आमदनी वाले करदाताओं से आता है।
वित्त वर्ष 2013-14 के बाद से ₹50 लाख से ऊपर आमदनी वाले लोगों की संख्या में 2023-24 तक 5 गुना वृद्धि हुई है और ये 9.39 लाख पर पहुंच गई है। इस दौरान ऐसे लोगों के ऊपर टैक्स की देयता भी 3.2 गुना बढ़कर ₹2.52 लाख करोड़ से ₹9.62 लाख करोड़ पर पहुंच गई है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि टैक्स फ्री आय की सीमा को बढ़ाने से बड़ी संंख्या में मध्यमवर्गीय लोगों के हाथ में खर्च को पैसे पहुंचेंगे। इससे उपभोग, बचत और निवेश बढ़ेगा और वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ने से आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी।
इसके अलावा ऐसा करने से लोग ज्यादा फंड्स बैंकों के जरिए निकलेंगे क्योंकि लोग अपनी बचत को वित्तीय उत्पादों में ज्यादा लगाएंगे। इससे बैंकिंग व्यवस्था मजबूत होगी और बुनियादी ढांचे और विकास योजनाओं के लिए कैपिटल उपलब्ध होगा।
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