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Mutual Funds vs Equity: निवेश का कौन सा तरीका है बेहतर? क्या हैं फायदे-नुकसान?

Shubham Singh Thakur

4 min read | अपडेटेड June 02, 2025, 11:12 IST

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सारांश

Mutual Funds vs Equity: इक्विटी और म्यूचुअल फंड के बीच मुख्य अंतर यह है कि इक्विटी में निवेश के लिए कंपनी के शेयर खरीदने पड़ते हैं। वहीं, म्यूचुअल फंड में आपको कई स्टॉक वाले डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो में निवेश की सुविधा मिलती है।

Mutual Fund

Mutual Fund में आमतौर पर एक फंड मैनेजर होता है, जो आपके पैसों को निवेश करने का काम करता है।

Mutual Funds vs Equity: स्टॉक मार्केट में निवेश के दो तरीके हैं। पहला तो यह कि आप डीमैट अकाउंट के जरिए किसी कंपनी का शेयर खरीदकर सीधे निवेश कर सकते हैं। दूसरा यह कि आप म्यूचुअल फंड (MF) के जरिए भी शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं। MF के मामले में आमतौर पर एक फंड मैनेजर होता है, जो आपके पैसों को निवेश करने का काम करता है। यहां हम समझेंगे कि दोनों तरीकों से निवेश में क्या अंतर है और इसके फायदे-नुकसान क्या हैं।

Mutual Funds और Equity निवेश में क्या हैं अंतर

इक्विटी और म्यूचुअल फंड के बीच मुख्य अंतर यह है कि इक्विटी में निवेश के लिए कंपनी के शेयर खरीदने पड़ते हैं। वहीं, म्यूचुअल फंड में आपको कई स्टॉक वाले डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो में निवेश की सुविधा मिलती है।

रिस्क में अंतर

म्यूचुअल फंड कम जोखिम वाले निवेशकों के लिए अच्छा है। इसमें फंड मैनेजर्स रिस्क को ध्यान में रखते हुए निवेशकों का पैसा डावर्सिफाइड करते हैं। इससे पैसा डूबने का खतरा कम हो जाता है। इसके उलट, इक्विटी निवेशक अधिक आक्रामक होते हैं और ज्यादा रिटर्न के लिए ज्यादा जोखिम उठाते हैं। जोखिम के मामले में म्यूचुअल फंड इक्विटी निवेश की तुलना में बेहतर है।

रिटर्न में अंतर

म्यूचुअल फंड निवेश लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न देता है, लेकिन इक्विटी निवेश अन्य की तुलना में कम अवधि में काफी अधिक रिटर्न देता है। हालांकि, यह निवेशकों की रिसर्च और स्ट्रेटेजी पर निर्भर है।

उतार-चढ़ाव में अंतर

शेयर बाजार में काफी उतार-चढ़ाव होता है, जो इसे जोखिम भरा भी बनाता है। ऐसे में इक्विटी निवेशकों को मार्केट में अपने निवेश पर लगातार नजर रखने की जरूरत होती है। इसके विपरीत, म्यूचुअल फंड में निवेश करना ज्यादा स्थिर है क्योंकि आप एक डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो में निवेश करते हैं, जिससे उतार-चढ़ाव का असर कम हो जाता है।

म्यूचुअल फंड के फायदे-नुकसान

म्यूचुअल फंड नए निवेशकों के लिए आसान विकल्प है। शेयर बाजार की तुलना में यह स्थिर होते हैं। 3. एक ही फंड में कई कंपनियों में निवेश होता है, जिससे रिस्क बंट जाता है। आपके पैसों को अनुभवी फंड मैनेजर संभालते हैं। शेयरों की तुलना में म्यूचुअल फंड में निवेश की लागत कम होती है।

नुकसान या कमियों की बात करें तो इसमें आप खुद किसी कंपनी के शेयर नहीं चुनते, फंड मैनेजर आपके लिए फैसला लेते हैं। आपका पैसा कहां लगाया जाएगा, यह आप तय नहीं कर सकते। कुछ स्कीम्स में जल्दी पैसे निकालने पर शुल्क लगता है। एंट्री/एग्जिट लोड, फंड मैनेजमेंट फीस जैसी कई लागतें होती हैं।

निवेश का कौन सा तरीका है बेहतर?

म्यूचुअल फंड में पेशेवर फंड मैनेजर्स रिसर्च और स्ट्रेटेजी के साथ निवेशकों का पैसा निवेश करते हैं। अगर आप उन लोगों में से हैं जो किसी नौकरी या बिजनेस में बिजी रहते हैं और लगातार बाजार पर नजर नहीं रख सकते, तो म्यूचुअल फंड आपके लिए बेहतर है। इसके अलावा, अगर आप स्टॉक मार्केट की दुनिया में नए हैं तो भी यह विकल्प आपके लिए सही हो सकता है। दूसरी ओर, इक्विटी में निवेश के लिए बाजार की समझ होना और समय देना जरूरी है।

आपके निवेश करने का तरीका आपकी सोच और जोखिम लेने की क्षमता पर निर्भर करता है। अगर आप ज्यादा जोखिम उठा सकते हैं, जल्दी पैसे बढ़ाना चाहते हैं और बाजार की चाल को समझने में रुचि रखते हैं, तो शेयर बाजार आपके लिए सही हो सकता है। लेकिन अगर आप जोखिम से डरते हैं, ज्यादा रिसर्च नहीं करना चाहते, और चाहते हैं कि कोई प्रोफेशनल आपकी जगह निवेश संभाले, तो म्यूचुअल फंड आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है।

(डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।)
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लेखकों के बारे में

Shubham Singh Thakur
Shubham Singh Thakur is a business journalist with a focus on stock market and personal finance. An alumnus of the Indian Institute of Mass Communication (IIMC), he is passionate about making financial topics accessible and relevant for everyday readers.

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