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3 min read | अपडेटेड January 16, 2025, 15:56 IST
सारांश
8th Pay Commission: बजट 2025 के पहले हुई बैठकों में केंद्र सरकार से कई वर्गों ने यह अपील की थी कि वेतन और पेंशन में बदलाव के लिए 8वें वेतन आयोग का गठन किया जाए।
सरकार ने पहले किया था 8वें वेतन आयोग के विचार से इनकार
केंद्र सरकार के कर्मचारियों को बजट 2025 आने के पहले एक बड़ा तोहफा मिला है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को ऐलान किया है कि वेतन और पेंशनधारकों के भत्तों में बदलाव के लिए 8वें वेतन आयोग का गठन किया जाएगा। इसे लेकर लंबे वक्त से मांग उठ रही थी लेकिन दिसंबर में सरकार ने बताया था कि उसका ऐसा करने का विचार नहीं है। हालांकि, इस हालिया ऐलान से केंद्र सरकार के कर्मचारियों को राहत मिलने वाली है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में 8वें वेतन आयोग के गठन का निर्णय लिया गया है। इससे पहले साल 2016 में बनाए गए 7वें वेतन आयोग की अवधि 2026 में समाप्त हो रही है। वैष्णव ने यह भी बताया है कि आयोग के चेयरमैन और दो सदस्यों की नियुक्ति जल्द ही की जाएगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट 2025 के पहले की गई बैठक में ट्रेड यूनियनों ने आयोग के गठन की मांग को दोहराया था। भारतीय मजदूर संघ के संगठन सचिव (उत्तरी क्षेत्र) पवन कुमार ने ऐसी ही एक बैठक में आयोग के तत्काल गठन की मांग की थी।
नेशनल काउंसिल ऑफ जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी के कर्मचारी लंबे वक्त से फिटमेंट फैक्टर को बढ़ाने की वकालत कर रहे थे। फिटमेंट फैक्टर करंट बेसिक पे के ऊपर लगने वाला मल्टिप्लायर है। यह रिवाइज किए गए पे स्ट्रक्चर को तय करता है।
उम्मीद की जा रही थी कि इसे 2.86 किया जाएगा। बढ़ती महंगाई के चलते खर्चों में होते इजाफे और चुनौतीपूर्ण हो रही कॉस्ट ऑफ लिविंग, खासकर बड़े शहरों में इस मांग के पीछे सबसे बड़ी वजह थी। हालांकि, केंद्र सरकार दिसंबर में कह चुकी थी कि उसका ऐसा करने का कोई विचार नहीं है।
आखिरी बार 7वें वेतन आयोग ने 2.57 का फिटमेंट फैक्टर का प्रस्ताव दिया था जिसे 2016 में लागू किया गया है। इसके बाद न्यूनतम वेतन ₹7,000 से ₹17,990 पर पहुंच गया था। 2.86 फिटमेंट फैक्टर करने से बेसिक सैलरी ₹17,990 से ₹51,451 पर पहुंच जाएगी।
वेतन आयोग बनने से पेंशन, वेतन जैसे भत्तों को अपडेट करने के प्रस्ताव दिए जाएंगे। इससे मौजूदा कर्मचारियों से लेकर पेंशनधारकों तक के हाथ में खर्च पूरे करने के लिए राशि आ सकेगी। इससे न सिर्फ उनके वित्तीय हालात सुधरेंगे, बल्कि ज्यादा खपत के साथ ज्यादा मांग बढ़ने से अर्थव्यवस्था को भी फायदा होगा।
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