मार्केट न्यूज़
5 min read | अपडेटेड September 26, 2025, 16:33 IST
सारांश
Stock Market: BSE सेंसेक्स पर लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप आज 26 सितंबर को घटकर 4,50,66,773.93 करोड़ रुपये हो गया। यह 19 सितंबर को 4,66,32,723.37 करोड़ रुपये था। इस तरह BSE में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप पिछले 5 कारोबारी दिनों में 15.65 लाख करोड़ रुपये घट गया।
Stock Market: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने अजीबोगरीब फैसलों से लगातार निवेशकों को चौंकाया है।
यानी पिछले 6 कारोबारी दिनों में Sensex में 2587 अंक या 3.12 फीसदी से अधिक की गिरावट आ चुकी है। दूसरी तरफ Nifty 50 भी इस दौरान करीब 768 अंक या 3 फीसदी लुढ़क गया है। आज की बात करें तो Sensex में 733.22 अंकों की गिरावट रही और यह 80426.46 के लेवल पर आ गया। इसके अलावा, Nifty 50 इंडेक्स में भी 236.15 अंकों की कमजोरी दर्ज की गई और यह 24654.70 पर बंद हुआ।
BSE सेंसेक्स पर लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप आज 26 सितंबर को घटकर 4,50,66,773.93 करोड़ रुपये हो गया। यह 19 सितंबर को 4,66,32,723.37 करोड़ रुपये था। इस तरह BSE में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप पिछले 5 कारोबारी दिनों में 15.65 लाख करोड़ रुपये घट गया। इसका मतलब है कि निवेशकों को 15.65 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। यहां हम समझेंगे कि बाजार में इस भारी बिकवाली की बड़ी वजहें क्या हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने अजीबोगरीब फैसलों से लगातार निवेशकों को चौंकाया है। उन्होंने ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं पर 100% तक का टैरिफ लगाने की घोषणा की, साथ ही हैवी-ड्यूटी ट्रकों पर 25% टैरिफ लगाया और घरेलू फर्नीचर/किचन कैबिनेट्स पर भी आयात शुल्क बढ़ाया गया।
इसके अलावा उन्होंने H-1B वीजा शुल्क बढ़ाने की पॉलिसी लागू की, जिससे खासकर भारतीय IT कंपनियों को चिंता हुई कि उनकी अमेरिका-बेस प्रोजेक्ट्स पर प्रभाव पड़ेगा । इन फैसलों ने दवा, आईटी, ऑटो और निर्यात आधारित सेक्टर्स पर अनिश्चितता पैदा की और विदेशी निवेशकों को बिकवाली के लिए मजबूर किया, जिससे बाजार गिरावट की ओर गया।
डोनाल्ड ट्रंप की लगातार बदलती नीतियों का आईटी सेक्टर के शेयरों में जबरदस्त असर देखने को मिला है। पिछले 6 कारोबारी दिनों में निफ्टी IT इंडेक्स में करीब 8.29 फीसदी की गिरावट आई है। इस दौरान यह 36750 के स्तर से 3050 अंक लुढ़ककर आज 33702 के स्तर पर बंद हुआ है।
आईटी इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि H-1B वीजा पर फैसले का अगले 6-12 महीने तक सीधा असर नहीं दिखेगा, क्योंकि पिछले साल की H-1B आवेदन पहले ही फाइल हो चुके हैं और लॉटरी सिस्टम उसी पर चलेगा। लेकिन उसके बाद कंपनियों को अपनी रणनीति पर दोबारा सोचना पड़ेगा।
अमेरिका की सरकार ने H-1B वीजा के लिए वर्तमान लॉटरी सिस्टम को हटाकर वेतन आधारित चयन प्रक्रिया लागू करने का प्रस्ताव रखा है। इस नए सिस्टम के अनुसार अधिक स्किल्ड और हाई-पेड कर्मचारियों को प्राथमिकता मिलेगी। रॉयटर्स के मुताबिक अगर वीजा की मांग 85000 वार्षिक लिमिट से अधिक हुई, तो उच्च वेतन देने वाले एम्प्लॉयर्स के आवेदन को अधिक महत्व मिलेगा। इसका मकसद अमेरिका में विदेशी कर्मचारियों के कारण होने वाली असमान वेतन प्रतिस्पर्धा को कम करना है।
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि 1 अक्टूबर 2025 से अमेरिका किसी भी ब्रांडेड या पेटेंट वाली दवा पर 100% टैरिफ लगाएगा। लेकिन अगर कोई कंपनी अमेरिका में अपनी दवा फैक्ट्री बना रही है या निर्माण शुरू कर चुकी है, तो उसे इस टैक्स से छूट मिलेगी। पिछले 6 कारोबारी दिनों में निफ्टी फार्मा इंडेक्स में भी करीब 5 फीसदी या 1070 अंकों की गिरावट देखने को मिली है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारतीय दवा कंपनियों पर इसका असर बहुत बड़ा नहीं होगा, क्योंकि भारत से अमेरिका में ज्यादातर जेनेरिक दवाएं जाती हैं। जेनेरिक दवाएं उन्हें कहते हैं जिनका पेटेंट खत्म हो चुका है और जो कम दाम में मिलती हैं। फिर भी Sun Pharma जैसी कंपनियों को नुकसान ज्यादा हो सकता है, क्योंकि इनकी आमदनी का बड़ा हिस्सा स्पेशलिटी मेडिसिन्स से आता है, जो ब्रांडेड और महंगी होती हैं। भले ही असली असर सीमित हो, लेकिन ऐसा ऐलान मार्केट सेंटीमेंट पर नकारात्मक असर डालता है।
विदेशी निवेशकों (FII) का भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस महीने यानी सितंबर की बात करें तो FII ने अब तक 24454.10 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। 19 सितंबर से अब तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो FII ने नेट 13491 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। ध्यान रहे कि इसमें आज 26 सितंबर का आंकड़ा शामिल नहीं है। FII की लगातार बिकवाली ने मार्केट सेंटीमेंट पर नेगेटिव असर डाला है।
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