बिजनेस न्यूज़
4 min read | अपडेटेड August 26, 2025, 13:03 IST
सारांश
भारतीय सामानों को अमेरिका भेजने पर 50% टैरिफ 27 अगस्त से लगेगा। इसके चलते कुछ सेक्टर्स बुरी तरह प्रभावित होने वाले हैं। चलिए एक नजर डालते हैं कि किन-किन सेक्टरों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ेगा और कौन-कौन से सेक्टर्स इससे अछूते रहेंगे।
27 अगस्त से अमेरिका भारत पर ठोकने जा रहा है 25% एडिशनल टैरिफ
अमेरिका में जाने वाले भारतीय सामानों पर 50% का हाइ टैरिफ 27 अगस्त से प्रभावी होगा, जिससे झींगा, टेक्सटाइल, लेदर, रत्न और आभूषण जैसे कई श्रम-प्रधान एक्सपोर्ट सेक्टर्स बुरी तरह प्रभावित होंगे। हाइ एडिशनल एक्सपोर्ट टैरिफ से अमेरिका को भारत द्वारा किए जाने वाले 86 अरब अमेरिकी डॉलर के एक्सपोर्ट में से आधे से अधिक प्रभावित होंगे जबकि दवा, इलेक्ट्रॉनिक और पेट्रोलियम प्रोडक्टों समेत बची हुई चीजों को टैरिफ से छूट जारी रहेगी।
अमेरिकी अधिसूचना के अनुसार, ‘टैरिफ उन भारतीय प्रोडक्ट्स पर लागू होगा जिन्हें 27 अगस्त 2025 को ‘ईस्टर्न डेलाइट टाइम’ (EDT) के हिसाब से रात 12 बजकर एक मिनट या उसके बाद उपभोग के लिए (देश में) लाया गया है या गोदाम से निकाला गया है।’ अमेरिकी मार्केट में जाने वाले भारतीय सामानों पर मौजूदा समय में 25% एडिशनल टैरिफ पहले से ही लागू है। रूसी कच्चे तेल और सैन्य उपकरणों की खरीद के कारण 27 अगस्त से 25% एडिशनल टैरिफ लगाया जा रहा है। इस तरह से भारत से जाने वाली चीजों पर कुल 50% टैरिफ लगेगा।
निर्यातकों के अनुसार, इस ‘निषेधात्मक’ टैरिफ के कारण अनेक भारतीय वस्तुएं अमेरिकी मार्केट से बाहर हो जाएंगी क्योंकि बांग्लादेश, वियतनाम, श्रीलंका, कंबोडिया और इंडोनेशिया जैसे प्रमुख प्रतिस्पर्धी देशों के प्रोडक्ट्स पर टैरिफ काफी कम है। कुछ कंपनियां बढ़े हुए टैरिफ लागू होने से पहले ही अमेरिका को माल की खेप भेज रही हैं। जुलाई के व्यापार आंकड़ों में यह बात साफ दिखाई दे रही है। भारत का अमेरिका को माल निर्यात जुलाई में 19.94% बढ़कर 8.01 अरब डॉलर हो गया, जबकि आयात 13.78% बढ़कर करीब 4.55 अरब डॉलर हो गया। अप्रैल-जुलाई के दौरान अमेरिका को देश का निर्यात 21.64% बढ़कर 33.53 अरब डॉलर हो गया, जबकि आयात 12.33% बढ़कर 17.41 अरब डॉलर रहा।
चमड़ा और जूते-चप्पल इंडस्ट्री के एक अधिकारी ने बताया कि जब तक दोनों देशों के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर स्पष्टता नहीं आ जाती, तब तक कंपनियों को कर्मचारियों की संख्या कम करने और प्रोडक्शन रोकने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। बीटीए का उद्देश्य वस्तुओं एवं सेवाओं के द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 191 अरब डॉलर से दोगुना कर 500 अरब डॉलर तक पहुंचाना है।
एईपीसी (परिधान निर्यात संवर्धन परिषद) के महासचिव मिथिलेश्वर ठाकुर ने कहा कि 10.3 अरब अमेरिकी डॉलर के निर्यात के साथ टेक्सटाइल सेक्टर सबसे अधिक प्रभावित सेक्टरों में से एक है। उन्होंने कहा, ‘उद्योग ने अमेरिका द्वारा घोषित 25% पारस्परिक टैरिफ से सामंजस्य बैठा लिया है.. क्योंकि वह टैरिफ वृद्धि के एक हिस्से को वहन करने के लिए तैयार है। भारतीय परिधान उद्योग को 25% के अतिरिक्त बोझ ने अमेरिकी मार्केट से प्रभावी रूप से बाहर कर दिया है क्योंकि बांग्लादेश, वियतनाम, श्रीलंका, कंबोडिया और इंडोनेशिया जैसे प्रमुख प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में 30-31% के टैरिफ अंतर को पाटना लगभग असंभव है।’
आर्थिक शोध संस्थान ‘ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव’ (जीटीआरआई) ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ से भारत के अमेरिका को होने वाले 86.5 अरब डॉलर के निर्यात में से 66% पर असर पड़ेगा। 27 अगस्त से 60.2 अरब डॉलर मूल्य के प्रोडक्ट्स पर 50% टैरिफ लगेगा जिनमें कपड़ा, रत्न और झींगा शामिल हैं। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘27 अगस्त 2025 से प्रभावी अमेरिका का नया टैरिफ सिस्टम, हाल के सालों में भारत के सामने आए सबसे गंभीर व्यापार झटकों में से एक है। भारत के अमेरिका को 86.5 अरब डॉलर के निर्यात का दो-तिहाई से अधिक हिस्सा अब 25-50% के निषेधात्मक टैरिफ के अधीन है, जिससे कपड़ा, रत्न एवं आभूषण, झींगा, कालीन व फर्नीचर जैसे महत्वपूर्ण श्रम-प्रधान क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा तथा रोजगार में भारी गिरावट आ रही है।’
उन्होंने कहा कि अमेरिका के नए टैरिफ सिस्टम के कारण वित्त वर्ष 2025-26 में भारत का अमेरिका को निर्यात लगभग 49.6 अरब अमेरिकी डॉलर तक गिर जाने की आशंका है। श्रीवास्तव ने कहा कि चीन, वियतनाम, मेक्सिको, तुर्किये और यहां तक कि पाकिस्तान, नेपाल, ग्वाटेमाला और केन्या जैसे प्रतिस्पर्धियों को लाभ होगा। यहां तक कि टैरिफ वापस लिए जाने के बाद भी भारत प्रमुख बाजारों से बाहर हो सकता है।
संबंधित समाचार
इसको साइनअप करने का मतलब है कि आप Upstox की नियम और शर्तें मान रहे हैं।
लेखकों के बारे में
अगला लेख
इसको साइनअप करने का मतलब है कि आप Upstox की नियम और शर्तें मान रहे हैं।