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  1. म्यूचुअल फंड को लेकर SEBI ने बदल डाले कई सारे नियम, अगर आप भी करते हैं निवेश तो जान लें हर बदलाव

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म्यूचुअल फंड को लेकर SEBI ने बदल डाले कई सारे नियम, अगर आप भी करते हैं निवेश तो जान लें हर बदलाव

Upstox

2 min read | अपडेटेड December 18, 2025, 09:25 IST

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सारांश

इसके साथ ही बोर्ड ने परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) द्वारा म्यूचुअल फंड योजनाओं पर पहले से दिए गए अतिरिक्त पांच बेसिस प्वाइंट (बीपीएस) शुल्क को खत्म करने का फैसला किया है। यूनिटधारकों के लिए लागत को तर्कसंगत बनाने के लिए इस खर्च को हटाने का फैसला लिया गया है।

म्यूचुअल फंड

म्यूचुअल फंड को लेकर SEBI ने बदले कौन-कौन से नियम?

मार्केट रेगुलेटर सेबी ने बुधवार को पारदर्शिता बढ़ाने के लिए म्यूचुअल फंड नियमों में कई बदलाव को मंजूरी दी। इसमें व्यय अनुपात ढांचे (एक्सपेंस रेशियो फ्रेमवर्क) और ब्रोकरेज फीस की सीमाओं में बदलाव शामिल हैं। इन प्रस्तावों का मकसद नियामकीय स्पष्टता लाना, अनावश्यक दोहराव को कम करना और अनुपालन को आसान बनाना है। सेबी प्रमुख तुहिन कांत पांडेय ने बताया कि बोर्ड बैठक में सेबी ने एक प्रस्ताव को मंजूरी दी है, जिसके तहत सभी वैधानिक शुल्क - एसटीटी (प्रतिभूति लेनदेन शुल्क), जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर), सीटीटी (कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स) और स्टांप ड्यूटी - को एक्सपेंस रेशियो की सीमा से बाहर रखा जाएगा। इसके साथ ही ब्रोकरेज, एक्सचेंज और नियामकीय शुल्क से संबंधित मौजूदा खर्च भी इससे बाहर होंगे।

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इसके अलावा, इस एक्सपेंस रेशियो लिमिट को अब ‘बुनियादी खर्च अनुपात’ (बेसिक एक्सपेंस रेशियो) कहा जाएगा। इस समय प्रबंधन शुल्क पर लगने वाला जीएसटी को छोड़कर अन्य सभी वैधानिक शुल्क म्यूचुअल फंड स्कीमों के लिए निर्धारित टीईआर (कुल व्यय अनुपात, टोटल एक्सपेंस रेशियो) सीमा के भीतर शामिल होते हैं। प्रस्तावित बदलाव के तहत एक्सपेंस रेशियो की सीमा को वैधानिक शुल्क से अलग रखा जाएगा, ताकि भविष्य में वैधानिक शुल्क में होने वाला कोई भी बदलाव सीधे निवेशकों तक पहुंच सके।

इसके साथ ही बोर्ड ने परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) द्वारा म्यूचुअल फंड योजनाओं पर पहले से दिए गए अतिरिक्त पांच बेसिस प्वाइंट (बीपीएस) शुल्क को खत्म करने का फैसला किया है। यूनिटधारकों के लिए लागत को तर्कसंगत बनाने के लिए इस खर्च को हटाने का फैसला लिया गया है। निवेशकों के हितों की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनसे केवल एक बार ही उचित रूप से खर्च वसूला जाए, ब्रोकरेज शुल्क को नकद बाजार लेनदेन के लिए 0.12% से घटाकर 0.06% और डेरिवेटिव लेनदेन के लिए 0.05% से घटाकर 0.02% कर दिया गया है। इसके अलावा, नियामक ने कहा कि योजना के प्रदर्शन के आधार पर व्यय अनुपात वसूलने का प्रावधान भी पेश किया गया है, जो एएमसी के लिए स्वैच्छिक होगा।

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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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