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ITR Filing: इनमक टैक्स में डिविडेंड की कमाई को दिखाना भी जरूरी, वरना आ सकता है नोटिस

Shubham Singh Thakur

2 min read | अपडेटेड June 26, 2025, 16:53 IST

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सारांश

ITR में डिविडेंड इनकम का क्वार्टर-वाइज ब्रेकअप जरूरी है। इसके जरिए यह पता चलता है कि आपने एडवांस टैक्स सही समय पर भरा या नहीं। अगर देरी हुई है तो Section 234C के तहत ब्याज लग सकता है। यदि लाभांश आय पर TDS काटा गया है, तो डीटेल्स का मिलान किया जाना चाहिए और ITR के TDS शेड्यूल में फॉर्म 26AS के अनुसार रिपोर्ट किया जाना चाहिए।

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टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग में अपनी कमाई की पूरी जानकारी देना जरूरी है। स्टॉक मार्केट में निवेश करने वोलों को डिविडेंड से भी कमाई होती है, जिसकी जानकारी ITR फाइलिंग में देना चाहिए। डिविडेंड इनकम टैक्सेबल है और इसे ITR फॉर्म में "अन्य स्रोतों से आय" के तहत रिपोर्ट किया जाता है।

TDS से पहले ग्रॉस डिविडेंड इनकम ITR फॉर्म के शेड्यूल OS में घोषित की जानी चाहिए। REITs, InvITs, विदेशी कंपनियों या अल्टरनेटिव इनवेस्टमेंट फंड (AIFs) से डिविडेंड इनकम प्राप्त करने वाले व्यक्ति ITR-1 या ITR-4 का उपयोग नहीं कर सकते हैं। ऐसे मामलों में, ITR-2 या ITR-3 का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। सीएनबीएसी टीवी18 के मुताबिक डेलॉयट इंडिया के डायरेक्टर तरुण गर्ग ने यह जानकारी दी।

ध्यान रहे कि ITR-2 फॉर्म उन लोगों के लिए है जिनकी बिजनेस इनकम नहीं है, लेकिन AIF, फॉरेन एंटिटीज, REITs/InvITs से डिविडेंड इनकम हासिल करते हैं, या जिनके पास फॉरेन एसेट्स है। दूसरी ओर, ITR-3 उन लोगों के लिए है जिनकी बिजनेस या प्रोफेशनल इनकम है।

तिमाही ब्रेकअप और TDS रिपोर्टिंग

ITR में डिविडेंड इनकम का क्वार्टर-वाइज ब्रेकअप जरूरी है। इसके जरिए यह पता चलता है कि आपने एडवांस टैक्स सही समय पर भरा या नहीं। अगर देरी हुई है तो Section 234C के तहत ब्याज लग सकता है। यदि लाभांश आय पर TDS काटा गया है, तो डीटेल्स का मिलान किया जाना चाहिए और ITR के TDS शेड्यूल में फॉर्म 26AS के अनुसार रिपोर्ट किया जाना चाहिए।

अगर आपने किसी विदेशी कंपनी से डिविडेंड कमाया है, तो इसे Schedule FSI में दिखाना होगा। अगर कोई फॉरेन टैक्स क्रेडिट का दावा किया जा रहा है, तो Schedule TR भी भरना जरूरी है। इसके अलावा, आपकी विदेशी संपत्तियों की जानकारी Schedule FA में भी देनी होगी।

अगर डिविडेंड किसी AIF जैसी संस्था से मिला है, तो उसे Schedule PTI में दिखाना होता है। यह शेड्यूल केवल ITR-2 और ITR-3 में उपलब्ध है। कुछ डिविडेंड ऐसे होते हैं जो सीधे पैसे के रूप में नहीं मिलते लेकिन टैक्स के लिहाज से उन्हें डिविडेंड माना जाता है। इन्हें Deemed Dividend कहते हैं। इन्हें भी “अन्य स्रोतों से आय” में दिखाना होता है।

ITR में दी गई जानकारी का मिलान आयकर विभाग Form 26AS और Annual Information Statement (AIS) से करता है। अगर आपकी दी गई जानकारी इनसे मेल नहीं खाती या आपने डिविडेंड इनकम कम दिखाई है, तो आपको नोटिस मिल सकता है या आगे जांच हो सकती है।

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लेखकों के बारे में

Shubham Singh Thakur
Shubham Singh Thakur is a business journalist with a focus on stock market and personal finance. An alumnus of the Indian Institute of Mass Communication (IIMC), he is passionate about making financial topics accessible and relevant for everyday readers.

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