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  1. Grameen Credit Score: क्या है ग्रामीण क्रेडिट स्कोर जिससे गांवों में कर्ज मिलना होगा आसान? डीटेल में समझें

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Grameen Credit Score: क्या है ग्रामीण क्रेडिट स्कोर जिससे गांवों में कर्ज मिलना होगा आसान? डीटेल में समझें

Upstox

3 min read | अपडेटेड March 20, 2025, 08:24 IST

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सारांश

Grameen Credit Score: केंद्रीय बजट 2025-26 में ग्रामीण क्रेडिट स्कोर का ऐलान किया गया था। आम क्रेडिट स्कोर सिस्टम से अलग इसमें ग्रामीण इलाकों के कर्जदारों के असेसमेंट के लिए मॉडल बनाया जाएगा। इससे स्वयं सहायता समूह, किसानों, पिछड़े वर्गों को कर्ज मिलना आसान हो सकेगा।

मौजूदा सिस्टम में ग्रामीण इलाकों के लिए नहीं है खास प्रावधान, जहां जरूरतें और खर्च शहरी परिवेश से काफी अलग होते हैं। (तस्वीर: Shutterstock)

मौजूदा सिस्टम में ग्रामीण इलाकों के लिए नहीं है खास प्रावधान, जहां जरूरतें और खर्च शहरी परिवेश से काफी अलग होते हैं। (तस्वीर: Shutterstock)

ग्रामीण आबादी, खासकर किसानों और पिछड़े वर्गों को आसानी से संस्थागत क्रेडिट मिले, इसके लिए केंद्र सरकार ग्रामीण क्रेडिट स्कोर (Grameen Credit Score) पर काम कर रही है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के राज्य मंत्री डॉ. चंद्रसेखर का कहना है कि सरकार इसके लिए अलग-अलग हितधारकों से बात कर रही है।

क्या है ग्रामीण क्रेडिट स्कोर?

ग्रामीण क्रेडिट स्कोर का ऐलान केंद्रीय बजट 2025-26 के तहत किया गया था। यह ऐसा फ्रेमवर्क है जिसे पब्लिक सेक्टर बैंक डिवेलप कर रही हैं ताकि ग्रामीण इलाकों में, स्वयं सहायता समूहों को क्रेडिट आसानी से मिल सके। मौजूदा क्रेडिट स्कोर सिस्टम में ग्रामीण क्षेत्र के लिए अलग से प्रावधान नहीं हैं। इसकी कमियों को पूरा करने के लिए यह कदम उठाया गया है।

मौजूदा क्रेडिट स्कोर मॉडल से कैसे अलग?

क्रेडिट स्कोर किसी लेनदार की कर्ज लेने की क्षमता को दिखाता है। इसके आधार पर देनदार समझते हैं कि कर्ज देने पर वापसी हो सकती है या नहीं। इसमें पहले से बकाये, आयकर रिटर्न जैसी चीजें काम आती हैं।

आमतौर पर क्रेडिट स्कोर पर पहले चुकाये गए बकाये, क्रेडिट के इस्तेमाल और कब-कब क्रेडिट लिया गया, ऐसी चीजों पर फोकस होता है। हालांकि, ग्रामीण या पिछड़े इलाकों में किसी का संस्थागत क्रेडिट का इतिहास सीमित हो सकता है। ऐसे में उसे सामान्य क्रेडिट स्कोर का फायदा शायद ना मिले।

ग्रामीण इलाकों की जरूरतें और खर्च भी आम या शहरी लेनदारों से अलग हो सकती हैं। इसमें मौसम के साथ आमदनी में होना वाला बदलाव और वस्तुओं-सेवाओं के इस्तेमाल के अलग-अलग ट्रेंड्स हो सकते हैं।

ग्रामीण क्रेडिट स्कोर इस अंतर को पाटने की कोशिश करता है। इसके जरिए ग्रामीण क्षेत्रों के हिसाब से सटीक और व्यापक जानकारी पर फोकस किया जाएगा। ग्रामीण क्रेडिट स्कोरिंग मॉडल के तहत खास ग्रामीण परिवेश और SHGs के मुताबिक स्कोर तय किए जाएंगे। ग्रामीण क्रेडिट स्कोर में शिक्षा, रोजगार का इतिहास, किराया और खर्च के पैटर्न के हिसाब से स्कोर बनेगा।

केंद्रीय वित्तीय विभाग के मुताबिक पब्लिक सेक्टर बैंक भारतीय रिजर्व बैंक के साथ मिलकर ग्रामीण इलाकों और SHGs के लिए स्कोरिंग मॉडल पर काम कर रही हैं।

ग्रामीण क्रेडिट स्कोर का क्या फायदा?

केंद्र सरकार ग्रामीण और पिछड़े इलाकों के विकास पर खास ध्यान केंद्रित कर रही है। ऐसे में ग्रामीण क्रेडिट स्कोर एक अहम कदम साबित हो सकता है। इसके जरिए सस्ता और किफायती क्रेडिट संस्थागत और औपचारिक रास्ते से मिलने से ब्याज के अतिरिक्त बोझ से ग्रामीणों, खासकर किसानों को बचाया जा सकेगा।

इस क्रेडिट मूल्यांकन के जरिए वित्तीय समावेशन को भी बढ़ावा मिलेगा। साथ ही खेती में निवेश को भी बढ़ाया जा सकेगा। यही नहीं, क्रेडिट आसानी से मिलने पर ग्रामीण इलाकों में व्यापार में भी तेजी आएगी जिससे स्थानीय समुदायों को सशक्त किया जा सकेगा।

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