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Old Tax Regime: अधिक रिफंड के लिए ITR में गलत जानकारी देने वाले सावधान! भरना पड़ सकता है 200% जुर्माना

rajeev-kumar

4 min read | अपडेटेड April 25, 2025, 11:55 IST

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सारांश

Income Tax Return: अगर कोई टैक्सपेयर ज्यादा टैक्स रिफंड पाने के लिए अपनी आय गलत बताता है, तो उसे भारी सजा मिल सकती है। आयकर विभाग के अनुसार गलत बताई गई आय पर 200% तक जुर्माना और साथ में कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।

Income Tax Return: अगर आप पुराने टैक्स सिस्टम में ITR फाइल करने जा रहे हैं, तो आपके लिए यहां जरूरी जानकारी दी गई है।

Income Tax Return: अगर आप पुराने टैक्स सिस्टम में ITR फाइल करने जा रहे हैं, तो आपके लिए यहां जरूरी जानकारी दी गई है।

Income Tax Return: टैक्सपेयर्स वित्तीय वर्ष 2024-25 खत्म होने के साथ ही असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए ITR फाइल करने के लिए तैयार हैं। अगर आप पुराने टैक्स सिस्टम का चुनाव करते हैं तो आप टैक्स बचाने के लिए कई निवेशों पर छूट का लाभ ले सकते हैं। वहीं, नया टैक्स सिस्टम सरल तो है लेकिन इसमें ज्यादा टैक्स छूट उपलब्ध नहीं है।

अगर आप पुराने टैक्स सिस्टम में ITR फाइल करने जा रहे हैं, तो आपके लिए यहां जरूरी जानकारी दी गई है। ज्यादा रिफंड पाने के लिए आय गलत दिखाने पर आपको 200% तक ज्यादा टैक्स भरना पड़ सकता है।

200% तक लग सकता है जुर्माना

अगर कोई टैक्सपेयर ज्यादा टैक्स रिफंड पाने के लिए अपनी आय गलत बताता है, तो उसे भारी सजा मिल सकती है। आयकर विभाग के अनुसार गलत बताई गई आय पर 200% तक जुर्माना और साथ में कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है। नए टैक्स सिस्टम में जहां ज्यादातर छूट और कटौतियां हटा दी गई हैं, वहीं पुराने सिस्टम में अब भी लोग गलत तरीके से रिफंड क्लेम कर रहे हैं, यह टैक्स अधिकारियों ने देखा है।

टैक्स विभाग ने कहा है, "पुरानी टैक्स व्यवस्था अपनाने वाले कुछ कर्मचारियों के बीच गलत रिफंड क्लेम करने के मामले सामने आए हैं।" यह जानकारी एक पब्लिक अवेयरनेस पर्चे में दी गई है। ऐसे गलत रिफंड क्लेम कई वेतनभोगी कर्मचारियों द्वारा किए जा रहे हैं।

टैक्स नियमों के अनुसार, नियोक्ता (employer) कर्मचारी की सैलरी से TDS काटते हैं, जो आयकर अधिनियम की धारा 192 के तहत होता है। पुरानी टैक्स व्यवस्था में, नियोक्ता को फॉर्म 12BB के जरिए कर्मचारी से टैक्स छूट/कटौती से जुड़े दस्तावेज लेने होते हैं। उसके बाद ये दस्तावेज जांचे जाते हैं और उसी के अनुसार TDS काटा जाता है। लेकिन, आयकर विभाग ने देखा है कि कई कर्मचारी गलत तरीके से टैक्स छूट का दावा कर रहे हैं, जिनका कोई दस्तावेजी सबूत नहीं होता।

आयकर विभाग ने इस मामले पर क्या कहा?

आयकर विभाग का कहना है, "कई बार ऐसा देखा गया है कि जब नियोक्ता TDS काट लेते हैं, उसके बाद कुछ कर्मचारी अपनी मर्जी से या दूसरों के बहकावे में आकर गलत तरीके से टैक्स रिटर्न (ITR) भरते हैं। वे कटौती या छूट का दावा करते हैं बिना किसी जरूरी दस्तावेज़ के। इसका नतीजा ये होता है कि उनकी कुल आय और टैक्स देनदारी कम दिखती है, और जो TDS पहले ही काटा गया होता है, उसे ये लोग गलत तरीके से रिफंड के रूप में क्लेम करते हैं। आयकर विभाग अब ऐसे गलत दावों को पकड़ने के लिए AI/ML जैसे तकनीकी टूल्स और डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल कर रहा है।

गलत जानकारी देने के हो सकते हैं गंभीर परिणाम

अगर कोई व्यक्ति गलत तरीके से टैक्स रिफंड का दावा करता है, तो उसके कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं। ऐसे मामलों को आयकर विभाग द्वारा गहराई से जांच के लिए चुना जा सकता है। अगर टैक्स छूट या कटौती का समर्थन करने के लिए जरूरी दस्तावेज़ नहीं होते हैं, तो विभाग उन दावों को खारिज कर सकता है और दोबारा मूल्यांकन कर सकता है। साथ ही, टैक्स की अतिरिक्त मांग भी की जा सकती है, जिसमें ब्याज भी शामिल होगा।

यदि किसी ने आय की गलत जानकारी दी है, तो आयकर अधिनियम की धारा 270A के तहत उस व्यक्ति पर गलत बताई गई आय पर 200% तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। गंभीर मामलों में, आयकर विभाग टैक्स चोरी का आपराधिक मामला भी दर्ज कर सकता है। अगर किसी ने ₹25 लाख से अधिक की आय छुपाई है, तो उसे 6 महीने से लेकर 7 साल तक की जेल की सजा और जुर्माना भी हो सकता है। अन्य मामलों में, 3 महीने से 2 साल तक की सख्त सजा हो सकती है।

टैक्सपेयर्स को क्या करना चाहिए?

सैलरी पाने वाले कर्मचारियों को सही, सटीक और पूरी जानकारी के साथ इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरना चाहिए, ताकि बाद में किसी तरह की परेशानी न हो। अगर नियोक्ता ने पहले ही TDS काट लिया है, तो कर्मचारी को उस TDS का रिफंड गलत तरीके से किसी छूट का झूठा दावा करके नहीं लेना चाहिए। अगर कोई सही टैक्स छूट का दावा कर रहा है, तो उसके पास उचित दस्तावेजी सबूत जरूर होने चाहिए।

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लेखकों के बारे में

rajeev-kumar
Rajeev Kumar Upstox में डेप्युटी एडिटर हैं और पर्सनल फाइनेंस की स्टोरीज कवर करते हैं। पत्रकार के तौर पर 11 साल के करियर में उन्होंने इनकम टैक्स, म्यूचुअल फंड्स, क्रेडिट कार्ड्स, बीमा, बचत और पेंशन जैसे विषयों पर 2,000 से ज्यादा आर्टिकल लिखे हैं। वह 1% क्लब, द फाइनेंशल एक्सप्रेस, जी बिजेनस और हिंदुस्तान टाइम्स में काम कर चुके हैं। अपने काम के अलावा उन्हें लोगों से उनके पर्सनल फाइनेंस के सफर के बारे में बात करना और उनके सवालों के जवाब देना पसंद है।

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