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  1. Gold & Silver: धनतेरस पर फिजिकल गोल्ड खरीदें या ETF में निवेश होगी समझदारी? समझिए कितना देना पडे़गा टैक्स

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Gold & Silver: धनतेरस पर फिजिकल गोल्ड खरीदें या ETF में निवेश होगी समझदारी? समझिए कितना देना पडे़गा टैक्स

Upstox

3 min read | अपडेटेड October 16, 2025, 17:51 IST

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सारांश

Gold & Silver: अगर आप ETF को 12 महीने से ज्यादा समय तक रखते हैं, तो उस पर लगने वाला टैक्स लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) कहलाएगा और यह 12.5% की फ्लैट दर पर लगेगा। अगर आप ETF को 12 महीने या उससे कम समय में बेच देते हैं, तो यह Short-Term Gain माना जाएगा।

Gold & Silver investment

Gold & Silver investment: गोल्ड और सिल्वर ETF को अब “नॉन-इक्विटी कैपिटल एसेट” माना गया है।

Gold & Silver: सोना और चांदी की कीमतें इस समय रिकॉर्ड स्तर पर हैं। ऐसे में बहुत से निवेशक दिवाली और धनतेरस जैसे त्योहारों से पहले यह सोच रहे हैं कि फिजिकल गोल्ड खरीदें या फिर डिजिटल गोल्ड और ETF (Exchange Traded Fund) में निवेश करें। हाल ही में सरकार ने गोल्ड और सिल्वर ETF पर टैक्स के नियमों में बदलाव किए हैं। ऐसे में निवेश करने से पहले इन नियमों को समझना जरूरी है।
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नए वित्त अधिनियम 2024 के अनुसार गोल्ड और सिल्वर ETF को अब “नॉन-इक्विटी कैपिटल एसेट” माना गया है। इसका मतलब है कि अब इन पर एक नया टैक्स सिस्टम लागू है जो पहले की तुलना में सरल तो है, लेकिन थोड़ा सख्त भी है।

ETF में निवेश पर कितना देना होगा टैक्स

अगर आप ETF को 12 महीने से ज्यादा समय तक रखते हैं, तो उस पर लगने वाला टैक्स लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) कहलाएगा और यह 12.5% की फ्लैट दर पर लगेगा। अगर आप ETF को 12 महीने या उससे कम समय में बेच देते हैं, तो यह Short-Term Gain माना जाएगा और उस पर आपकी इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा, जो अधिकतम 30% तक हो सकता है।

पहले ETF में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पाने के लिए 36 महीने तक निवेश करना जरूरी था, लेकिन तब निवेशक को “इंडेक्सेशन” का फायदा मिलता था। यानी महंगाई को एडजस्ट करके टैक्स देना पड़ता था, जिससे टैक्स बोझ कम होता था। अब वह फायदा खत्म हो गया है और निवेशकों को पूरी कमाई पर टैक्स देना होगा, जिससे टैक्स का असर थोड़ा बढ़ गया है।

मान लीजिए आपने ETF से ₹50000 का लाभ कमाया। अगर आपने यह निवेश 12 महीने से पहले बेच दिया, तो आपको 30% टैक्स यानी 15000 देना होगा और आपके पास ₹35000 बचेंगे। लेकिन अगर आपने ETF को एक साल से ज्यादा समय तक रखा, तो टैक्स सिर्फ 12.5% यानी ₹6250 लगेगा, जिससे ₹43750 आपके पास बचेंगे। यानी सिर्फ एक साल तक निवेश को बढ़ाने से ही ₹8750 का टैक्स बचाया जा सकता है।

फिजिकल गोल्ड में टैक्स का नियम थोड़ा अलग है। उसमें लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के लिए 24 महीने तक होल्ड करना जरूरी होता है, और साथ ही मेकिंग चार्ज और प्योरिटी जैसी अतिरिक्त लागतें भी रिटर्न को घटा देती हैं।

ETF में निवेश के क्या हैं फायदे?

ETF में निवेश कई मायनों में बेहतर है। इसमें न तो मेकिंग चार्ज की परेशानी होती है और न ही सोने की शुद्धता की चिंता। यह पूरी तरह डिजिटल होता है और बाजार के भाव के हिसाब से चलता है। टैक्स के लिहाज से भी यह आसान है, बस 12 महीने से ज्यादा समय तक रखने पर 12.5% का टैक्स देना होता है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि छोटे और मध्यम निवेशक ETF को कम से कम 12 महीने तक होल्ड करें ताकि 12.5% LTCG टैक्स का फायदा मिल सके। साथ ही, ऐसे ETF चुनें जिनका एक्सपेंस रेशियो कम हो, ताकि रिटर्न पर असर न पड़े। अगर बाजार में उतार-चढ़ाव ज्यादा है तो थोड़ा-थोड़ा निवेश करते रहें, ताकि औसत लागत संतुलित रहे। कहा जा सकता है कि गोल्ड और सिल्वर ETF अब टैक्स के लिहाज से ज्यादा पारदर्शी और आसान विकल्प बन गए हैं।

(डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें।)
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लेखकों के बारे में

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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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