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4 min read | अपडेटेड July 23, 2025, 12:48 IST
सारांश
Paytm share: पेटीएम जून तिमाही में पहली बार मुनाफे में आई। एक्सपर्ट्स ने इसके मुनाफे में आने की सराहना तो की, लेकिन वे कंपनी के मंथली ट्रांजेक्टिंग यूजर्स (MTU) और ग्रॉस मर्चेंडाइज वैल्यू (GMV) ग्रोथ के साथ-साथ कंज्यूमर बिजनेस को लेकर थोड़े चिंतित भी दिखे।
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Paytm share: आज यह स्टॉक 3 फीसदी से अधिक टूटकर 1019.35 रुपये के भाव तक लुढ़क गया।
पेटीएम जून तिमाही में पहली बार मुनाफे में आई। एक्सपर्ट्स ने इसके मुनाफे में आने की सराहना तो की, लेकिन वे कंपनी के मंथली ट्रांजेक्टिंग यूजर्स (MTU) और ग्रॉस मर्चेंडाइज वैल्यू (GMV) ग्रोथ के साथ-साथ कंज्यूमर बिजनेस को लेकर थोड़े चिंतित भी दिखे।
न्यूज रिपोर्ट्स के अनुसार जेफरीज के एनालिस्ट्स ने कहा कि पेटीएम का MTU और GMV ग्रोथ में पिछली तिमाही के मुकाबे बढ़ोतरी उत्साहजनक है, लेकिन अगली दो से तीन तिमाहियों में कंट्रीब्यूटिंग मार्जिन थोड़ा कम होकर स्टेबल हो जाएगा। सिटी ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट में लिखा है कि कमाई में यह बढ़ोतरी मुख्य रुप से इंक्रीमेंटल कॉस्ट एफिशिएंसी और नॉन-DLG कंट्रीब्यूशन प्रॉफिट के कारण हुई है।
Paytm इस समय अपने फाइनेंशियल सर्विस सेक्टर खासकर मर्चेंट लेंडिंग में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। कंपनी DLG (Default Loss Guarantee) मॉडल का इस्तेमाल कर रही है, जो कि एक रिस्क-शेयरिंग अरेंजमेंट है।
इसके तहत पेटीएम अपने लेंडिंग पार्टनर्स को संभावित नुकसान का कुछ हिस्सा खुद वहन करने की गारंटी देती है। इससे बैंक और NBFCs पेटीएम के जरिए अधिक लोन देने को तैयार होते हैं। हालांकि, इसमें जोखिम यह है कि अगर डिफॉल्ट की दर बहुत बढ़ गई, तो पेटीएम को खुद नुकसान उठाना पड़ सकता है।
सीएनबीसी-टीवी 18 के अनुसार सिटी के एनालिस्ट्स का कहना है कि पेटीएम का मर्चेंट बिजनेस अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, लेकिन कंज्यूमर बिजनेस अभी भी सुस्त बना हुआ है, हालांकि सुधार के संकेत दिख रहे हैं।
Macquarie जैसे कुछ एनालिस्ट्स को कंपनी के प्रदर्शन में आगे गिरावट की आशंका है, जबकि Bernstein का मानना है कि मुनाफा आगे भी जारी रह सकता है, लेकिन यह पूरी तरह से रेवेन्यू ग्रोथ पर निर्भर करेगा। कुल मिलाकर, पेटीएम ने मुनाफे की दिशा में एक मजबूत शुरुआत की है, लेकिन इसकी स्थिरता के लिए आगे का प्रदर्शन बेहद अहम होगा।
फिनटेक कंपनी Paytm ने जून 2025 को समाप्त तिमाही में ₹122.5 करोड़ का अपना पहला कंसोलिडेटेड नेट प्रॉफिट दर्ज किया, जो मुख्य रूप से कॉस्ट ऑप्टिमाइजेशन और पेमेंट रेवेन्यू में वृद्धि के कारण हुआ। पेटीएम ने एक साल पहले इसी अवधि में ₹840 करोड़ का शुद्ध घाटा दर्ज किया था।
तिमाही के दौरान कंपनी का ऑपरेटिंग रेवेन्यू सालाना 28% की बढ़त के साथ ₹1918 करोड़ हो गया। वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में यह ₹1,502 करोड़ था। यह वृद्धि ज्यादा सब्सक्रिप्शन मर्चेंट्स, बढ़े हुए GMV (ग्रॉस मर्चेंडाइज वैल्यू), और फाइनेंशियल सर्विसेज के डिस्ट्रीब्यूशन से हुई।
जून तिमाही में पेटीएम का EBITDA ₹72 करोड़ (मार्जिन 4 फीसदी) रहा। कंपनी ने कहा कि AI की मदद से कामकाज बेहतर हुआ और लागत नियंत्रण में रही। कंपनी के अन्य आय में भी बढ़ोतरी हुई।
वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में ग्रॉस मर्चेंडाइज वैल्यू (GMV) सालाना आधार पर 27 फीसदी बढ़कर ₹5.39 लाख करोड़ हो गई, जबकि पेमेंट प्रोसेसिंग मार्जिन 3bps मार्जिन से काफी ऊपर रहा। नेट पेमेंट रेवेन्यू ₹529 करोड़ रहा, जो पिछले साल से 38% ज़्यादा है। इसका कारण है बेहतर पेमेंट प्रोसेसिंग मार्जिन और अच्छी क्वालिटी के सब्सक्रिप्शन मर्चेंट्स की संख्या में बढ़ोतरी।
जून 2025 तक Paytm के पास 1.30 करोड़ मर्चेंट डिवाइस सब्सक्रिप्शन हैं। यह अब तक की सबसे ज्यादा है और इसमें पिछले साल से 21 लाख की बढ़ोतरी हुई है। यह बढ़त बेहतर डिवाइसेज और मजबूत सर्विस नेटवर्क की वजह से हुई है।
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