return to news
  1. लोन लेने के बाद व्यक्ति की हो जाए मौत, तो किसकी होगी EMI की जिम्मेदारी? गारंटर बनने से पहले समझ लें नियम

पर्सनल फाइनेंस

लोन लेने के बाद व्यक्ति की हो जाए मौत, तो किसकी होगी EMI की जिम्मेदारी? गारंटर बनने से पहले समझ लें नियम

Upstox

3 min read | अपडेटेड October 17, 2025, 10:39 IST

Twitter Page
Linkedin Page
Whatsapp Page

सारांश

लोन लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु के बाद कर्ज चुकाने की जिम्मेदारी किसकी होती है, यह लोन के प्रकार पर निर्भर करता है। सिक्योर्ड लोन और अनसिक्योर्ड लोन में अलग-अलग नियम हैं। चलिए इसे डीटेल में समझते हैं।

loan-after-borrower-death-know-guarantor-bank-rules

अगर किसी कर्जदार की मृत्यु हो जाती है तो लोन कौन भरेगा?

अक्सर लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंक से लोन लेते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर लोन चुकाने से पहले ही व्यक्ति की मृत्यु हो जाए तो उस कर्ज का क्या होता है? क्या बैंक उस लोन को माफ कर देता है या फिर उसकी वसूली परिवार वालों से की जाती है? यह एक ऐसा सवाल है जो हर कर्जदार और गारंटर के मन में होना चाहिए। लोन की जिम्मेदारी कई बातों पर निर्भर करती है, जैसे लोन सिक्योर्ड है या अनसिक्योर्ड, कोई सह-आवेदक या गारंटर है या नहीं। आइए इस खबर में इसे विस्तार से समझते हैं।

Open FREE Demat Account within minutes!
Join now

सिक्योर्ड और अनसिक्योर्ड लोन के अलग-अलग नियम

सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि लोन दो तरह के होते हैं- सिक्योर्ड और अनसिक्योर्ड। होम लोन या कार लोन सिक्योर्ड लोन की कैटेगरी में आते हैं, क्योंकि इसमें आपका घर या गाड़ी बैंक के पास गारंटी के तौर पर होती है। ऐसे में अगर कर्जदार की मृत्यु हो जाती है तो बैंक बकाए की वसूली के लिए उस प्रॉपर्टी को बेच सकता है। वहीं, पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड का बकाया अनसिक्योर्ड लोन होता है, क्योंकि इसमें कोई गारंटी नहीं ली जाती। इस स्थिति में बैंक परिवार के सदस्यों या कानूनी वारिस पर कर्ज चुकाने का दबाव नहीं डाल सकता और अक्सर ऐसे कर्ज को बट्टे खाते (NPA) में डाल दिया जाता है।

गारंटर की भूमिका क्या होती है?

अगर लोन लेते समय कोई सह-आवेदक (Co-applicant) है, तो कर्जदार की मृत्यु के बाद लोन चुकाने की पूरी जिम्मेदारी उसकी हो जाती है। बैंक सबसे पहले सह-आवेदक से ही संपर्क करता है। यदि लोन में कोई सह-आवेदक नहीं है, तब बैंक गारंटर (Guarantor) के पास जाता है। गारंटर बनने का मतलब ही यह है कि अगर मुख्य कर्जदार लोन नहीं चुका पाता है, तो आप उसकी जगह पर कर्ज चुकाने की गारंटी ले रहे हैं। इसलिए किसी का भी गारंटर बनने से पहले उसकी वित्तीय स्थिति और लोन की शर्तों को अच्छी तरह समझ लेना बेहद जरूरी है, अन्यथा आप मुश्किल में पड़ सकते हैं।

कानूनी वारिस की क्या है जिम्मेदारी?

अगर लोन में कोई सह-आवेदक या गारंटर नहीं है, तो बैंक कानूनी उत्तराधिकारी से संपर्क करता है। हालांकि, कानून के मुताबिक, उत्तराधिकारी कर्ज चुकाने के लिए तभी उत्तरदायी होता है, जब उसे मृतक की कोई संपत्ति विरासत में मिली हो। वारिस की देनदारी विरासत में मिली संपत्ति के मूल्य तक ही सीमित होती है। अगर वारिस को कोई संपत्ति नहीं मिली है या वह कर्ज चुकाने से मना कर देता है, तो सिक्योर्ड लोन के मामले में बैंक संपत्ति को जब्त कर लेता है।

लोन इंश्योरेंस देता है सुरक्षा

आजकल बैंक अक्सर बड़े लोन जैसे होम लोन के साथ लोन प्रोटेक्शन इंश्योरेंस (Loan Protection Insurance) की पेशकश करते हैं। यह एक तरह का टर्म इंश्योरेंस होता है। यदि कर्जदार ने यह बीमा कराया है, तो उसकी मृत्यु के बाद बीमा कंपनी बैंक का बकाया लोन चुका देती है और परिवार पर कोई बोझ नहीं आता। इसलिए, बड़ा लोन लेते समय इस तरह का बीमा कवर लेना एक समझदारी भरा फैसला हो सकता है।

ELSS
2025 के लिए पाएं बेस्ट टैक्स बचाने वाले फंड्स एक्सप्लोर करें ELSS
promotion image

लेखकों के बारे में

Upstox
Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

अगला लेख