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  1. NPS से UPS में जाने का मौका खत्म, या अभी है कोई गुंजाइश? जानिए सरकार का रुख

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NPS से UPS में जाने का मौका खत्म, या अभी है कोई गुंजाइश? जानिए सरकार का रुख

Upstox

3 min read | अपडेटेड December 02, 2025, 15:08 IST

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सारांश

केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एनपीएस से यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) में जाने की आखिरी तारीख 30 नवंबर थी। अब यह डेडलाइन खत्म हो चुकी है। सरकार की ओर से तारीख बढाने का कोई नया आदेश नहीं आया है। इसका मतलब है कि जिन्होंने स्विच नहीं किया, वे एनपीएस में ही बने रहेंगे।

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30 नवंबर की डेडलाइन खत्म होने के बाद अब केंद्रीय कर्मचारी एनपीएस से यूपीएस में स्विच नहीं कर पाएंगे।

केंद्रीय कर्मचारियों के लिए पेंशन योजना चुनने का समय अब समाप्त हो चुका है। नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) से यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) में जाने की आखिरी तारीख 30 नवंबर तय की गई थी। जैसे ही यह तारीख बीती, कई कर्मचारियों के मन में यह सवाल उठने लगा कि क्या सरकार इस समय सीमा को बढ़ाएगी? क्या जिन लोगों ने अभी तक फैसला नहीं लिया है, उन्हें एक और मौका मिलेगा? इन सभी सवालों का जवाब अब सामने आ गया है और स्थिति काफी हद तक साफ हो चुकी है।

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क्या अभी भी स्विच करना संभव है?

संक्षेप में कहें तो जवाब है- "नहीं"। एनपीएस से यूपीएस में जाने का विकल्प एक निश्चित समय सीमा के लिए ही दिया गया था। जिन कर्मचारियों ने 30 नवंबर तक अपना विकल्प नहीं चुना, उन्हें अब यह माना जाएगा कि वे एनपीएस व्यवस्था में ही बने रहना चाहते हैं। सरकार की तरफ से अभी तक ऐसा कोई नोटिफिकेशन या सर्कुलर जारी नहीं किया गया है जिसमें डेडलाइन को दोबारा खोलने की बात कही गई हो। फिलहाल देरी से आवेदन करने या डेडलाइन के बाद सुधार करने का कोई प्रावधान नहीं है। यानी जिन्होंने मौका गंवा दिया, वे अब एनपीएस के तहत ही रिटायरमेंट बेनिफिट्स के हकदार होंगे।

क्या है यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS)?

यह स्कीम 1 अप्रैल से लागू हुई थी। इसे उन केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एक विकल्प के तौर पर लाया गया था जो एनपीएस के तहत आते हैं। एनपीएस बाजार के उतार-चढाव पर निर्भर करता है, जबकि यूपीएस का मकसद एक सुनिश्चित यानी गारंटेड पेंशन देना है। ध्यान रहे, कर्मचारी को अपनी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते (DA) का 10 फीसदी हर महीने देना होता है। और साथ में सरकार भी कर्मचारी के यूपीएस खाते में 10 फीसदी का बराबर योगदान देती है।

इसके अलावा केंद्र सरकार एक अलग फंड (पूल) में लगभग 8.5 फीसदी का योगदान देती है, जिसका इस्तेमाल सुनिश्चित पेंशन देने के लिए किया जाता है।

कितनी मिलेगी पेंशन?

यूपीएस के तहत पेंशन का गणित बहुत ही साफ है। अगर किसी कर्मचारी ने कम से कम 25 साल की नौकरी (क्वालीफाइंग सर्विस) पूरी कर ली है, तो उसे रिटायरमेंट से ठीक पहले के 12 महीनों की औसत बेसिक सैलरी का 50 फीसदी हिस्सा पेंशन के तौर पर मिलेगा।

  • अगर नौकरी 25 साल से कम है, तो पेंशन उसी अनुपात में कम हो जाएगी।
  • अगर किसी ने कम से कम 10 साल की नौकरी की है, तो उसे न्यूनतम 10,000 रुपये प्रति महीना पेंशन मिलने की गारंटी है।
  • अगर कोई 25 साल की सेवा के बाद स्वेच्छा से रिटायरमेंट (VRS) लेता है, तो पेंशन उसी तारीख से शुरू हो जाएगी जब वह सामान्य तौर पर रिटायर होता।
पेंशन का फॉर्मूला इस प्रकार है- सुनिश्चित पेंशन = (बेसिक पे का आधा) × (नौकरी के साल / 300)

टैक्स का क्या होगा?

यूपीएस में भी एनपीएस की तरह ही टैक्स के नियम लागू होते हैं। कर्मचारी जो 10 फीसदी योगदान देता है, उस पर धारा 80CCD(1) के तहत टैक्स छूट मिलती है। यूपीएस को टैक्स के नजरिए से एनपीएस के ढांचे के भीतर ही एक विकल्प माना गया है।

फिलहाल की स्थिति यही है कि जब तक सरकार कोई नया आदेश नहीं निकालती, स्विच करने का दरवाजा बंद हो चुका है। जो कर्मचारी समय रहते यूपीएस नहीं चुन पाए, वे अब डिफॉल्ट रूप से एनपीएस में ही रहेंगे।

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लेखकों के बारे में

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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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