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  1. 8th Pay Commission: तो क्या इस बार इन 2.75 लाख कर्मचारियों को भी मिलेगा फायदा? सांसद ने लिखा है लेटर

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8th Pay Commission: तो क्या इस बार इन 2.75 लाख कर्मचारियों को भी मिलेगा फायदा? सांसद ने लिखा है लेटर

Upstox

3 min read | अपडेटेड November 12, 2025, 16:11 IST

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सारांश

8th Pay Commission: तेलुगू देशम पार्टी के सांसद ने ग्रामीण डाक सेवकों के वेतन का मुद्दा उठाया है। उन्होंने PM मोदी से GDS को 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के दायरे में लाने का आग्रह किया है। सांसद ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश का हवाला देते हुए कहा कि GDS को अलग समितियों की जगह वेतन आयोग का लाभ मिलना चाहिए।

8th pay commission

TDP सांसद ने ग्रामीण डाक सेवकों को 8वें वेतन आयोग का लाभ देने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है।

8th Pay Commission: तेलुगू देशम पार्टी (TDP) के सांसद अंबिका जी. लक्ष्मीनारायणा वाल्मीकि ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक लेटर लिखा है। इस पत्र में उन्होंने देश भर के लाखों ग्रामीण डाक सेवकों (GDS) से जुड़ा एक अहम मुद्दा उठाया है। सांसद ने मांग की है कि ग्रामीण डाक सेवकों को भी 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (8th Central Pay Commission) के दायरे में शामिल किया जाए, ताकि उन्हें न्यायसंगत वेतन और सेवा लाभ मिल सकें।

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क्या है मामला?

सांसद वाल्मीकि ने अपने पत्र में इस बात पर जोर दिया है कि देश भर में डाक विभाग के तहत लगभग 2.75 लाख ग्रामीण डाक सेवक काम कर रहे हैं। ये कर्मचारी ग्रामीण इलाकों में सभी जरूरी डाक सेवाएं पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण डाक सेवकों का योगदान किसी भी तरह से शहरी क्षेत्रों में काम कर रहे नियमित डाक कर्मचारियों से कम नहीं है। इसलिए, उन्हें भी नियमित कर्मचारियों के समान ही वेतन और अन्य सेवा लाभ मिलने चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का दिया हवाला

TDP सांसद ने प्रधानमंत्री का ध्यान सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले की ओर भी दिलाया। उन्होंने 22 अप्रैल 1977 के सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि अदालत ने ग्रामीण डाक सेवकों को "राज्य के सिविल पद धारक" (state civil post holders) माना था। उस समय इन्हें एक्स्ट्रा डिपार्टमेंटल एजेंट कहा जाता था। सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया था कि भले ही GDS का कैडर नियमित सेवा कैडर से अलग हो, लेकिन वे सिविल पद धारक हैं।

'अलग समिति की व्यवस्था खत्म हो'

वाल्मीकि ने चिंता जताते हुए कहा कि इस न्यायिक स्थिति के बावजूद, अब तक की सरकारों ने GDS कर्मचारियों के वेतन और सेवा शर्तों की समीक्षा के लिए हमेशा अलग-अलग विभागीय समितियों का गठन किया है। उन्हें कभी भी सीधे केंद्रीय वेतन आयोगों के तहत शामिल नहीं किया गया। सांसद ने कहा कि इसी व्यवस्था के कारण ग्रामीण डाक सेवक उन कई महत्वपूर्ण लाभों से वंचित रह जाते हैं, जो एक नियमित सरकारी कर्मचारी को मिलते हैं।

GDS को शामिल करने से बढ़ेगा मनोबल

सांसद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि इस अन्याय को दूर किया जाए और GDS कर्मचारियों को 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के तहत लाया जाए। उनका मानना है कि इस कदम से न केवल इन कर्मचारियों के साथ समानता सुनिश्चित होगी और उन्हें उचित वेतन संशोधन का लाभ मिलेगा, बल्कि इससे डाक विभाग के विशाल ग्रामीण नेटवर्क की कार्यक्षमता और कर्मचारियों के मनोबल में भी जबरदस्त वृद्धि होगी। इस पत्र की प्रतियां वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी भेजी गई हैं।

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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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