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  1. Home Loan: Fixed और Floating Rate में क्या हैं अंतर? किसे चुनने में है समझदारी?

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Home Loan: Fixed और Floating Rate में क्या हैं अंतर? किसे चुनने में है समझदारी?

Shubham Singh Thakur

3 min read | अपडेटेड May 29, 2025, 18:03 IST

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सारांश

Home Loan: फिक्स्ड रेट विकल्प में होम लोन लेते समय ही ब्याज दर तय हो जाती है। आमतौर पर फिक्स्ड रेट प्रोडक्ट में ब्याज दर लोन की पूरी अवधि के दौरान स्थिर रहती है। वहीं, ऐसे कई विकल्प भी मौजूद हैं जहां 2, 3 या 10 साल की स्पेसिफिक पीरियड के लिए अपनी ब्याज दर फिक्स करने की सुविधा मिलती है।

Home Loan

Home Loan: फ्लोटिंग रेट होम लोन में ब्याज दर समय-समय पर बदलती रहती है।

Fixed vs Floating Interest Rates: घर खरीदने के लिए ज्यादा पैसों की जरूरत होती है, जिसके लिए अक्सर होम लोन (Home Loan) लेना पड़ता है। होम लोन लेते समय कई तरह के फैसले लेने होते हैं, जिनका असर आपके जीवन पर कई सालों या दशकों तक पड़ सकता है। अक्सर होम लोन लेते समय यह सवाल भी आता है कि फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट का विकल्प चुना जाए या फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट का। यहां बताया गया है कि इन दोनों में क्या अंतर है और आपके लिए कौन सा ज्यादा फायदेमंद हो सकता है।

Home Loan: Fixed Rate विकल्प क्या है

फिक्स्ड रेट विकल्प में होम लोन लेते समय ही ब्याज दर तय हो जाती है। आमतौर पर फिक्स्ड रेट प्रोडक्ट में ब्याज दर लोन की पूरी अवधि के दौरान स्थिर रहती है। वहीं, ऐसे कई विकल्प भी मौजूद हैं जहां 2, 3 या 10 साल की स्पेसिफिक पीरियड के लिए अपनी ब्याज दर फिक्स करने की सुविधा मिलती है। फिक्स्ड रेट लोन की कीमत आमतौर पर फ्लोटिंग रेट लोन से थोड़ी अधिक होती है।

Fixed Rate का विकल्प कब चुनें?

एक्सपर्ट्स की मानें तो अगर EMI आपकी सैलरी का 25-30% से ज्यादा नहीं है और आप इसे आराम से चुका सकते हों, तो आप इस विकल्प पर विचार कर सकते हैं। अगर आपको लगता है कि भविष्य में ब्याज दरें बढ़ेंगी, तो अभी की दर पर लोन लेना सही रहेगा। इसके अलावा, अगर ब्याज दरें हाल ही में गिरी हैं और आप मौजूदा दर से संतुष्ट हैं, तो फिक्स्ड रेट लोन लेकर उस रेट को लॉक कर सकते हैं।

Home Loan: Floating rate विकल्प क्या है?

फ्लोटिंग रेट होम लोन में ब्याज दर समय-समय पर बदलती रहती है। यह बैंक की बेंचमार्क रेट से जुड़ी होती है, जो बाजार के अनुसार ऊपर-नीचे होती रहती है। इस तरह के लोन में ब्याज दर हर कुछ समय बाद रीसेट होती है, जैसे हर तिमाही, छमाही में। अगर ब्याज दर बढ़ती है, तो लोन की अवधि बढ़ जाती है (EMI वही रहती है)। अगर दर घटती है, तो लोन जल्दी खत्म हो सकता है।

Floating rate का विकल्प कब चुनें?

जब आपको लगता है कि आगे चलकर ब्याज दरें घटेंगी और अगर आप बाजार के साथ चलना चाहते हैं और दरों में उतार-चढ़ाव से कोई परेशानी नहीं है, तो फ्लोटिंग रेट का विकल्प चुन सकते हैं। इसके अलावा अगर आप शुरुआती कुछ सालों में कम ब्याज दर का लाभ लेना चाहते हैं, तो भी इस विकल्प के साथ जा सकते हैं।

अब भी हैं कनफ्यूज तो एक और है विकल्प

अगर आपको तय करना मुश्किल हो रहा है कि कौन सा लोन लेना चाहिए, तो आप कंबाइन लोन (Combo Loan) चुन सकते हैं। इसमें कुछ हिस्सा फिक्स्ड और कुछ फ्लोटिंग रेट पर होता है।

किसी भी लोन को "बेहतर" नहीं कहा जा सकता। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी जरूरतें, सुविधा और फाइनेंशियल स्थिति क्या है। आप चाहें तो बाद में भी फिक्स्ड से फ्लोटिंग या फ्लोटिंग से फिक्स्ड लोन में बदल सकते हैं। इसके लिए बैंक एक छोटा सा शुल्क लेता है।

(डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। कोई भी फैसला लेने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें।)
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लेखकों के बारे में

Shubham Singh Thakur
Shubham Singh Thakur Shubham Singh Thakur is a business journalist with a focus on stock market and personal finance. An alumnus of the Indian Institute of Mass Communication (IIMC), he is passionate about making financial topics accessible and relevant for everyday readers.