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  1. म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले चेक करें ये 5 चीजें, एक्सपर्ट्स भी फॉलो करते हैं ये तरीका

पर्सनल फाइनेंस

म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले चेक करें ये 5 चीजें, एक्सपर्ट्स भी फॉलो करते हैं ये तरीका

विकास तिवारी

3 min read | अपडेटेड December 04, 2025, 14:31 IST

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सारांश

Best Mutual Funds: म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय सिर्फ पुराने रिटर्न देखना काफी नहीं है। एक मिड कैप फंड चुनते समय एक्सपर्ट्स कई कड़े पैमानों का इस्तेमाल करते हैं। इसमें रोलिंग रिटर्न, शार्प रेशियो और अल्फा जैसे तकनीकी पहलू शामिल हैं।

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म्यूचुअल फंड चुनते समय रिस्क और रिटर्न के संतुलन को समझना है बेहद जरूरी

Best Mutual Funds: शेयर बाजार में निवेश के लिए म्यूचुअल फंड को एक बेहतरीन जरिया माना जाता है। लेकिन बाजार में हजारों स्कीम्स मौजूद हैं, ऐसे में आम निवेशक के लिए यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि कौन सा फंड सबसे बेहतर है? अक्सर लोग पिछले 1 साल या 3 साल का रिटर्न देखकर पैसा लगा देते हैं, जो कि एक गलत तरीका हो सकता है। बेस्ट मिड कैप फंड्स का चुनाव करते समय एक्सपर्ट्स ने जिस मेथड का इस्तेमाल करते हैं, वह हर निवेशक के लिए एक सबक है।
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सिर्फ रिटर्न नहीं, रोलिंग रिटर्न है असली पैमाना

एक्सपर्ट्स किसी फंड के प्रदर्शन को मापने के लिए साधारण रिटर्न के बजाय 'रोलिंग रिटर्न' (Rolling Returns) पर भरोसा करते हैं। ईटी की रिपोर्ट में एक एक्सपर्ट बताते हैं कि साधारण रिटर्न एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक का मुनाफा बताता है, जो बाजार की टाइमिंग पर निर्भर हो सकता है। लेकिन रोलिंग रिटर्न यह बताता है कि फंड ने अलग-अलग समय अवधि में कैसा प्रदर्शन किया है। अगर किसी फंड का रोलिंग रिटर्न लगातार अच्छा है, तो इसका मतलब है कि फंड ने हर तरह के बाजार (तेजी और मंदी) में अच्छा प्रदर्शन किया है। यह फंड की स्थिरता (Consistency) को दर्शाता है।

जोखिम को नापने वाले रेश्यो

फंड चुनते समय यह देखना बहुत जरूरी है कि फंड मैनेजर ने रिटर्न कमाने के लिए कितना जोखिम उठाया है। इसके लिए एक्सपर्ट्स कुछ खास अनुपातों का इस्तेमाल करते हैं:

शार्प रेश्यो (Sharpe Ratio): यह बताता है कि फंड ने जोखिम के मुकाबले कितना रिटर्न दिया है। जितना ज्यादा शार्प रेश्यो होगा, फंड उतना ही बेहतर माना जाएगा। इसका मतलब है कि फंड मैनेजर ने कम रिस्क लेकर ज्यादा मुनाफा कमाया है।
सोर्टिनो रेश्यो (Sortino Ratio): यह रेश्यो बताता है कि बाजार गिरने पर फंड कितना सुरक्षित रहता है। यह फंड के डाउनसाइड रिस्क (Downside Risk) को मापता है। ज्यादा सोर्टिनो रेश्यो वाला फंड गिरावट के समय में निवेशकों के पैसे को ज्यादा सुरक्षित रखता है।

अल्फा और बीटा का खेल

फंड मैनेजर की काबिलियत और फंड के स्वभाव को समझने लिए 'अल्फा' और 'बीटा' को देखा जाता है।

बीटा (Beta): यह बताता है कि बाजार के उतार-चढ़ाव का फंड पर कितना असर होता है। अगर बीटा 1 से कम है, तो फंड में बाजार के मुकाबले कम उतार-चढ़ाव होता है, जो सुरक्षित माना जाता है।
अल्फा (Alpha): यह सबसे अहम है। अल्फा बताता है कि फंड ने अपने बेंचमार्क (जैसे Nifty Midcap 150) के मुकाबले कितना एक्स्ट्रा रिटर्न कमाया है। पॉजिटिव अल्फा का मतलब है कि फंड मैनेजर ने अपनी समझ से बाजार को हराया है।

बेंचमार्क से तुलना और फंड का साइज को भी देखें

एक्सपर्ट्स हमेशा यह देखते हैं कि फंड ने अपने बेंचमार्क इंडेक्स को लगातार पछाड़ा है या नहीं। अगर कोई एक्टिव फंड अपने बेंचमार्क से कम रिटर्न दे रहा है, तो उसमें निवेश का कोई मतलब नहीं है। इसके अलावा, फंड का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) भी देखा जाता है। फंड का साइज न तो बहुत छोटा होना चाहिए और न ही बहुत विशाल, जिससे उसे मैनेज करने में दिक्कत आए। मिड कैप कैटेगरी में यह बात और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।

(डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें।)
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लेखकों के बारे में

विकास तिवारी
Vikash Tiwary is a finance journalist with 6+ years of newsroom experience. He is currently growing Upstox Hindi, crafting data-driven stories on stocks, personal finance, mutual funds, and global markets, while exploring how AI can simplify finance. His work spans Zee Business, TV9 Bharatvarsh, ABP News, India TV, and Inshorts. He also holds NISM certification.

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