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  1. रिलायंस ने रूसी कच्चे तेल का आयात 20 नवंबर से कहां पर किया बंद, क्यों लेना पड़ा ऐसा फैसला?

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रिलायंस ने रूसी कच्चे तेल का आयात 20 नवंबर से कहां पर किया बंद, क्यों लेना पड़ा ऐसा फैसला?

Upstox

2 min read | अपडेटेड November 21, 2025, 09:49 IST

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सारांश

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने गुजरात के जामनगर स्थित अपने स्पेशल इकनॉमिक जोन (SEZ) रिफाइनरी में रूसी कच्चे तेल का आयात 20 नवंबर से बंद कर दिया, कंपनी ने गुरुवार देर शाम एक बयान में कहा। यह कदम रूसी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर अमेरिकी प्रतिबंधों के 21 नवंबर से लागू होने से कुछ घंटे पहले उठाया गया है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड

रूसी तेल को लेकर रिलायंस इंडस्ट्रीज का बड़ा कदम

Reliance Industries Ltd. (RIL) ने गुरुवार को कहा कि उसने गुजरात के जामनगर में अपनी सिर्फ निर्यात वाली रिफाइनरी में रूसी कच्चे तेल का इस्तेमाल रोक दिया है। कंपनी ने यूरोपीय संघ (ईयू) की पाबंदियों के चलते यह फैसला लिया है। रिलायंस भारत में रूसी कच्चे तेल की सबसे बड़ी खरीदार है, जिसे वह जामनगर में अपने बड़े तेल शोधन परिसर में शोधित कर पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन में बदलती है। यह परिसर दो रिफाइनरियों से बना है, एक एसईजेड यूनिट जिससे यूरोपीय संघ, अमेरिका और दूसरे बाजारों में ईंधन निर्यात किया जाता है, और दूसरी पुरानी इकाई जो घरेलू बाजार की जरूरतें पूरी करती है।

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यूरोपीय संघ रिलायंस के लिए एक बड़ा बाजार है और उसने रूस के एनर्जी रेवेन्यू को निशाना बनाते हुए बड़े पैमाने पर पाबंदियां लगाई हैं। इसमें रूसी कच्चे तेल से बने ईंधन के निर्यात और बिक्री पर रोक लगाने वाले उपाय भी शामिल हैं। ऐसे में रिलायंस ने अपनी सिर्फ निर्यात वाली एसईजेड रिफाइनरी में रूसी कच्चे तेल का शोधन बंद कर दिया है। कंपनी के प्रवक्ता ने बताया, ‘हमने 20 नवंबर से अपनी एसईजेड रिफाइनरी में रूसी कच्चे तेल का आयात बंद कर दिया है।’ रिलायंस ने कहा कि 1 दिसंबर से उसकी एसईजेड रिफाइनरी से निर्यात होने वाले सभी उत्पाद गैर-रूसी कच्चे तेल से बने होंगे। यह कदम रूसी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर अमेरिकी प्रतिबंधों के 21 नवंबर से लागू होने से कुछ घंटे पहले उठाया गया है।

क्यों यह फैसला है इतना अहम?

भारत के रूसी तेल आयात में इन दोनों प्रतिबंधित संस्थाओं की हिस्सेदारी 60-70% है। आरआईएल का रोजनेफ्ट से लगभग 5,00,000 बैरल प्रतिदिन (बीपीडी) तेल खरीदने का लॉन्ग-टर्म कॉन्ट्रैक्ट था, जिसकी नायरा एनर्जी में 49% हिस्सेदारी है। अधिकांश भारतीय तेल कंपनियां अब रूस से तेल खरीद रोक रही हैं, जिससे अमेरिका को भेजे जाने वाले भारतीय सामानों पर 25% फाइन पर पुनर्विचार का रास्ता साफ हो सकता है। यह घटनाक्रम संभावित रूप से भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते का आधार तैयार करता है, जिससे 25% पारस्परिक शुल्क में ढील दी जा सकती है।

भाषा इनपुट के साथ
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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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