पर्सनल फाइनेंस
3 min read | अपडेटेड February 11, 2025, 13:09 IST
सारांश
8th Pay Commission: कुछ दिन पहले राज्य सभा में सरकार ने लिखित जवाब दाखिल कर बताया था कि आयोग के गठन की तारीख, इसके चेयरपर्सन और दूसरे पहलुओं पर जल्द ही फैसला किया जाएगा।
कर्मचारियों की ओर से सरकार को भेजे गए हैं टर्म्स ऑफ रेफरेंस पर प्रस्ताव
केंद्र सरकार ने बजट 2025 के पहले 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के गठन का ऐलान कर दिया था। केंद्र सरकार के कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन समेत दूसरे बेनिफिट्स को बेहतर करने के लिए यह आयोग अपने सुझाव देगा।
कुछ दिन पहले राज्य सभा में सरकार ने लिखित जवाब दाखिल कर बताया था कि आयोग के गठन की तारीख, इसके चेयरपर्सन और दूसरे पहलुओं पर जल्द ही फैसला किया जाएगा।
अब एक्सपेंडिचर सेक्रटरी मनोज गोविल ने बताया है कि फिलहाल वित्त वर्ष 2025-26 में किसी तरह का वित्तीय बदलाव होने की संभावना नहीं है।
द टाइम्स ऑफ इंडिया को गोविल ने बताया है कि आयोग के गठन के बाद इसकी रिपोर्ट को जमा करने में कुछ वक्त लगेगा। फिर इस रिपोर्ट को सरकार रिव्यू करेगी। इसलिए साल 2026 के अप्रैल से शुरू होने वाले वित्त वर्ष में कुछ बदलावों की उम्मीद की जा सकती है।
गोविल ने बताया है कि आयोग का गठन दो महीने के अंदर, अप्रैल 2025 तक होने की उम्मीद है। अभी टर्म्स ऑफ रेफरेंस (Terms of Reference) को लेकर गृह विभाग, रक्षा विभाग और पर्सनेल ऐंड ट्रेनिंग डिपार्टमेंट से उनकी राय मांगी जा रही है।
इसके पहले न्यूज24 की एक रिपोर्ट में नेशनल काउंसिल ऑफ जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (National Council of Joint Consultative Machinery, NC-JCM) के सेक्रटरी शिवगोपाल मिश्रा के हवाले से उम्मीद जताई गई कि आयोग का गठन फरवरी में ही हो सकता है और इसी साल नवंबर में इसकी रिपोर्ट फाइनल भी हो सकती है।
राज्य सभा में आयोग के गठन की समयसीमा को लेकर वित्त मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया था कि आयोग के नोटिफिकेशन, चेयरपर्सन की नियुक्ति और कार्यवाही से लेकर रिपोर्ट तक की समयसीमा को लेकर फैसले अपने समय पर किए जाएंगे। सरकार ने आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है और इससे जुड़े दूसरे पहलुओं के बारे में भी निर्णय जल्द ही किया जाएगा।
JCM के स्टाफ साइड ने सरकार को कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन तय करने के लिए 8वें वेतन आयोग के आधार (Terms of reference) पर कुछ सुझाव भेजे थे। प्रस्ताव में मौजूदा भुगतान के ढांचे के रिव्यू, रिटायरमेंट बेनिफिट्स, डिग्निफाइड लिविंग वेज (dignified living wage) के सिद्धातों और 7वें वेतन आयोग में रह गईं कमियों को दूर करने की मांग की थी।
इसके अलावा अलग-अलग पे-स्केल्स को एक में मिलाने, पारिवारिक पेंशन में बदलाव की मांग भी सामने रखी गई थी। इसमें कहा गया था कि डिफेंस सिविलियन कर्मचारी जो हथियार, केमिकल, बारूद, ऐसिड बनाने का काम करते हैं, उनके खतरों को समझा जाए और स्पेशल रिस्क अलाउएंस, बीमा कवर, मुआवजा वगैरह दिया जाए।
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