return to news
  1. अब 'किस्मत' नहीं 'काबिलियत' दिलाएगी अमेरिका का वीजा, ट्रंप के नए नियमों से भारतीय IT सेक्टर में मची खलबली

मार्केट न्यूज़

अब 'किस्मत' नहीं 'काबिलियत' दिलाएगी अमेरिका का वीजा, ट्रंप के नए नियमों से भारतीय IT सेक्टर में मची खलबली

विकास तिवारी

3 min read | अपडेटेड December 24, 2025, 09:04 IST

Twitter Page
Linkedin Page
Whatsapp Page

सारांश

ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा के लिए पुराने लॉटरी सिस्टम को खत्म कर ऊंचे वेतन और हाई स्किल वाले पेशेवरों को प्राथमिकता देने का फैसला किया है। यह नया नियम 27 फरवरी 2026 से प्रभावी होगा। इससे टीसीएस, इन्फोसिस और विप्रो जैसी भारतीय आईटी कंपनियों की लागत बढ़ सकती है और उनके शेयरों पर असर पड़ने की संभावना है।

us-trump-administration-removes-h1b-visa

ट्रंप प्रशासन के नए वीजा नियमों से भारतीय आईटी कंपनियों के लिए अमेरिका में काम करना अब और महंगा हो जाएगा।

अमेरिका की ट्रंप सरकार ने भारतीय आईटी पेशेवरों और कंपनियों को बड़ा झटका देते हुए H-1B वीजा की चयन प्रक्रिया में आमूल-चूल बदलाव कर दिया है। अब तक इस वीजा के लिए लॉटरी सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता था, जिसमें किस्मत के आधार पर आवेदकों का चुनाव होता था। लेकिन अब ट्रंप प्रशासन ने इसे खत्म कर 'मेरिट' यानी योग्यता और ऊंचे वेतन को आधार बनाने का फैसला किया है। सरकार का तर्क है कि पुराने सिस्टम का फायदा उठाकर कंपनियां कम वेतन पर विदेशी कर्मचारियों को बुलाती थीं, जिससे अमेरिकी कामगारों के हितों को नुकसान पहुंचता था। अब नए नियमों के तहत केवल उन्हीं लोगों को प्राथमिकता मिलेगी जिनके पास विशेष हुनर होगा और जिन्हें कंपनियां अधिक वेतन देने को तैयार होंगी।

Open FREE Demat Account within minutes!
Join now

भारतीय आईटी दिग्गज कंपनियों पर पड़ेगा गहरा असर

इस फैसले का सबसे बड़ा असर भारत की दिग्गज आईटी सेवा कंपनियों जैसे टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), इन्फोसिस और विप्रो पर पड़ने की उम्मीद है। ये कंपनियां हर साल हजारों की संख्या में मध्य-स्तर के इंजीनियरों को अमेरिका भेजती हैं। नया सिस्टम लागू होने के बाद इन कंपनियों के लिए अपने कर्मचारियों को अमेरिका भेजना न केवल मुश्किल होगा, बल्कि बेहद महंगा भी हो जाएगा। जानकारों का कहना है कि कंपनियों को अब वीजा हासिल करने के लिए अपने कर्मचारियों का वेतन बढ़ाना होगा, जिससे उनके मुनाफे पर सीधा असर पड़ेगा। यही वजह है कि बुधवार को शेयर बाजार में आईटी सेक्टर के शेयरों पर निवेशकों की पैनी नजर रहने वाली है।

फीस में भारी बढ़ोतरी और सख्त जांच के नियम

सिर्फ चयन प्रक्रिया ही नहीं बदली है, बल्कि ट्रंप प्रशासन ने अन्य कड़े कदम भी उठाए हैं। नई H-1B वीजा अर्जी के लिए अब 1 लाख डॉलर (करीब 85 लाख रुपये) की भारी-भरकम फीस चुकानी होगी। इसके अलावा 15 दिसंबर से वीजा आवेदकों की सोशल मीडिया प्रोफाइल की भी कड़ी जांच शुरू कर दी गई है। इस सख्ती के कारण भारत में होने वाले कई वीजा इंटरव्यू टाल दिए गए हैं, जिससे वे लोग भी फंस गए हैं जो स्टैंपिंग के लिए भारत आए हुए थे। अमेरिकी विदेश विभाग ने साफ कर दिया है कि वीजा पाना कोई अधिकार नहीं बल्कि एक विशेष सुविधा है और राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर वे हर जानकारी की बारीकी से जांच करेंगे।

क्या होगा भारतीय पेशेवरों का भविष्य?

नया नियम 27 फरवरी 2026 से प्रभावी होगा और यह वित्त वर्ष 2027 के वीजा सेशन के लिए लागू होगा। हालांकि इस बदलाव से उन पेशेवरों को फायदा हो सकता है जो अत्यधिक कुशल हैं और जिनका वेतन बहुत ज्यादा है, लेकिन साधारण और मध्यम स्तर के सॉफ्टवेयर इंजीनियरों के लिए अमेरिका जाने का रास्ता कठिन हो जाएगा। भारतीय कंपनियों को अब अमेरिका में स्थानीय लोगों की भर्ती बढ़ानी पड़ सकती है। हालांकि इससे कंपनियों की वैश्विक साख में सुधार हो सकता है, लेकिन तत्काल रूप से यह उनके बिजनेस मॉडल के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होने वाला है।

(डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें।)
SIP
टाइमिंग पर भारी पड़ती है निरंतरता
promotion image

लेखकों के बारे में

विकास तिवारी
Vikash Tiwary is a finance journalist with 6+ years of newsroom experience. He is currently growing Upstox Hindi, crafting data-driven stories on stocks, personal finance, mutual funds, and global markets, while exploring how AI can simplify finance. His work spans Zee Business, TV9 Bharatvarsh, ABP News, India TV, and Inshorts. He also holds NISM certification.

अगला लेख