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  1. ELSS vs ULIP: टैक्स बेनिफिट से लेकर रिटर्न तक क्या हैं अंतर? निवेश से पहले समझना है जरूरी

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ELSS vs ULIP: टैक्स बेनिफिट से लेकर रिटर्न तक क्या हैं अंतर? निवेश से पहले समझना है जरूरी

Shubham Singh Thakur

3 min read | अपडेटेड June 03, 2025, 15:16 IST

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सारांश

ELSS एक तरह का म्यूचुअल फंड होता है, जो कंपनियों के शेयरों में पैसा लगाता है। इसका रिटर्न शेयर बाजार पर निर्भर करता है, इसलिए इससे आपको बैंक एफडी जैसे विकल्पों से ज्यादा रिटर्न मिल सकता है। लेकिन चूंकि यह बाजार से जुड़ा है, इसलिए इसमें नुकसान की संभावना भी रहती है।

ULIP

ULIP एक बीमा योजना होती है, जिसमें निवेश का विकल्प भी होता है।

ELSS (इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम) और ULIP (यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान) दोनों ही ऐसे निवेश विकल्प हैं जो आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत टैक्स छूट देते हैं। लेकिन इन दोनों में कई जरूरी अंतर होते हैं। ELSS एक तरह का म्यूचुअल फंड होता है, जो कंपनियों के शेयरों में पैसा लगाता है। वहीं, ULIP एक बीमा योजना होती है, जिसमें निवेश का विकल्प भी होता है।

ELSS क्या है?

इसका रिटर्न शेयर बाजार पर निर्भर करता है, इसलिए इससे आपको बैंक एफडी जैसे विकल्पों से ज्यादा रिटर्न मिल सकता है। लेकिन चूंकि यह बाजार से जुड़ा है, इसलिए इसमें नुकसान की संभावना भी रहती है। ELSS में 3 साल का लॉक-इन होता है यानी 3 साल तक आप अपना पैसा नहीं निकाल सकते।

ULIP क्या है?

इसमें आपका पैसा इक्विटी, डेट या मिक्स फंड्स में लगाया जाता है। साथ ही इसमें आपको जीवन बीमा भी मिलता है। अगर बीमा अवधि के दौरान किसी की मृत्यु हो जाती है तो नॉमिनी को बीमा राशि या फंड वैल्यू में से जो ज्यादा हो, वह राशि मिलती है। ULIP में 5 साल का लॉक-इन पीरियड होता है।

ELSS vs ULIP: क्या हैं अंतर

1. निवेश का उद्देश्य

ELSS एक शुद्ध निवेश प्रोडक्ट है, जबकि ULIP बीमा और निवेश का मिश्रण है।

2. लॉक-इन अवधि

ELSS में 3 साल का लॉक-इन होता है जबकि ULIP में 5 साल का।

3. टैक्स बेनिफिट

दोनों में निवेश करने पर आप धारा 80C के तहत ₹1.5 लाख तक टैक्स छूट पा सकते हैं। ELSS में मिलने वाला लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन ₹1 लाख तक टैक्स फ्री होता है, उसके ऊपर 10% टैक्स लगता है। ULIP के रिटर्न पर आपकी टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लग सकता है।

4. खर्च

ELSS में फंड मैनेजमेंट फीस करीब 2-2.5% होती है। ULIP में चार्जेस ज्यादा होते हैं जैसे प्रीमियम एलोकेशन चार्ज, एडमिनिस्ट्रेटिव चार्ज, मैनजमेंट चार्ज, और बीमा (मॉर्टेलिटी) चार्ज। पहले साल में कुल चार्ज 20% तक हो सकता है, जो बाद के सालों में कम होता है।

5. लिक्विडिटी

ELSS में आप 3 साल के बाद यूनिट्स को म्यूचुअल फंड या स्टॉक एक्सचेंज के जरिए बेच सकते हैं। ULIP में 5 साल बाद ही आप पैसा निकाल सकते हैं या पॉलिसी सरेंडर कर सकते हैं।

6. रिटर्न

ELSS का रिटर्न पूरी तरह बाजार से जुड़ा होता है और यह अधिक हो सकता है। ULIP में चूंकि एक हिस्सा बीमा में जाता है, इसलिए रिटर्न अपेक्षाकृत कम हो सकता है।

7. लॉक-इन अवधि

ELSS में 3 साल की लॉक-इन होती है और ULIP में 5 साल की। लॉक-इन का मतलब है कि इस समय के पहले आप अपने पैसे नहीं निकाल सकते। यह निवेश को लंबे समय तक बनाए रखने और बेहतर रिटर्न प्राप्त करने के लिए होता है।

निष्कर्ष

ELSS और ULIP दोनों ही टैक्स बचाने और निवेश के अच्छे विकल्प हैं। ELSS उन लोगों के लिए बेहतर है जो सिर्फ निवेश करना चाहते हैं और जोखिम उठा सकते हैं। वहीं ULIP उन लोगों के लिए है जो निवेश के साथ बीमा भी चाहते हैं।

ELSS
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लेखकों के बारे में

Shubham Singh Thakur
Shubham Singh Thakur Shubham Singh Thakur is a business journalist with a focus on stock market and personal finance. An alumnus of the Indian Institute of Mass Communication (IIMC), he is passionate about making financial topics accessible and relevant for everyday readers.