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  1. Corporate NPS: क्या सैलरीड कर्मचारी भी MSF में 100% इक्विटी चुन सकेंगे? पेंशन फंड सेलेक्शन के नियम बदले

पर्सनल फाइनेंस

Corporate NPS: क्या सैलरीड कर्मचारी भी MSF में 100% इक्विटी चुन सकेंगे? पेंशन फंड सेलेक्शन के नियम बदले

rajeev-kumar

3 min read | अपडेटेड November 10, 2025, 15:02 IST

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सारांश

PFRDA ने यह भी नियम बदले हैं कि पेंशन फंड चुनने का निर्णय कैसे किया जाएगा। अगर कंपनी और कर्मचारी दोनों मिलकर योगदान कर रहे हैं, तो पेंशन फंड का चुनाव और स्कीम चुनने का फैसला प्रबंधन (Employer) और कर्मचारियों के बीच औपचारिक और आपसी सहमति से होगा।

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NPS: निवेशक चाहे तो अपनी पूरी रकम शेयर मार्केट आधारित स्कीम्स में लगा सकते हैं।

NPS: रिटायरमेंट प्लानिंग के लिहाज से नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) देश में निवेश के पसंदीदा विकल्पों में से एक है। हाल ही में इसे और आकर्षक बनाने के लिए पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) ने कुछ बदलाव किए हैं। इन्हीं बदलावों में से एक बड़ा बदलाव यह है कि अब निवेशक मल्टीपल स्कीम फ्रेमवर्क (MSF) के तहत 100% इक्विटी में निवेश चुन सकते हैं। इसका मतलब है कि निवेशक चाहे तो अपनी पूरी रकम शेयर मार्केट आधारित स्कीम्स में लगा सकते हैं। हालांकि, इस विकल्प के साथ कुछ शर्तें भी जुड़ी हुई हैं। MSF के तहत केवल 100% इक्विटी ही नहीं, बल्कि निवेशक कई अलग-अलग स्कीम्स में से अपने जोखिम और लक्ष्य के अनुसार विकल्प चुन सकते हैं।
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क्या कॉरपोरेट NPS वाले कर्मचारी 100% इक्विटी विकल्प चुन सकते हैं?

इस घोषणा के बाद कॉरपोरेट NPS के तहत निवेश करने वाले कर्मचारियों के मन में यह सवाल उठने लगा है कि क्या वे भी 100% इक्विटी विकल्प चुन सकते हैं? PFRDA ने साफ कर दिया है कि हां, कॉरपोरेट NPS वाले कर्मचारी 100% इक्विटी विकल्प चुन सकते हैं, लेकिन यह निवेश स्वैच्छिक (Voluntary) होना चाहिए। यानी यह निवेश कॉरपोरेट NPS के नियमित योगदान के हिस्से के रूप में नहीं किया जा सकता। कर्मचारी को यह अतिरिक्त योगदान खुद से अलग से करना होगा।

कॉरपोरेट NPS में आमतौर पर नियोक्ता (कंपनी) और कर्मचारी दोनों मिलकर योगदान तय करते हैं। कहीं-कहीं दोनों योगदान करते हैं, और कुछ मामलों में केवल नियोक्ता ही योगदान करता है। इसलिए जो योगदान कंपनी और कर्मचारी के बीच तय हो चुका है, उसे MSF वाली स्कीम में शिफ्ट नहीं किया जा सकता। अगर कर्मचारी 100% इक्विटी निवेश करना चाहता है, तो उसे इसे अलग से स्वैच्छिक योगदान (Voluntary Contribution) के रूप में करना होगा।

पेंशन फंड सेलेक्शन के नियम बदले

आपसी सहमति से होगा स्कीम चुनने का फैसला

PFRDA ने यह भी नियम बदले हैं कि पेंशन फंड चुनने का निर्णय कैसे किया जाएगा। अगर कंपनी और कर्मचारी दोनों मिलकर योगदान कर रहे हैं, तो पेंशन फंड का चुनाव और स्कीम चुनने का फैसला प्रबंधन (Employer) और कर्मचारियों के बीच औपचारिक और आपसी सहमति से होगा। यह सहमति कंपनी की नीतियों और कर्मचारियों की जरूरतों के आधार पर तय की जाएगी।

हर साल होगी समीक्षा

साथ ही, यह भी कहा गया है कि पेंशन फंड के चुनाव की हर साल समीक्षा की जानी चाहिए। हालांकि, समीक्षा करते समय यह ध्यान रखना होगा कि पेंशन बचत लंबी अवधि का निवेश होता है। इसलिए फंड बदलने या निर्णय लेने में 20–30 वर्षों के प्रदर्शन और लंबी अवधि की स्थिरता को ध्यान में रखना चाहिए, केवल अल्पकालिक बाजार उतार-चढ़ाव से प्रभावित नहीं होना चाहिए।

कर्मचारियों को पूरी स्वतंत्रता

अंत में, PFRDA ने यह भी कहा है कि अगर कंपनी चाहे, तो वह कर्मचारियों को पूरी स्वतंत्रता दे सकती है कि वे अपनी मर्जी से खुद अपनी स्कीम और फंड चुनें। यानी कंपनी सभी कर्मचारियों पर एक जैसा निवेश मॉडल थोपने की बजाय, कर्मचारियों को उनके जोखिम और लक्ष्य के अनुसार निवेश का निर्णय लेने दे सकती है।

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लेखकों के बारे में

rajeev-kumar
Rajeev Kumar Upstox में डेप्युटी एडिटर हैं और पर्सनल फाइनेंस की स्टोरीज कवर करते हैं। पत्रकार के तौर पर 11 साल के करियर में उन्होंने इनकम टैक्स, म्यूचुअल फंड्स, क्रेडिट कार्ड्स, बीमा, बचत और पेंशन जैसे विषयों पर 2,000 से ज्यादा आर्टिकल लिखे हैं। वह 1% क्लब, द फाइनेंशल एक्सप्रेस, जी बिजेनस और हिंदुस्तान टाइम्स में काम कर चुके हैं। अपने काम के अलावा उन्हें लोगों से उनके पर्सनल फाइनेंस के सफर के बारे में बात करना और उनके सवालों के जवाब देना पसंद है।

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