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3 min read | अपडेटेड November 19, 2025, 12:35 IST
सारांश
PMFBY: जंगली जानवरों द्वारा फसलों के नुकसान और धान जलभराव को कवर करने के लिए नई प्रक्रियाओं को औपचारिक रूप से मान्यता दे दी है। संशोधित प्रावधानों के मुताबिक जंगली जानवरों द्वारा फसल नुकसान को स्थानीयकृत जोखिम (Localised Risk) कैटेगरी के पांचवें ‘ऐड-ऑन कवर’ के रूप में मान्यता दी गई है।

पीएम फसल बीमा योजना के तहत किसानों को मिला बड़ा गिफ्ट
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत किसान भाई-बहनों को बड़ी सौगात दी है। मंत्रालय ने जंगली जानवरों द्वारा फसलों के नुकसान और धान जलभराव को कवर करने के लिए नई प्रक्रियाओं को औपचारिक रूप से मान्यता दे दी है। संशोधित प्रावधानों के मुताबिक जंगली जानवरों द्वारा फसल नुकसान को स्थानीयकृत जोखिम (Localised Risk) कैटेगरी के पांचवें ‘ऐड-ऑन कवर’ के रूप में मान्यता दी गई है। राज्य सरकारें जंगली जानवरों की लिस्ट अधिसूचित करेंगी और ऐतिहासिक आंकड़ों के आधार पर अत्यधिक प्रभावित जिलों/बीमा इकाइयों की पहचान करेंगी।
किसान को फसल नुकसान की सूचना 72 घंटे के भीतर फसल बीमा ऐप पर जियो-टैग्ड फोटो के साथ दर्ज करनी होगी। यह फैसला विभिन्न राज्यों की लंबे समय से चली आ रही मांगों के हिसाब से है और किसानों को अचानक, लोकलाइज्ड और गंभीर फसल क्षति से सुरक्षा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ये प्रक्रियाएं PMFBY परिचालन दिशानिर्देशों के अनुसार वैज्ञानिक, पारदर्शी और व्यवहारिक बनाई गई हैं, और खरीफ 2026 से पूरे देश में लागू की जाएंगी।
देशभर में किसान लंबे समय से हाथी, जंगली सूअर, नीलगाय, हिरण और बंदरों जैसे जंगली जानवरों के हमलों के कारण बढ़ते फसल नुकसान का सामना कर रहे हैं। यह समस्या खासकर वन क्षेत्रों, वन गलियारों और पहाड़ी इलाकों के निकट बसे किसानों में अधिक देखी जाती है। अब तक ऐसे नुकसान फसल बीमा योजना के दायरे में नहीं आते थे, जिसके कारण किसानों को भारी आर्थिक हानि उठानी पड़ती थी। दूसरी ओर, तटीय और बाढ़ संभावित क्षेत्रों में धान की खेती करने वाले किसानों को बारिश और नदी-नालों के उफान से होने वाले जलभराव के कारण समान रूप से भारी नुकसान उठाना पड़ता रहा है।
साल 2018 में इस जोखिम को लोकलाइज्ड आपदा कैटेगरी से हटाए जाने से किसानों के लिए एक बड़ा संरक्षण अंतर उत्पन्न हो गया था। इन उभरती चुनौतियों को देखते हुए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने एक विशेषज्ञ समिति गठित की। समिति की रिपोर्ट को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अप्रूव कर दिया है। इस महत्वपूर्ण फैसले के साथ अब स्थानीय लेवल पर फसल नुकसान झेलने वाले किसानों को PMFBY के तहत समयबद्ध और तकनीक-आधारित दावा निपटान का लाभ मिलेगा।
इस प्रावधान का सबसे अधिक लाभ ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, उत्तराखंड और हिमालयी और उत्तर-पूर्वी राज्यों जैसे असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश के किसानों को होगा, जहां जंगली जानवरों द्वारा फसल क्षति एक प्रमुख चुनौती है। धान जलभराव को लोकलाइज्ड आपदा श्रेणी में फिर से शामिल किए जाने से तटीय और बाढ़ संभावित राज्यों जैसे ओडिशा, असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक,महाराष्ट्र और उत्तराखंड के किसानों को डायरेक्ट फायदा मिलेगा, जहां जलभराव से धान की फसल का नुकसान हर साल दोहराया जाता है। जंगली जानवरों द्वारा फसल नुकसान और धान जलभराव दोनों को शामिल किए जाने से PMFBY और अधिक समावेशी, उत्तरदायी और किसान हितैषी बन गया है, जो भारत की फसल बीमा प्रणाली को और अधिक मजबूत और लचीला बनाने में सहायक सिद्ध होगा।
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