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  1. सवाल इस साल सेंसेक्स में कितनी आई तेजी का नहीं... निवेशकों के झोली में आए पैसे का है, ये रहा जवाब

मार्केट न्यूज़

सवाल इस साल सेंसेक्स में कितनी आई तेजी का नहीं... निवेशकों के झोली में आए पैसे का है, ये रहा जवाब

विकास तिवारी

3 min read | अपडेटेड December 30, 2025, 13:02 IST

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सारांश

दलाल स्ट्रीट ने 2025 में वैश्विक चुनौतियों और विदेशी फंडों के पलायन के बावजूद अपनी मजबूती साबित की। सेंसेक्स ने 1 दिसंबर को 86,159 का रिकॉर्ड स्तर छुआ। टाटा कैपिटल और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे बड़े आईपीओ ने निवेशकों का उत्साह बढ़ाया।

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सेंसेक्स ने बनाया नया रिकॉर्ड

भारतीय शेयर बाजार के लिए साल 2025 मजबूती और बदलाव का साल रहा है। विदेशी निवेशकों द्वारा बड़े पैमाने पर की गई बिकवाली, वैश्विक तनाव और रुपये की कमजोरी जैसी तमाम बाधाओं के बावजूद दलाल स्ट्रीट के निवेशकों ने इस साल 30.20 लाख करोड़ रुपये की भारी कमाई की है। बीएसई के प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स में इस दौरान 8% से अधिक की तेजी देखी गई। बाजार के जानकारों का कहना है कि तमाम खराब परिस्थितियों के बाद भी भारतीय बाजार का टिकाऊ बने रहना देश की मजबूत अर्थव्यवस्था और जीडीपी विकास दर का सबूत है। इस साल बाजार की चाल ने यह साबित कर दिया कि अब भारतीय शेयर बाजार केवल विदेशी फंडों के भरोसे नहीं है, बल्कि घरेलू निवेशकों की ताकत इसे नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए काफी है।

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सेंसेक्स का रिकॉर्ड तोड़ सफर

29 दिसंबर 2025 तक के आंकड़ों के अनुसार, 30 शेयरों वाले बीएसई सेंसेक्स ने इस साल 6,556.53 अंकों यानी 8.39% की छलांग लगाई है। बाजार के लिए सबसे सुनहरा पल 1 दिसंबर को आया, जब सेंसेक्स ने 86,159.02 के अपने अब तक के सबसे ऊंचे स्तर को छुआ। इस शानदार तेजी के चलते बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन (mcap) 30,20,376.68 करोड़ रुपये बढ़कर 4,72,15,483.12 करोड़ रुपये (लगभग 5.25 ट्रिलियन डॉलर) पर पहुंच गया है। बता दें कि पिछले साल अप्रैल में ही बीएसई लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप पहली बार 400 लाख करोड़ रुपये के जादुई आंकड़े को पार कर गया था, जो अब 472 लाख करोड़ के पार निकल चुका है।

घरेलू निवेशकों ने बचाई बाजार की साख

साल 2025 को अगर ट्रांजिशन का साल कहा जाए तो गलत नहीं होगा। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FII) ने इस साल भारतीय बाजार से रिकॉर्ड 1.6 लाख करोड़ रुपये (लगभग 18 बिलियन डॉलर) की निकासी की। इसके बावजूद बाजार में बड़ी गिरावट नहीं आई, जिसका पूरा क्रेडिट घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) और रिटेल निवेशकों को जाता है। एसआईपी (SIP) के जरिए आने वाले निरंतर निवेश और आम लोगों की बढ़ती भागीदारी ने बाजार को वो सुरक्षा कवच प्रदान किया, जिसने विदेशी बिकवाली के असर को कम कर दिया।

आईपीओ की बाढ़ ने भरा जोश

बाजार की इस तेजी में रिकॉर्ड संख्या में आए इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग्स (IPOs) का भी बड़ा योगदान रहा। साल के सबसे बड़े आईपीओ में टाटा कैपिटल का 15,512 करोड़ रुपये का इश्यू सबसे ऊपर रहा। इसके बाद एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज ने 12,500 करोड़, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया ने 11,607 करोड़, हेक्सावेयर टेक्नोलॉजीज ने 8,750 करोड़, लेंसकार्ट ने 7,278 करोड़ और बिलियनब्रेन गैराज वेंचर्स ने 6,632 करोड़ रुपये बाजार से जुटाए। इन आईपीओ ने न केवल बाजार की लिक्विडिटी बढ़ाई, बल्कि नए निवेशकों को भी बाजार से जुड़ने का मौका दिया।

अगर कंपनियों की वैल्यूएशन की बात करें, तो रिलायंस इंडस्ट्रीज 20,91,173 करोड़ रुपये के मार्केट कैप के साथ देश की सबसे मूल्यवान कंपनी बनी हुई है। इसके बाद एचडीएफसी बैंक (15,25,457.75 करोड़), भारती एयरटेल (11,86,978.75 करोड़), टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (11,77,199.05 करोड़) और आईसीआईसीआई बैंक (9,60,478.36 करोड़) का स्थान आता है। विशेषज्ञों का मानना है कि 2020 से 2024 के बीच मिली भारी बढ़त के बाद 2025 का साल बाजार के लिए खुद को संभालने और स्थिर करने वाला रहा है, जहां से अब 2026 के लिए एक मजबूत आधार तैयार हो चुका है।

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लेखकों के बारे में

विकास तिवारी
Vikash Tiwary is a finance journalist with 6+ years of newsroom experience. He is currently growing Upstox Hindi, crafting data-driven stories on stocks, personal finance, mutual funds, and global markets, while exploring how AI can simplify finance. His work spans Zee Business, TV9 Bharatvarsh, ABP News, India TV, and Inshorts. He also holds NISM certification.

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