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  1. 1 नवंबर को सैलरी आते ही शुरू करनी है SIP? समझिए कैसे कम रिस्क के साथ बना सकते हैं हाई रिटर्न वाला पोर्टफोलियो

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1 नवंबर को सैलरी आते ही शुरू करनी है SIP? समझिए कैसे कम रिस्क के साथ बना सकते हैं हाई रिटर्न वाला पोर्टफोलियो

Upstox

3 min read | अपडेटेड October 24, 2025, 11:33 IST

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सारांश

इस 1 नवंबर से अपनी पहली SIP शुरू करने जा रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए है। निवेश का पहला नियम है डायवर्सिफिकेशन। जानिए कैसे आप कम बजट (जैसे ₹1000) में भी फ्लेक्सी-कैप फंड से डायवर्सिफिकेशन का फायदा पा सकते हैं और ज्यादा रकम को कैसे बांटना है।

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1 नवंबर की सैलरी से एसआईपी शुरू करना एक समझदारी भरा फैसला हो सकता है।

1 नवंबर बस आने ही वाला है और ज्यादातर लोगों के अकाउंट में सैलरी आ जाएगी। त्योहारों के खर्च के बाद, बहुत से लोग इस बार अपनी मेहनत की कमाई को सही जगह निवेश करने की योजना बना रहे होंगे। म्यूचुअल फंड में SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) शुरू करने के लिए यह एक बेहतरीन समय है। लेकिन रुकिए! निवेश शुरू करने से पहले एक 'गोल्डन रूल' समझना बहुत जरूरी है, जिसे 'पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन' (Portfolio Diversification) कहते हैं। आपकी SIP चाहे ₹1000 की हो या ₹20,000 की, यह नियम सब पर लागू होता है।

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क्या बला है ये 'डायवर्सिफिकेशन'?

निवेश की दुनिया में एक बहुत पुरानी कहावत है, "अपने सारे अंडे एक ही टोकरी में मत रखो"। डायवर्सिफिकेशन का मतलब भी ठीक यही है। इसका मतलब है कि आप अपनी पूरी बचत को किसी एक ही जगह या एक ही तरह के फंड में न लगा दें। मान लीजिए, आपने अपना सारा पैसा सिर्फ टेक्नोलॉजी फंड्स में लगा दिया और किसी वजह से टेक सेक्टर में गिरावट आ गई, तो आपका पूरा निवेश डूब सकता है। डायवर्सिफिकेशन आपके इसी जोखिम (Risk) को कम करता है। यह आपके पैसों को अलग-अलग सेक्टर (जैसे- बैंक, फार्मा, टेक) और अलग-अलग साइज की कंपनियों (बड़ी, छोटी) में बांट देता है, ताकि अगर एक जगह नुकसान हो तो दूसरी जगह से उसकी भरपाई हो सके।

कम बजट (₹1000 - ₹5000) है तो क्या करें?

अक्सर लोग सोचते हैं कि कम पैसों में डायवर्सिफिकेशन कैसे होगा। अगर आप हर महीने सिर्फ ₹1000 या ₹2000 ही निवेश कर सकते हैं, तो आपके लिए 4-5 अलग-अलग फंड खरीदना मुश्किल है। ऐसे निवेशकों के लिए म्यूचुअल फंड में दो बेहतरीन कैटेगरी हैं:

फ्लेक्सी-कैप फंड (Flexi-Cap Funds): जैसा कि नाम से ही जाहिर है, ये फंड 'फ्लेक्सिबल' होते हैं। इनका फंड मैनेजर बाजार के मिजाज को देखकर आपका पैसा बड़ी कंपनियों (लार्ज-कैप), मझोली कंपनियों (मिड-कैप) और छोटी कंपनियों (स्मॉल-कैप) में खुद ही बांट देता है। आपको अलग से दिमाग लगाने की जरूरत नहीं पड़ती। एक ही SIP से आपको तीनों का फायदा मिल जाता है।
मल्टी-एसेट फंड (Multi-Asset Funds): यह डायवर्सिफिकेशन का अगला लेवल है। यह फंड आपके पैसे को सिर्फ शेयर बाजार में ही नहीं, बल्कि सोना-चांदी (Gold/Silver) और बॉन्ड्स (जहां फिक्स्ड रिटर्न मिलता है) जैसी अलग-अलग एसेट क्लास में भी बांटता है। इससे जोखिम और भी कम हो जाता है।

अगर ज्यादा रकम (₹10,000+) लगानी है तो?

अगर आपका बजट ज्यादा है, मान लीजिए आप ₹10,000 या ₹15,000 हर महीने निवेश कर सकते हैं, तो आपको अपना पैसा किसी एक ही फंड में (चाहे वो फ्लेक्सी-कैप ही क्यों न हो) नहीं डालना चाहिए। इसे 'कंसंट्रेशन रिस्क' कहते हैं।

इसके बजाय, आप अपना पोर्टफोलियो खुद बना सकते हैं। उदाहरण के लिए, आप अपनी ₹10,000 की SIP को ऐसे बांट सकते हैं:

₹4,000 लार्ज-कैप फंड में: (यह बड़ी और स्थिर कंपनियों में निवेश करेगा)
₹3,000 मिड-कैप फंड में: (यह तेजी से बढ़ती कंपनियों में निवेश करेगा)
₹2,000 स्मॉल-कैप फंड में: (इसमें रिस्क ज्यादा, पर रिटर्न भी सबसे ज्यादा मिलने की संभावना होती है)
₹1,000 गोल्ड फंड या इंटरनेशनल फंड में: (यह आपके पोर्टफोलियो को देश-दुनिया के हिसाब से बैलेंस करेगा)
(डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें।)
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लेखकों के बारे में

Upstox
Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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