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3 min read | अपडेटेड January 09, 2025, 07:41 IST
सारांश
Budget 2025-26: बजट 2023 के पहले 3 साल तक डेट फंड में किए गए निवेश पर Indexation Benefit मिलता था। इससे किसी ऐसेट से होने वाले कैपिटल गेन पर मुद्रास्फीति का असर कम होता है।
टैक्स को लेकर मौजूदा नियम डेट फंड्स के रिटर्न्स को ना के बराबर कर देते हैं।
असोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) ने आगामी बजट 2025-26 को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से उम्मीद जताई है कि डेट म्यूचुअल फंड्स में निवेश से लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन बेनिफिट को बहाल किया जाएगा। डेट MF ऐसी जगहों में निवेश करता है जहां से आमदनी फिक्स्ड आती हो।
आयकर कानून, 1961 के सेक्शन 50एए के तहत ऐसी म्यूचुअल फंड स्कीम दिसमें 65% पोर्टफोलियो डट और मनी मार्केट इंस्ट्रुमेंट में लगा हो, जैसे डिबेंचर, स्टेट डिवेलपमेंट लोन और सरकारी सिक्यॉरिटी, उन्हें डेट फंड कहते हैं।
बजट 2023 के पहले 3 साल तक डेट फंड में किए गए निवेश पर इंडेक्सेशन बेनिफिट मिलता था। इससे किसी ऐसेट से होने वाले कैपिटल गेन पर मुद्रास्फीति का असर कम होता है। बजट 2023 में 1 अप्रैल, 2023 के बाद के डेट फंड्स में निवेश से इसे खत्म कर दिया गया।
बाद में बजट 2024 में 31 मार्च, 2023 के पहले के डेट फंड्स में निवेश से भी इंडेक्सेशन बेनिफिट को हटा दिया था।
टैक्स को लेकर मौजूदा नियम डेट फंड्स के रिटर्न्स को ना के बराबर कर देते हैं। पिछले तीन साल में डेट फंड्स ने 7% का रिटर्न दिया है जबकि मुद्रास्फीति 5.5% की रही है। यानी डेट फंड्स से निवेशकों को असल में कमाई सिर्फ 1.5% हुई है। इसके बाद टैक्स लगने से यह और भी कम हो जाती है।
बजट 2024 में पहले रियल एस्टेट समेत सभी ऐसेट्स पर से इंडेक्सेशन बेनिफिट हटा दिए गए थे। बाद में सरकार ने इसे बदलते हुए 1 जुलाई, 2024 के पहले खरीदी गई संपत्ति पर मिलने वाले कैपिटल गेन्स पर इंडेक्सेशन बेनिफिट देने का फैसला किया था। हालांकि, डेट फंड के निवेशकों को इसमें राहत नहीं दी गई थी।
AMFI का कहना है कि डेट फंड्स से लॉन्ग-टर्म गेन्स पर इंडेक्सेशन बेनिफिट्स वापस लागू करने से खुदरा निवेशकों का डेट मार्केट में आत्मविश्वास बढ़ेगा और देश की अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान होगा।
बजट 2025-26 को लेकर वित्त मंत्रालय को अलग-अलग क्षेत्रों से सुझाव जा रहे हैं। इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने टैक्स से जुड़ी प्रस्ताव रखे हैं।
ICAI का कहना है कि शादीशुदा जोड़ों को एक संयुक्त आयकर रिटर्न फाइल करने की इजाजत देनी चाहिए। इसके अलावा जब पति-पत्नि दोनों वेतनप्राप्त हों तो स्टैंडर्ड डिडक्शन अलग-अलग होना चाहिए।
इसके अलावा ICAI ने सरकार को सुझाव दिया है कि आगामी बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन को मुद्रास्फीति से जोड़ा जाए। इसके अलावा कर्मचारियों की खरीददारी की क्षमता को भी ध्यन में रखा जाए। इसे कॉस्ट-इन्फ्लेशन इंडेक्स से भी जोड़ा जा सकता है ताकि समय-समय पर अडजस्ट किया जा सके।
संस्थान का कहना है कि मौजूदा व्यवस्था में ताजा कॉस्ट ऑफ लिविंग का ध्यान नहीं दिया गया है और इसे बदलने से लोगों को राहत भी मिलेगी और टैक्स से बचने की कोशिशें भी कम होंगी।
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