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3 min read | अपडेटेड May 08, 2025, 11:45 IST
सारांश
8th Pay Commission की रिपोर्ट आने में कई महीने लग सकते हैं। 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें कब आएंगी और कब से लागू की जाएंगी? इसको लेकर भी तमाम तरह के दावे किए जा रहे हैं। लेकिन उससे पहले यह समझना जरूरी है कि क्या ज्यादा फिटमेंट फैक्टर बंपर सैलरी हाइक की गारंटी देता है?
8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर ज्यादा होने पर क्या सैलरी में मिलेगी बंपर हाइक?
8th Pay Commission: 8वें सेंट्रल पे कमीशन (CPC) यानी कि केंद्रीय वेतन आयोग से पहले, अपेक्षित फिटमेंट फैक्टर के बारे में बहुत सारी अटकलें लगाई जा रही हैं, जो कि वेतन आयोगों द्वारा संशोधित बेसिक सैलरी की कैलकुलेशन करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला गुणक है। हालांकि 8वें वेतन आयोग की रिपोर्ट आने में कई महीने लग सकते हैं। 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें कब आएंगी और कब से लागू की जाएंगी? इसको लेकर भी तमाम तरह के दावे किए जा रहे हैं। लेकिन उससे पहले यह समझना जरूरी है कि क्या ज्यादा फिटमेंट फैक्टर बंपर सैलरी हाइक की गारंटी देता है? मौजूदा केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को यह पता होना चाहिए कि मुद्रास्फीति (महंगाई) को ध्यान में रखते हुए फिटमेंट फैक्टर अकेले सैलरी में वास्तविक वृद्धि को पूरी तरह से व्यक्त नहीं करता है। 6वें और 7वें CPC में फिटमेंट फैक्टर के एनालिसिस से पता चलता है कि सैलरी में वास्तविक वृद्धि तब भी कम हो सकती है, जब फिटमेंट फैक्टर पिछले वेतन आयोग से अधिक हो। चलिए समझते हैं कि ऐसा होता क्यों है?
7वें वेतन आयोग ने 2.57 के फिटमेंट फैक्टर की सिफारिश की, जिससे प्रभावी रूप से केंद्र सरकार के कर्मचारी का न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये हो गया। हालांकि, महंगाई के समायोजन के बाद वास्तविक वेतन वृद्धि केवल 14.2% थी। इसके विपरीत, अलग-अलग रिपोर्ट्स द्वारा यह अनुमान लगाया गया है कि 6वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर लगभग 1.86 था। हालांकि, 6वें वेतन आयोग में सैलरी में वास्तविक वृद्धि 54% थी। वास्तव में, स्वतंत्रता के बाद से सभी वेतन आयोगों की तुलना में 6वें वेतन आयोग में वास्तविक सैलरी हाइक सबसे अधिक थी।
सैलरी हाइक कैलकुलेट करते समय, वेतन आयोग मौजूदा सैलरी लेवल और महंगाई समायोजन दोनों को ध्यान में रखता है। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के मामले में, महंगाई भत्ता (डीयरनेस अलाउंस) देकर उनकी वास्तविक सैलरी को सिक्योर किया जाता है। इसलिए, फिटमेंट फैक्टर का एक हिस्सा महंगाई भत्ते या महंगाई के लिए समायोजन को दर्शाता है, और दूसरा हिस्सा वास्तविक वेतन वृद्धि को दर्शाता है। 7वें सीपीसी के 2.57 फिटमेंट फैक्टर को समझने के लिए दो भागों में विभाजित किया जा सकता है, सबसे पहले, 2.57 में से 2.25 तत्कालीन मौजूदा बेसिक सैलरी को डीए के साथ मिलाने के लिए जिम्मेदार था, जिसे 01 जनवरी, 2026 को मूल वेतन का 125% माना गया था। इस तरह के विलय ने 7वें सीपीसी के संशोधित वेतन ढांचे में मुद्रास्फीति-आधारित समायोजन सुनिश्चित किया। दूसरा भाग, यानी 0.32, या फिटमेंट फैक्टर का बचा हुआ हिस्सा, 7वें सीपीसी द्वारा रेकमंड की गई सैलरी में वास्तविक वृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है। इसकी गणना 2.57 ÷ 2.25 = 1.1429, या 14.2%, मूल वेतन+डीए के विलय पर की गई।
7वें वेतन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इसका जिक्र करते हुए कहा, ‘किसी भी स्तर पर 01.01.2016 को बेसिक सैलरी (वेतन बैंड में सैलरी + ग्रेड सैलरी) को नए वेतन ढांचे में किसी कर्मचारी की सैलरी तय करने के लिए 2.57 से गुणा करना होगा। इस गुणक में से, 2.25 मूल वेतन को डीए के साथ विलय करने का प्रावधान करता है, जिसे 01.01.2016 को 125 प्रतिशत माना जाता है, जबकि शेष राशि आयोग द्वारा रेकमंड की गई वास्तविक वृद्धि है। वास्तविक वृद्धि 14.2% (2.57÷2.25 = 1.1429) है।’
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