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4 min read | अपडेटेड December 31, 2025, 09:58 IST
सारांश
आज 31 दिसंबर को देश भर में जोमेटो, स्विगी, ब्लिंकिट और फ्लिपकार्ट जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स के हजारों डिलीवरी पार्टनर्स हड़ताल पर हैं। वेतन में कटौती और सुरक्षा की कमी के विरोध में यह कदम उठाया गया है। नए साल के जश्न के बीच खाने और जरूरी सामान की डिलीवरी में बड़ी देरी या कैंसिलेशन का सामना करना पड़ सकता है।

डिलीवरी पार्टनर्स ने आज देशव्यापी हड़ताल का एलान किया है।
आज जब पूरा देश नए साल के स्वागत की तैयारियों में जुटा है, तब ऑनलाइन खाना और सामान मंगाने वालों को बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। देश भर में स्विगी, जोमेटो, ब्लिंकिट, जेप्टो, एमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसी दिग्गज कंपनियों के हजारों डिलीवरी पार्टनर्स ने हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। इस देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के कारण नए साल की पूर्व संध्या पर होने वाली डिलीवरी सेवाओं में भारी देरी या ऑर्डर कैंसल होने की आशंका बढ़ गई है। आमतौर पर साल का आखिरी दिन इन कंपनियों के लिए सबसे व्यस्त दिनों में से एक होता है, लेकिन कर्मचारियों के सामूहिक रूप से लॉग ऑफ करने से आज पूरे देश में सप्लाई चेन प्रभावित हो सकती है।
तेलंगाना गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन के साथ-साथ इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स ने इस हड़ताल का आह्वान किया है। यूनियनों का दावा है कि दिल्ली-एनसीआर, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के कई हिस्सों से कर्मचारी इस विरोध में शामिल होंगे। दिल्ली, हैदराबाद, बेंगलुरु, पुणे और कोलकाता जैसे महानगरों में ग्राहकों को लंबी प्रतीक्षा और सीमित उपलब्धता का सामना करना पड़ सकता है। डिलीवरी पार्टनर्स ने तय किया है कि वे या तो आज अपने ऐप्स पर लॉग इन नहीं करेंगे या फिर काम को काफी सीमित कर देंगे। इससे उन रेस्टोरेंट्स और रिटेलर्स पर भी बुरा असर पड़ेगा जो पूरी तरह से इन ऐप आधारित लॉजिस्टिक्स सेवाओं पर निर्भर रहते हैं।
डिलीवरी पार्टनर्स की इस नाराजगी के पीछे कई गंभीर कारण हैं। यूनियन प्रतिनिधियों का कहना है कि यह हड़ताल गिरती कमाई, काम के बढ़ते घंटों और बुनियादी श्रम सुरक्षा की कमी के खिलाफ एक बड़ा विरोध है। कर्मचारियों की मुख्य शिकायत यह है कि प्रति ऑर्डर मिलने वाला पैसा लगातार कम हो रहा है, जबकि काम का बोझ बढ़ता जा रहा है। इसके अलावा, उन्हें किसी भी तरह का बीमा कवर नहीं दिया जाता है और ऑटोमेटेड सिस्टम के जरिए उन पर मनमाने तरीके से पेनल्टी लगा दी जाती है। कंपनियों द्वारा उन्हें पार्टनर कहा जाता है, लेकिन असलियत में उनके पास नौकरी की कोई सुरक्षा नहीं है। असुरक्षित कार्य परिस्थितियों ने भी उनके गुस्से को भड़काने का काम किया है।
दिसंबर का आखिरी दिन भोजन, किराना और ऑनलाइन खरीदारी के लिए भारी मांग वाला दिन होता है। जश्न मनाने के लिए लोग बड़ी संख्या में ऑनलाइन ऑर्डर करते हैं और कंपनियां भी साल के अंत में बड़ी सेल चलाती हैं। विश्लेषकों का मानना है कि लास्ट-माइल डिलीवरी में किसी भी तरह की रुकावट से कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन और साख पर असर पड़ेगा। हालांकि, हड़ताल के आयोजकों का कहना है कि उनका मकसद ग्राहकों को परेशान करना नहीं है, बल्कि कंपनियों को अपनी समस्याओं की ओर ध्यान दिलाने के लिए मजबूर करना है। वे चाहते हैं कि कंपनियां उनके वेतन मॉडल में सुधार करें, उन्हें सामाजिक सुरक्षा का लाभ दें और काम करने की नीतियों को पूरी तरह से पारदर्शी बनाएं।
यूनियनों ने साफ कर दिया है कि वे तब तक अपना विरोध जारी रखेंगे जब तक कंपनियां उनके साथ मेज पर बैठकर ठोस चर्चा नहीं करतीं। उनकी प्रमुख मांगों में वेतन का एक उचित ढांचा तैयार करना और पारदर्शिता लाना शामिल है। फिलहाल, ग्राहकों को सलाह दी गई है कि वे आज अपनी जरूरतों के लिए वैकल्पिक इंतजाम रखें या ऑर्डर करते समय देरी के लिए तैयार रहें। नए साल के व्यस्त समय में इस तरह की हड़ताल कंपनियों के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। अब देखना यह होगा कि जोमेटो और स्विगी जैसी कंपनियां अपने ग्राहकों को सर्विस देने के लिए क्या कदम उठाती हैं और डिलीवरी पार्टनर्स की मांगों पर उनका क्या रुख रहता है।
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