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2026 में मुद्रास्फीति का स्तर कम रहने का अनुमान, नई सीपीआई सीरीज कब होगी जारी, होगा क्या फायदा?

Upstox

4 min read | अपडेटेड December 30, 2025, 13:49 IST

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सारांश

सीपीआई आधारित रिटेल महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक के सहज दायरे (2 से 6 %) के अंदर बनी हुई है और अगले साल भी इसी स्तर पर रहने के आसार हैं। इससे आने वाले महीनों में केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में कम से कम एक और कटौती का अनुमान भी है।

रिटेल महंगाई

2026 में मुद्रास्फीति का स्तर कम रहने का अनुमान

खाने-पीने की चीजों की कीमतों में नरमी और माल एवं सेवा कर (Goods and Services Tax, GST) में कटौती से इस साल महंगाई की स्थिति अनुकूल रहने के बाद भारत, 2026 में रिटेल महंगाई को लक्ष्य बनाने से जुड़े मौद्रिक नीति ढांचे में बदलाव और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index, CPI) की गणना की पद्धति में संशोधन की तैयारी कर रहा है। सीपीआई आधारित रिटेल महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक के सहज दायरे (2 से 6 %) के अंदर बनी हुई है और अगले साल भी इसी स्तर पर रहने के आसार हैं। इससे आने वाले महीनों में केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में कम से कम एक और कटौती का अनुमान भी है।

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जीएसटी सुधारों से क्या हुआ फायदा?

खाने-पीने की चीजों की कीमतों में नरमी के अलावा, सरकार द्वारा सितंबर में करीब 400 वस्तुओं एवं सेवाओं पर जीएसटी की दरों में कटौती के फैसले से भी देश में मूल्य स्थिति को और बेहतर बनाने में मदद मिली है। थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index, WPI) आधारित मुद्रास्फीति दर ने भी 2025 के दौरान महंगाई के दबाव में स्पष्ट नरमी के संकेत दिए। साल के शुरुआती महीनों में डब्ल्यूपीआई आधारित महंगाई बढ़ी, लेकिन इसमें लगातार गिरावट दर्ज की गई, जो खासकर खाद्य और ईंधन श्रेणियों में कीमतों के दबाव के कम होने को दर्शाती है।

थोक मुद्रास्फीति में जून में गिरावट आई और यह रुख आगे भी जारी रहा। जुलाई और अक्टूबर में भी यह घटती गई। सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति या कुल महंगाई नवंबर 2024 से घटने लगी और इसके बाद जून 2025 तक यह रिजर्व बैंक के सहज दायरे (2 से 4%) में बनी रही। इसके बाद यह 2% से नीचे आ गई। सीपीआई में लगभग 48% हिस्सेदारी रखने वाली खाद्य महंगाई जनवरी में करीब 6% से घटनी शुरू हुई और जून में यह शून्य से नीचे आ गई। ताजा आंकड़ों के अनुसार नवंबर में खाद्य महंगाई शून्य से नीचे 3.91% पर रही।

नई सीपीआई सीरीज कब की जाएगी जारी?

केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण व्यवस्था के संबंध में पहले ही एक परामर्श पत्र जारी कर चुका है। इस बीच, सरकार एक नई सीपीआई सीरीज पर काम कर रही है, जिसका आधार वर्ष 2024 = 100 होगा। इसमें सूचकांक संकलन में प्रयुक्त ‘कवरेज’, मदों की सूची, भार और कार्यप्रणाली में व्यापक संशोधन किया जाएगा। एक दशक से अधिक समय बाद किया जा रहा यह अभ्यास मुद्रास्फीति के आंकड़ों की प्रतिनिधित्व क्षमता, विश्वसनीयता, सटीकता और समग्र गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार लाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। नई सीरीज फरवरी में जारी की जाएगी।

आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मुद्रास्फीति संबंधी अनुमानों पर कहा कि 2026-27 की पहली छमाही में शीर्ष मुद्रास्फीति 4% के लक्ष्य के करीब रहने का अनुमान है। कीमती धातुओं के अलावा मुद्रास्फीति के काफी कम रहने की संभावना है जैसा कि 2024 की शुरुआत से ही रुझान रहा है। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘2026 में मुद्रास्फीति का सबसे महत्वपूर्ण पहलू नया सूचकांक और उसकी संरचना होगी, जो किसी भी यथार्थवादी पूर्वानुमान को प्रभावित कर सकती है क्योंकि यह फरवरी 2026 तक लागू हो जाना चाहिए।’ रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि डब्ल्यूपीआई और सीपीआई के बीच अंतर इनके भार निर्धारण की पद्धति और इन सूचकांकों के दायरे में अंतर के कारण है। नए साल में मुद्रास्फीति के परिदृश्य पर क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहा कि सीपीआई और डब्ल्यूपीआई दोनों ने इस साल काफी चौंकाने वाले रिजल्ट्स दिए हैं, जिसमें प्रत्येक महीने उम्मीद से कम आंकड़े दर्ज किए गए हैं।

2025-26 की आखिरी बाय-मंथली मॉनिटरी पॉलिसी कब?

जोशी ने कहा, ‘बेहद कम मुद्रास्फीति ने आरबीआई को ब्याज दरों में कटौती करने का अवसर प्रदान किया, जबकि वृद्धि दर रुझान से ऊपर बनी रही। भविष्य में हम उम्मीद करते हैं कि उपभोक्ता मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2026-27 में बढ़कर 5% हो जाएगी, जिसका मुख्य कारण ‘बेस इफेक्ट’ है जबकि ब्याज दरें 5.25% पर स्थिर रहने का अनुमान है। हालांकि, पहले से घोषित ब्याज दरों में कटौती का प्रभाव जारी रहने की उम्मीद है।’ भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए आखिरी बाय-मंथली मॉनिटरी पॉलिसी 4 से 6 फरवरी 2026 के दौरान निर्धारित है।

PTI इनपुट के साथ
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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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