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  1. 31 दिसंबर को ऐसा क्या होने जा रहा जिसकी खबर आते ही Swiggy-Zomato में आई बिकवाली, सिर्फ Zepto IPO नहीं है कारण

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31 दिसंबर को ऐसा क्या होने जा रहा जिसकी खबर आते ही Swiggy-Zomato में आई बिकवाली, सिर्फ Zepto IPO नहीं है कारण

विकास तिवारी

3 min read | अपडेटेड December 26, 2025, 10:51 IST

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सारांश

देशभर के लाखों गिग वर्कर्स ने बेहतर कार्य परिस्थितियों की मांग को लेकर 31 दिसंबर को महा-हड़ताल का ऐलान किया है। इस विरोध प्रदर्शन में स्विगी, जोमैटो, ब्लिंकिट और जेप्टो के कर्मचारी शामिल होंगे। निवेशकों को डर है कि सबसे अधिक मांग वाले दिन सेवाएं बाधित होने से कंपनियों के मुनाफे पर असर पड़ेगा।

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अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतरे डिलीवरी पार्टनर्स

शेयर बाजार में गुरुवार को स्विगी और इटरनल (जोमैटो) के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। हालांकि बाजार में जेप्टो के आईपीओ की चर्चा भी तेज है, लेकिन असली घबराहट 31 दिसंबर 2025 को होने वाली देशभर के गिग वर्कर्स की हड़ताल को लेकर है। डिलीवरी और गिग वर्कर्स की यूनियनों ने अपनी मांगों को लेकर क्रिसमस के बाद अब नए साल की पूर्व संध्या पर भी काम बंद रखने का आह्वान किया है। इस हड़ताल में न केवल स्विगी और जोमैटो, बल्कि जेप्टो, ब्लिंकिट, अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे बड़े प्लेटफॉर्म के डिलीवरी पार्टनर्स भी हिस्सा लेंगे। 31 दिसंबर साल का वह दिन होता है जब इन कंपनियों के पास ऑर्डर्स की संख्या सबसे अधिक होती है, ऐसे में हड़ताल की खबर ने निवेशकों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं।

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क्यों नाराज हैं डिलीवरी पार्टनर्स?

तेलंगाना गिग एंड प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन और इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स के अनुसार, डिलीवरी पार्टनर्स को बहुत ही खराब परिस्थितियों में काम करना पड़ रहा है। उनकी सबसे बड़ी शिकायत गिरती कमाई और सुरक्षा को लेकर है। यूनियन का कहना है कि डिलीवरी पार्टनर्स को पिछले कुछ समय से प्रति डिलीवरी मिलने वाली रकम में कमी आई है, जबकि काम के घंटे लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इसके अलावा, बिना किसी ठोस कारण के आईडी ब्लॉक कर देने और नौकरी की कोई सुरक्षा न होने की वजह से कर्मियों में काफी रोष है। गिग वर्कर्स इसे 'सिस्टमेटिक शोषण' बता रहे हैं और सरकार से इस क्षेत्र के लिए सख्त नियम बनाने की मांग कर रहे हैं।

10 मिनट डिलीवरी मॉडल का कड़ा विरोध

इस हड़ताल का एक मुख्य मुद्दा '10 मिनट डिलीवरी' मॉडल भी है। वर्कर्स का आरोप है कि कंपनियां बहुत कम समय में डिलीवरी का दबाव बनाती हैं, जिससे उनकी जान जोखिम में रहती है। ट्रैफिक और खराब सड़कों के बीच 10 मिनट में सामान पहुंचाना न केवल तनावपूर्ण है बल्कि हादसों को न्योता देता है। प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं कि इस मॉडल को तुरंत वापस लिया जाए और डिलीवरी के लिए एक उचित समय सीमा तय की जाए। इसके साथ ही वे पारदर्शी वेतन ढांचा, दुर्घटना बीमा, स्वास्थ्य बीमा और पेंशन जैसी सामाजिक सुरक्षा की भी मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे इस सर्विस के रीढ़ की हड्डी हैं, लेकिन उनके कल्याण पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

निवेशकों और ग्राहकों पर क्या होगा असर?

31 दिसंबर को होने वाली हड़ताल का सीधा असर कंपनियों के कारोबार पर पड़ेगा। नए साल के मौके पर लोग घर बैठे खाना और सामान मंगवाना पसंद करते हैं, जिससे इन प्लेटफॉर्म्स का रेवेन्यू रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाता है। अगर डिलीवरी पार्टनर्स सड़क पर उतरते हैं, तो हजारों ऑर्डर्स पेंडिंग रह सकते हैं या रद्द करने पड़ सकते हैं। यही वजह है कि शेयर बाजार में स्विगी और जोमैटो के शेयरों में मुनाफावसूली और बिकवाली का दौर शुरू हो गया है।

(डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें।)
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लेखकों के बारे में

विकास तिवारी
Vikash Tiwary is a finance journalist with 6+ years of newsroom experience. He is currently growing Upstox Hindi, crafting data-driven stories on stocks, personal finance, mutual funds, and global markets, while exploring how AI can simplify finance. His work spans Zee Business, TV9 Bharatvarsh, ABP News, India TV, and Inshorts. He also holds NISM certification.

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