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  1. जितना पैसा अगले 5 साल में SIP के जरिए जमा करेंगे, उतने का आज Lumpsum कर दिया तो कितने लाख का होगा फायदा? समझें कैलकुलेशन

पर्सनल फाइनेंस

जितना पैसा अगले 5 साल में SIP के जरिए जमा करेंगे, उतने का आज Lumpsum कर दिया तो कितने लाख का होगा फायदा? समझें कैलकुलेशन

विकास तिवारी

3 min read | अपडेटेड September 19, 2025, 16:08 IST

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सारांश

SIP और Lumpsum निवेश के बीच हमेशा कंफ्यूजन रहता है। यहां दिए गए कैलकुलेशन से समझिए कि 5 साल में एकमुश्त निवेश से कितना ज्यादा फायदा हो सकता है और SIP की तुलना में कौन-सा विकल्प बेहतर साबित होता है।

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SIP और Lumpsum में कौन बेहतर विकल्प

म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों के लिए यह सबसे बड़ा सवाल होता है कि उन्हें SIP (Systematic Investment Plan) करना चाहिए या फिर Lumpsum (एकमुश्त निवेश)। दोनों के अपने फायदे और सीमाएं हैं। SIP निवेशक को नियमित रूप से छोटे-छोटे अमाउंट में निवेश करने की सुविधा देता है, जबकि Lumpsum में एक साथ बड़ी राशि निवेश करके लंबी अवधि में कंपाउंडिंग का फायदा उठाया जा सकता है।

उदाहरण से समझिए

अब आइए इस तुलना को एक सिंपल उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए कि कोई निवेशक अगले 5 साल तक हर महीने ₹5,000 की SIP करता है। यानी कुल मिलाकर वह ₹3,00,000 निवेश करता है। अगर इसमें सालाना 12% का अनुमानित रिटर्न माना जाए तो 5 साल बाद यह रकम ₹4,05,518 तक पहुंच जाएगी। इसमें उसका अनुमानित मुनाफा लगभग ₹1,05,518 होगा।

दूसरी ओर, अगर यही निवेशक ₹3,00,000 की पूरी राशि एक साथ आज ही Lumpsum के रूप में निवेश कर देता है और उसी पर 12% सालाना रिटर्न की दर लगाई जाए तो 5 साल बाद उसकी कुल वैल्यू ₹5,28,703 हो जाएगी। यानी उसे अनुमानित तौर पर ₹2,28,703 का रिटर्न मिलेगा। इस तुलना से साफ है कि Lumpsum निवेश से SIP की तुलना में करीब ₹1,23,185 ज्यादा फायदा हो सकता है।

SIP क्यों है खास?

SIP का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें मार्केट के उतार-चढ़ाव का असर औसत हो जाता है। निवेशक हर महीने एक निश्चित रकम डालता है, चाहे मार्केट ऊपर हो या नीचे। इससे उसे लंबे समय में ‘रुपया लागत औसत’ (rupee cost averaging) का फायदा मिलता है। खासकर उन लोगों के लिए जो नौकरीपेशा हैं और हर महीने निश्चित आय पाते हैं, SIP एक अनुशासित और सुरक्षित विकल्प बन जाता है।

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Lumpsum क्यों देता है ज्यादा रिटर्न?

अगर आपके पास पहले से ही एक बड़ी रकम मौजूद है और आप उसे लंबे समय तक निवेशित रख सकते हैं, तो Lumpsum बेहतर साबित हो सकता है। इसकी वजह यह है कि पूरी राशि पर कंपाउंडिंग का फायदा तुरंत मिलना शुरू हो जाता है। जितनी लंबी अवधि तक पैसा निवेशित रहेगा, उतना ही ज्यादा कंपाउंडिंग का असर दिखेगा। यही कारण है कि Lumpsum, SIP से ज्यादा रिटर्न दे सकता है।

कौन-सा विकल्प चुनें?

एक बात ध्यान देने की है कि SIP और Lumpsum में से किसी एक को चुनने से पहले आपको अपनी वित्तीय स्थिति और रिस्क प्रोफाइल पर गौर करना चाहिए। अगर आपके पास अभी एकमुश्त रकम नहीं है और आप हर महीने कुछ बचत कर सकते हैं, तो SIP सही विकल्प है। वहीं, अगर आपके पास बड़ी रकम उपलब्ध है और आप लंबे समय तक मार्केट में टिके रह सकते हैं तो Lumpsum ज्यादा फायदे वाला साबित हो सकता है।

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आंकड़े बताते हैं कि अगले 5 साल के लिए SIP और Lumpsum दोनों ही विकल्पों से अच्छा रिटर्न मिल सकता है। लेकिन जहां SIP आपको अनुशासन और कम रिस्क का फायदा देता है, वहीं Lumpsum निवेश ज्यादा रिटर्न की संभावना लेकर आता है। इसलिए निवेशक को अपने वित्तीय लक्ष्य और निवेश की अवधि को ध्यान में रखकर ही फैसला करना चाहिए।

(डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें।)
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लेखकों के बारे में

विकास तिवारी
Vikash Tiwary is a finance journalist with 6+ years of newsroom experience. He is currently growing Upstox Hindi, crafting data-driven stories on stocks, personal finance, mutual funds, and global markets, while exploring how AI can simplify finance. His work spans Zee Business, TV9 Bharatvarsh, ABP News, India TV, and Inshorts. He also holds NISM certification.

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