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  1. 11 सितंबर से टूट रहे इस एनर्जी शेयर में फिर आई गिरावट, इस बार वजह काफी गंभीर है, फ्रेश निवेश से पहले चेक कर लें डीटेल

मार्केट न्यूज़

11 सितंबर से टूट रहे इस एनर्जी शेयर में फिर आई गिरावट, इस बार वजह काफी गंभीर है, फ्रेश निवेश से पहले चेक कर लें डीटेल

विकास तिवारी

3 min read | अपडेटेड September 26, 2025, 10:57 IST

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सारांश

भारत की सबसे बड़ी सोलर पैनल निर्माता कंपनी Waaree Energies पर आरोप है कि उसने चीन और अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से आए सोलर सेल्स को गलत लेबलिंग करके भारत से एक्सपोर्ट दिखाया, ताकि अमेरिकी बाजार में टैरिफ से बचा जा सके।

शेयर सूची

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Waaree Energies के शेयर शुक्रवार को 5% तक टूट गए

हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन सुबह 11 बजे तक Waaree Energies के शेयरों में भारी दबाव देखने को मिला। एनएसई पर कंपनी का स्टॉक 4.9% टूटकर ₹3,266 तक फिसल गया। यह गिरावट उस खबर के बाद आई जिसमें बताया गया कि अमेरिकी कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन (USCBP) ने Waaree Energies और उसकी अमेरिकी यूनिट Waaree Solar Americas Inc. पर औपचारिक जांच शुरू कर दी है। बता दें कि इस कंपनी के शेयर ने 11 सितंबर को अपना ऑल टाइम हाई 3,865 का बनाया था। उसके बाद से इसमें कुछ दिनों तक मुनाफावसूली देखी गई और अब इस खबर से निवेशकों में पैदा हुए डर ने बिकवाली को हवा दे दी।

क्या है पूरा मामला?

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, USCBP ने कंपनी पर "इंटरिम मेजर्स" भी लगाए हैं क्योंकि उन्हें यह उचित संदेह है कि Waaree ने चीन से आए सोलर सेल्स की गलत लेबलिंग की और उन्हें भारत से आए प्रोडक्ट्स के रूप में दिखाया ताकि एंटी-डंपिंग और काउंटरवेलिंग ड्यूटी से बचा जा सके। यह जांच अमेरिकी सोलर मैन्युफैक्चरिंग ट्रेड कमेटी की शिकायत के आधार पर शुरू की गई है।

अमेरिकी सोलर कंपनियां लंबे समय से मांग कर रही हैं कि इम्पोर्टेड फोटोवोल्टिक उपकरणों पर ज्यादा टैरिफ लगाया जाए। उनका कहना है कि विदेशी कंपनियां सब्सिडी लेकर सस्ते दामों पर सामान बेच रही हैं, जिससे घरेलू इंडस्ट्री पर दबाव बनता है। अगस्त में भी अमेरिकी कॉमर्स डिपार्टमेंट ने इंडोनेशिया, लाओस और भारत से आने वाले सोलर मॉड्यूल्स पर नई जांच शुरू की थी। इससे पहले वियतनाम, कंबोडिया, मलेशिया और थाईलैंड से आने वाले प्रोडक्ट्स पर भारी ड्यूटी लगाई जा चुकी है।

Waaree Energies का कारोबार कैसा है?

मुंबई मुख्यालय वाली Waaree Energies भारत की सबसे बड़ी सोलर मॉड्यूल निर्माता है। कंपनी के पास 15 GW सोलर PV मॉड्यूल और 5.4 GW सोलर सेल्स की इंस्टॉल्ड कैपेसिटी है। इसके पांच मैन्युफैक्चरिंग प्लांट गुजरात (सूरत, टुंब, नंदिग्राम और चिखली) और नोएडा (उत्तर प्रदेश) में स्थित हैं।

कंपनी का आईपीओ पिछले साल आया था और इसे 76.34 गुना सब्सक्रिप्शन मिला था। हाल ही में Q1 FY26 में Waaree Energies ने शानदार परिणाम पेश किए। कंपनी का नेट प्रॉफिट 93% बढ़कर ₹773 करोड़ पर पहुंच गया, जबकि एक साल पहले यह ₹401 करोड़ था। राजस्व भी बढ़कर ₹4,597 करोड़ हो गया। इस दौरान कंपनी ने रिकॉर्ड 2.3 GW का मॉड्यूल प्रोडक्शन किया। इसके अलावा, बोर्ड ने 4 GW अतिरिक्त सेल कैपेसिटी गुजरात में और 4 GW इंगॉट-वॉफर मैन्युफैक्चरिंग महाराष्ट्र में बढ़ाने के लिए ₹2,754 करोड़ का कैपेक्स मंजूर किया है।

हालांकि कंपनी की फंडामेंटल पोजीशन और प्रॉफिटेबिलिटी मजबूत बनी हुई है, लेकिन अमेरिकी जांच निवेशकों के लिए शॉर्ट टर्म रिस्क का कारण बन सकती है। अगर जांच में आरोप सही पाए जाते हैं तो Waaree को भारी पेनल्टी या ड्यूटी झेलनी पड़ सकती है। फिलहाल निवेशकों को ग्लोबल डेवलपमेंट्स और जांच की प्रगति पर नजर रखनी होगी।

(डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें।)

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टाइमिंग पर भारी पड़ती है निरंतरता
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लेखकों के बारे में

विकास तिवारी
Vikash Tiwary is a finance journalist with 6+ years of newsroom experience. He is currently growing Upstox Hindi, crafting data-driven stories on stocks, personal finance, mutual funds, and global markets, while exploring how AI can simplify finance. His work spans Zee Business, TV9 Bharatvarsh, ABP News, India TV, and Inshorts. He also holds NISM certification.

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