मार्केट न्यूज़
4 min read | अपडेटेड October 08, 2025, 14:02 IST
सारांश
FMCG Sector Q2: ज्यादातर कंपनियों ने जुलाई और अगस्त में स्थिर मांग देखी, लेकिन सितंबर में GST बदलावों की वजह से बिक्री धीमी पड़ी। सरकार ने 4 सितंबर को GST 2.0 लागू करने का ऐलान किया था, जिसमें खाद्य पदार्थों और पर्सनल केयर उत्पादों पर टैक्स घटाया गया।
FMCG Sector Q2: सरकार द्वारा सितंबर 2025 में घोषित GST दरों में कटौती से इस सेक्टर को फायदा मिलने की संभावना है।
हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL), गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स (GCPL), डाबर, मैरिको, ब्रिटानिया, नेस्ले इंडिया, ITC, टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स और इमामी जैसी बड़ी FMCG कंपनियां सितंबर में बिक्री और मुनाफे में हल्की गिरावट दिखा सकती हैं। कारण यह है कि नई GST दरों के लागू होने से ट्रेड चैनल (थोक और रिटेल) में अस्थायी बाधा आई, जिससे कंपनियों को ऑर्डर में देरी और रेवेन्यू में असर झेलना पड़ा।
ज्यादातर कंपनियों ने जुलाई और अगस्त में स्थिर मांग देखी, लेकिन सितंबर में GST बदलावों की वजह से बिक्री धीमी पड़ी। सरकार ने 4 सितंबर को GST 2.0 लागू करने का ऐलान किया था, जिसमें खाद्य पदार्थों और पर्सनल केयर उत्पादों पर टैक्स घटाया गया। इसके बाद ग्राहकों ने नई कीमतों का इंतजार करते हुए खरीदारी टाल दी, जिससे सितंबर की बिक्री पर असर पड़ा।
डाबर इंडिया ने कहा कि उसे तिमाही के दौरान शॉर्ट टर्म गिरावट का सामना करना पड़ा क्योंकि ग्राहक नई कीमतों के लागू होने का इंतजार कर रहे थे। रिटेलर और डिस्ट्रीब्यूटर पुराने महंगे स्टॉक को निकालने पर ध्यान दे रहे थे। हालांकि, कंपनी के ‘नॉन-GST प्रभावित ब्रांड्स’ जैसे डाबर हनी, अनमोल कोकोनट ऑयल, गुलाबारी और हाजमोला जीरा ने अच्छा प्रदर्शन किया। कंपनी का मानना है कि उसके 60% भारतीय बिजनेस को नई GST दरों से फायदा मिलेगा, जिससे ग्राहकों की क्रय क्षमता बढ़ेगी और ग्रामीण व शहरी बाजारों में खपत में तेजी आएगी।
HUL ने कहा कि घटे हुए GST रेट्स से लंबे समय में कंजप्शन बढ़ेगा, लेकिन फिलहाल ऑर्डर टलने और डिस्ट्रीब्यूशन चैनल में बाधा आने से बिक्री पर असर पड़ा है। इस वजह से कंपनी की Q2 ग्रोथ “फ्लैट से लेकर लो-सिंगल डिजिट” तक रही। Marico ने बताया कि उसके 30% भारतीय बिजनेस को GST में कमी का फायदा मिलेगा। जुलाई-अगस्त में बिक्री स्थिर रही, लेकिन सितंबर में ट्रेड चैनल बाधित होने से वॉल्यूम ग्रोथ थोड़ी घटी।
गोडरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स (GCPL) ने भी कहा कि GST दरों में कमी से थोड़े समय के लिए डिस्ट्रीब्यूशन चैनल में बदलाव हुए हैं। रिटेलर्स ने पुराने स्टॉक बेचने पर ध्यान दिया, जिससे नए ऑर्डर देर से आए और मुनाफे पर असर पड़ा।
सितंबर की शुरुआत में GST काउंसिल ने चार स्लैब की जगह दो स्लैब (5% और 18%) लागू करने का फैसला किया। इससे रोजमर्रा के इस्तेमाल की वस्तुएं और खाद्य उत्पाद कम टैक्स स्लैब में आ गए। नई दरें 22 सितंबर से लागू हुईं, इसलिए कंज्यूमर्स ने खरीदारी नई कीमतों का इंतजार करते हुए टाल दी।
एनालिस्ट्स के मुताबिक, महामारी के बाद कंजप्शन में जो तेजी आई थी, वह अब थमी हुई है। हालांकि, आयकर में कटौती, GST रेट कटौती, और रेपो रेट में कमी जैसे कदम मिलकर डिमांड को बढ़ावा दे सकते हैं, खासकर शहरी इलाकों में जहां मांग पिछले एक साल से कमजोर है। ग्रामीण मांग फिलहाल मजबूत बनी हुई है, जो अच्छी फसल और बढ़ती मजदूरी से समर्थित है। HSBC रिसर्च का अनुमान है कि इन तीन नीतिगत कदमों से ग्राहकों को ₹2-2.5 लाख करोड़ तक का लाभ मिलेगा, जो उपभोग को बढ़ावा देगा।
सितंबर तिमाही में FMCG कंपनियों के नतीजे कमजोर रह सकते हैं, लेकिन प्रबंधन की टिप्पणियां और आगे की गाइडेंस निवेशकों के लिए अहम होंगी। दूसरी छमाही में त्योहारी मांग, घटती महंगाई, बेहतर मॉनसून और नीति सहयोग से स्थिति सुधरने की उम्मीद है।
पिछले तीन महीनों में NIFTY FMCG इंडेक्स लगभग 2% गिरा है। इस दौरान ब्रिटानिया में 0.6 फीसदी, नेस्ले इंडिया और मैरिको 3-3 फीसदी, डाबर इंडिया में 4 फीसदी और GCPL में 9 फीसदी की कमजोरी आई। दूसरी तरफ, HUL में 4 फीसदी और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स (TCPL) के शेयरों में तीन महीने की अवधि में लगभग 1% की वृद्धि हुई है। GST बदलावों से कुछ समय के लिए बाधा के बावजूद FMCG सेक्टर की लंबी अवधि की संभावनाएं सकारात्मक बनी हुई हैं।
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