मार्केट न्यूज़
3 min read | अपडेटेड August 14, 2025, 13:09 IST
सारांश
Wipro के शेयरों में 2.21 फीसदी की बढ़त है और यह 247 रुपये के भाव पर ट्रेड कर रहा है। इसके अलावा, Infosys में 1.72 फीसदी, Persistent Systems में 1.08 फीसदी की तेजी, Coforge में 0.86 फीसदी, Mphasis में 0.52 फीसदी और Oracle Financial Services Software में 0.45 फीसदी की बढ़त नजर आ रही है।
IT Stocks: अप्रैल-जून 2025 तिमाही में भारत की बड़ी आईटी सर्विस कंपनियों की कमाई में सिर्फ सिंगल डिजिट की बढ़त हुई।
Wipro के शेयरों में 2.21 फीसदी की बढ़त है और यह 247 रुपये के भाव पर ट्रेड कर रहा है। इसके अलावा, Infosys में 1.72 फीसदी, Persistent Systems में 1.08 फीसदी की तेजी, Coforge में 0.86 फीसदी, Mphasis में 0.52 फीसदी और Oracle Financial Services Software में 0.45 फीसदी की बढ़त नजर आ रही है। इसके अलावा, TCS और Tech Mahindra के शेयर लाल निशान पर ट्रेड कर रहे हैं।
इंफोसिस के शेयर में बुधवार को तेजी देखी गई क्योंकि कंपनी ने ऑस्ट्रेलिया की प्रमुख टेलीकॉम और टेक्नोलॉजी कंपनी टेल्स्ट्रा के साथ एक संयुक्त उद्यम (Joint Venture) बनाने का ऐलान किया। प्रेस रिलीज के मुताबिक यह साझेदारी इंफोसिस की AI से जुड़ी रणनीति को तेज करेगी और ऑस्ट्रेलियाई बिजनेस के लिए AI आधारित क्लाउड और डिजिटल सॉल्यूशन को बढ़ावा देगी।
इंफोसिस, टेल्स्ट्रा की 100% स्वामित्व वाली कंपनी वर्सेंट ग्रुप (Versent Group) में 75% हिस्सेदारी खरीदेगी। यह ऑस्ट्रेलिया की प्रमुख डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन कंपनी है। टेल्स्ट्रा के पास 25% हिस्सेदारी बनी रहेगी। ऑपरेशनल कंट्रोल इंफोसिस के पास होगा।
इंफोसिस का मानना है कि टेल्स्ट्रा की कनेक्टिविटी, वर्सेंट की लोकल डिजिटल इंजीनियरिंग और इंफोसिस का ग्लोबल स्केल मिलकर ग्राहकों को बेहतर सेवाएं देंगे और ग्रोथ की संभावनाएं बढ़ाएंगे।
जुलाई 2025 में, रेटिंग एजेंसी ICRA ने भारतीय आईटी सर्विसेज इंडस्ट्री के लिए 'स्टेबल' आउटलुक बनाए रखा और अनुमान जताया कि 2025-26 वित्त वर्ष में डॉलर के हिसाब से रेवेन्यू 2-3% बढ़ सकता है, जो FY25 के 2.9% ग्रोथ से थोड़ा कम है। ICRA के मुताबिक, अमेरिकी टैरिफ के कारण आईटी बजट पर दबाव रहेगा, जिससे FY26 में कमाई में तेज उछाल की संभावना नहीं है।
अप्रैल-जून 2025 तिमाही में भारत की बड़ी आईटी सर्विस कंपनियों की कमाई में सिर्फ सिंगल डिजिट की बढ़त हुई। यह तिमाही मिली-जुली और थोड़ी निराशाजनक रही क्योंकि वैश्विक टेक की मांग पर मैक्रोइकोनॉमिक अस्थिरता और जियो-पॉलिटिकल टेंशन का असर पड़ा। साथ ही, क्लाइंट्स ने फैसले लेने में देरी की।
मैनेजमेंट की टिप्पणियों में मिला-जुला रुख दिखा। सावधानी बरती गई, लेकिन सीईओ ने लागत घटाने, वेंडर (सप्लायर) को कम करने और AI के जरिए कारोबार बदलने के मौकों पर जोर दिया। भारतीय आईटी दिग्गजों की Q1 रिपोर्ट कार्ड के अनुसार, सालाना रेवेन्यू ग्रोथ Wipro में सिर्फ 0.8% से लेकर एचसीएल टेक्नोलॉजीज में 8.1% तक रही।
नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज का अनुमान है कि मांग का माहौल अगले 1-2 तिमाहियों तक चुनौतीपूर्ण रहेगा क्योंकि आर्थिक अनिश्चितता बनी हुई है। हालांकि, कंपनी का कहना है कि मध्यम और लंबी अवधि में आईटी पर खर्च बढ़ने की संभावना है, क्योंकि कई कंपनियों के पास “टेक्नोलॉजी डेट” (पुराने सिस्टम को अपग्रेड करने की जरूरत) बहुत ज्यादा है, जिसे ठीक करने के लिए जैसे ही आर्थिक हालात सुधरेंगे, निवेश बढ़ेगा।
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