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  1. इंफोसिस का ₹18,000 करोड़ का बड़ा Buyback, मगर नारायण मूर्ति-नंदन नीलेकणी ने क्यों बनाई दूरी? ये है मायने

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इंफोसिस का ₹18,000 करोड़ का बड़ा Buyback, मगर नारायण मूर्ति-नंदन नीलेकणी ने क्यों बनाई दूरी? ये है मायने

विकास तिवारी

3 min read | अपडेटेड October 23, 2025, 09:19 IST

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सारांश

देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस के ₹18,000 करोड़ के बायबैक पर बड़ा अपडेट आया है। कंपनी के संस्थापकों (प्रमोटर्स) ने इस बायबैक से खुद को अलग कर लिया है। उनके इस कदम को कंपनी के भविष्य में भरोसे के तौर पर देखा जा रहा है।

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देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस (Infosys) अपने अब तक के सबसे बड़े शेयर बायबैक को लेकर चर्चा में है। कंपनी ₹18,000 करोड़ के शेयर वापस खरीदने जा रही है। लेकिन इस बायबैक से जुड़ी एक और बड़ी खबर सामने आई है जिसने बाजार, खासकर छोटे निवेशकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इंफोसिस के संस्थापकों, यानी प्रमोटर्स और प्रमोटर ग्रुप ने इस बायबैक प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया है। इसका असर आज शेयर पर भी देखा जा रहा है। शानदार रैली के साथ कंपनी आज कारोबार कर रही है।

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प्रमोटर्स ने क्यों बनाई दूरी?

इंफोसिस ने 22 अक्टूबर को स्टॉक एक्सचेंज को यह जानकारी दी। कंपनी ने बताया कि उसके प्रमोटर और प्रमोटर ग्रुप, जिनमें एन.आर. नारायण मूर्ति, नंदन एम. नीलेकणी, सुधा मूर्ति, रोहिणी नीलेकणी और उनके परिवार के अन्य सदस्य शामिल हैं, जिन्होंने बायबैक में अपने शेयर नहीं बेचने का इरादा जताया है। इन सभी ने सितंबर महीने में ही कंपनी को पत्र लिखकर अपने इस फैसले की जानकारी दे दी थी।

कंपनी के प्रमोटर्स और प्रमोटर ग्रुप के पास कुल मिलाकर इंफोसिस की 13.05% हिस्सेदारी (करीब 51.30 करोड़ शेयर) है। इन बड़े हिस्सेदारों का बायबैक में शामिल न होना एक बड़ा कदम है।

क्या है यह बायबैक प्लान?

इंफोसिस ने 11 सितंबर 2025 को ₹18,000 करोड़ के इस मेगा बायबैक प्लान को मंजूरी दी थी। यह कंपनी के इतिहास का पांचवां और सबसे बड़ा बायबैक है।

बायबैक साइज: ₹18,000 करोड़।
बायबैक प्राइस: ₹1,800 प्रति शेयर। यह कीमत बुधवार को शेयर के बंद भाव (₹1,472) से करीब 22% के प्रीमियम पर है।
बायबैक रूट: कंपनी "टेंडर ऑफर" रूट के जरिए 10 करोड़ शेयर वापस खरीदेगी, जो कंपनी की कुल चुकता इक्विटी पूंजी का 2.41% हिस्सा है।

छोटे निवेशकों के लिए यह 'अच्छी खबर' क्यों है?

बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि प्रमोटर्स का यह फैसला छोटे निवेशकों (Retail Investors) के लिए बहुत फायदेमंद है। इसे समझने के लिए 'एंटाइटलमेंट रेश्यो' (Entitlement Ratio) को समझना होगा।

बायबैक में खासकर टेंडर ऑफर में, कंपनी हर शेयरहोल्डर से एक निश्चित अनुपात में ही शेयर वापस खरीदती है, जिसे एंटाइटलमेंट रेश्यो कहते हैं। अब क्योंकि 13.05% हिस्सेदारी रखने वाले प्रमोटर्स इस दौड़ से बाहर हो गए हैं, इसलिए बाकी बचे शेयरहोल्डर्स, खासकर रिटेल निवेशकों के लिए यह रेश्यो काफी बढ़ जाएगा।

आसान भाषा में समझें तो, अब कंपनी उतने ही पैसे में कम लोगों से शेयर खरीदेगी, जिससे हर छोटे निवेशक के ज्यादा शेयर बिकने की संभावना बढ़ गई है। इससे रिटेल निवेशकों को ₹1,800 के प्रीमियम भाव पर अपने शेयर बेचने का शानदार मौका मिलेगा।

प्रमोटर्स के इस कदम के क्या हैं मायने?

1. कंपनी के भविष्य पर भरोसा:

प्रमोटर्स का मानना है कि कंपनी के शेयर की कीमत भविष्य में ₹1,800 के बायबैक प्राइस से भी कहीं ज्यादा जाएगी। यह कंपनी के लॉन्ग टर्म ग्रोथ पर उनके मजबूत भरोसे को दिखाता है।

2. हिस्सेदारी बढ़ेगी:

जब कोई कंपनी शेयर बायबैक करके उन्हें रद्द (extinguish) कर देती है, तो बाजार में कुल शेयरों की संख्या कम हो जाती है। ऐसे में, जो प्रमोटर्स अपने शेयर नहीं बेच रहे हैं, बायबैक पूरा होने के बाद कंपनी में उनकी हिस्सेदारी (वोटिंग अधिकार) अपने आप थोड़ी बढ़ जाएगी।

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लेखकों के बारे में

विकास तिवारी
Vikash Tiwary is a finance journalist with 6+ years of newsroom experience. He is currently growing Upstox Hindi, crafting data-driven stories on stocks, personal finance, mutual funds, and global markets, while exploring how AI can simplify finance. His work spans Zee Business, TV9 Bharatvarsh, ABP News, India TV, and Inshorts. He also holds NISM certification.

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