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Vodafone Idea Share Price: शेयरों में जमकर दिखी हलचल, किस खबर ने बढ़ा दिया भाव?

Namita Shukla

4 min read | अपडेटेड November 03, 2025, 14:41 IST

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सारांश

Vodafone Share Price: टीजीएच वोडाफोन आइडिया में 35,000-52,000 करोड़ (4-6 बिलियन डॉलर) का निवेश करने और कैश की कमी से जूझ रही, घाटे में चल रही वोडाफोन आइडिया कंपनी का ऑपरेशनल कंट्रोल लेने के लिए बातचीत कर रहा है।

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वोडाफोन आइडिया

क्यों वोडाफोन आइडिया के शेयरों में आज दिखी तेजी?

कर्ज में डूबी वोडाफोन आइडिया (Vi) के शेयरों में सोमवार को कुछ तेजी देखने को मिली है। पिछले सप्ताह भी वोडाफोन आइडिया के शेयरों में तेजी देखी गई थी। दरअसल अमेरिका की प्राइवेट इक्विटी फर्म टिलमैन ग्लोबल होल्डिंग्स (TGH) वोडाफोन आइडिया में भारी-भरकम निवेश कर सकती है। इस खबर के बाद से वोडाफोन के शेयरों में तेजी देखी जा रही है। इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक टीजीएच वोडाफोन आइडिया में 35,000-52,000 करोड़ (4-6 बिलियन डॉलर) का निवेश करने और कैश की कमी से जूझ रही, घाटे में चल रही वोडाफोन आइडिया कंपनी का ऑपरेशनल कंट्रोल लेने के लिए बातचीत कर रहा है। हालांकि रिपोर्ट में बताया गया है कि यह इन्वेस्टमेंट तभी संभव होगी, जब सरकार एजीआर और स्पेक्ट्रम भुगतान सहित वोडाफोन आइडिया के बकाया को कवर करने वाला एक फुल रिलीफ पैकेज दे।

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रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि न्यूयॉर्क स्थित यह निवेश कंपनी बकाया राशि की पूरी तरह से माफी नहीं, बल्कि कंपनी को कुछ राहत देने के लिए देनदारियों के पुनर्गठन की मांग कर रही है। इसने सरकार को एक विस्तृत प्रस्ताव भी सौंपा है। एनडीटीवी प्रॉफिट की एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार दूरसंचार ऑपरेटर को उसके अतिरिक्त एजीआर बकाया में संभावित डुप्लिकेट एंट्रीज और कैलकुलेशन एरर की समीक्षा और सुधार करके सीमित राहत देने पर विचार कर रही है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि संभावित राहत केवल FY2017 तक की अवधि के लिए उठाई गई 9,450 करोड़ रुपये की अतिरिक्त मांग पर लागू होगी, जो कि सुप्रीम कोर्ट के 27 अक्टूबर के फैसले के हिसाब से है, जिसमें दूरसंचार विभाग (डीओटी) की मांग कैलकुलेशन में गलतियों के पुनर्मूल्यांकन की अनुमति दी गई थी। पिछले सप्ताह, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को वोडाफोन आइडिया के FY2017 के 5,606 करोड़ रुपये के लंबित एजीआर बकाया पर पुनर्विचार करने और उसका समाधान करने की अनुमति दी थी। कोर्ट ने कहा था कि यह मामला सरकार के नीतिगत अधिकार क्षेत्र में आता है।

क्या है AGR?

समायोजित सकल राजस्व (Adjusted gross revenue, AGR) वह आय आंकड़ा है, जिसका इस्तेमाल टेलिकॉम कंपनियों द्वारा सरकार को देय लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम चार्जेस की कैलकुलेशन के लिए किया जाता है। इस साल की शुरुआत में, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया समेत प्रमुख टेलिकॉम कंपनियों को झटका देते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2021 के आदेश की समीक्षा करने से इनकार कर दिया, जिसमें उनके द्वारा देय एजीआर बकाया की कैलकुलेशन में कथित त्रुटियों को सुधारने की उनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था। सितंबर 2020 में, सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर से संबंधित बकाया राशि के 93,520 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए संघर्ष कर रहे टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए सरकार को अपनी बकाया राशि चुकाने के लिए 10 साल की समय-सीमा निर्धारित की थी।

वोडाफोन का कितना AGR बकाया है?

वोडाफोन आइडिया पर एजीआर बकाया के रूप में लगभग 83,400 करोड़ रुपये बकाया हैं, और वर्तमान में वार्षिक भुगतान 18,000 करोड़ रुपये है, जो मार्च 2026 से शुरू होना है। ब्याज और जुर्माने को मिलाकर, वोडाफोन आइडिया का बकाया 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।

शेयरों पर पड़ा इस रिपोर्ट का कितना असर?

वोडाफोन आइडिया के शेयर की कीमत सुबह 10:10 बजे, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में शेयर 2.52% की बढ़त के साथ 8.95 रुपये प्रति शेयर पर ट्रेड हो रहे थे। वहीं दोपहर 2:30 बजे वोडाफोन आइडिया के शेयर 9.60 रुपये पर ट्रेड हो रहे थे। इस तरह से शेयरों में करीब 10% की तेजी देखी गई।

(डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें।)
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लेखकों के बारे में

Namita Shukla
Namita Shukla is a seasoned journalist with over 15 years of experience in Hindi media. She has worked with some of the most reputed news organizations, including Navbharat Times, Dainik Jagran, Aaj Tak, and Hindustan Times Hindi. Throughout her career, Namita has reported on a wide range of beats such as national affairs, sports, business, and entertainment, bringing clarity and depth to her reporting. In addition to her journalistic work, she is a certified fact-checker by both Google and Meta, underscoring her commitment to accuracy and ethical journalism in the digital age.

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