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3 min read | अपडेटेड December 22, 2025, 11:15 IST
सारांश
Infosys के ADR शुक्रवार को $30 के नए 52-वीक के हाई तक पहुंच गए थे। हालांकि बाद में ये $20.22 पर बंद हुए, जो $1.04 या 5.42% की बढ़त दिखाता है। इस दौरान ट्रेडिंग वॉल्यूम बेहद ज्यादा रही और शेयर में इतनी ज्यादा अस्थिरता रही कि कारोबार के दौरान दो बार ट्रेडिंग रोकनी पड़ी।
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Infosys share: कंपनी के ADR में शुक्रवार को न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज पर करीब 57% की असामान्य तेजी देखी गई थी।
Infosys के शेयरों में आज 22 दिसंबर को जमकर खरीदारी हो रही है। आज के कारोबार में BSE Sensex यह शेयर करीब 3 फीसदी उछलकर 1692 रुपये प्रति शेयर के भाव पर पहुंच गया। रिपोर्ट लिखे जाने के समय Infosys का शेयर 2.12 फीसदी बढ़कर 1675 रुपये के भाव पर ट्रेड कर रहा था। यह उछाल तब आया, जब कंपनी के अमेरिकन डिपॉजिटरी रिसीट्स (ADR) में शुक्रवार को न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज पर करीब 57% की असामान्य तेजी देखी गई थी। हालांकि, कंपनी ने बाद में साफ किया कि इस तेजी के पीछे कोई बड़ा या महत्वपूर्ण घटनाक्रम नहीं है।
इंफोसिस के ADR शुक्रवार को $30 के नए 52-वीक के हाई तक पहुंच गए थे। हालांकि बाद में ये $20.22 पर बंद हुए, जो $1.04 या 5.42% की बढ़त दिखाता है। इस दौरान ट्रेडिंग वॉल्यूम बेहद ज्यादा रही और शेयर में इतनी ज्यादा अस्थिरता रही कि कारोबार के दौरान दो बार ट्रेडिंग रोकनी पड़ी।
मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार ट्रेडर्स ने बताया कि यह उछाल किसी बुनियादी खबर की वजह से नहीं, बल्कि शॉर्ट स्क्वीज के कारण आया। बताया जा रहा है कि एक बड़े लेंडर ने बाजार में उधार दिए गए इंफोसिस के बड़ी संख्या में शेयर अचानक वापस मांग लिए। इससे जिन ट्रेडर्स ने शेयर गिरने की उम्मीद में शॉर्ट पोजीशन ली थी, उन्हें जल्दबाजी में बाजार से शेयर खरीदकर अपनी पोजीशन कवर करनी पड़ी, जिससे कीमत तेजी से बढ़ गई।
अमेरिकी बाजारों में शॉर्ट स्क्वीज आम बात है, खासकर उन शेयरों में जहां उधार लेकर बेचे गए शेयर ज्यादा होते हैं और फ्री फ्लोट कम होता है। शॉर्ट स्क्वीज तब होता है जब जो लोग किसी शेयर के दाम गिरने पर दांव लगाते हैं, उन्हें दाम बढ़ने पर जल्दी-जल्दी शेयर खरीदने पड़ते हैं। इससे कीमत तेजी से ऊपर जाती है, खासकर तब जब रोजाना ट्रेड होने वाले शेयर कम हों।
शनिवार को जारी आधिकारिक बयान में Infosys ने कहा कि ADR की कीमतों में आई तेजी किसी भी ऐसे “मैटेरियल इवेंट” की वजह से नहीं है, जिसकी जानकारी सेबी के नियमों के तहत देना जरूरी हो। कंपनी ने बताया कि 19 दिसंबर को NYSE पर भारी उतार-चढ़ाव के चलते दो बार वोलैटिलिटी ट्रेडिंग पॉज (LULD) लगाए गए, लेकिन इसके पीछे कोई बड़ा कारोबारी कारण नहीं था।
इंफोसिस ADR में आई तेजी का एक कारण भारतीय आईटी शेयरों में आई समग्र मजबूती भी माना जा रहा है। खास तौर पर, Accenture के पहली तिमाही के नतीजे वॉल स्ट्रीट के अनुमान से बेहतर रहे। कंपनी की कमाई में यह मजबूती आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित आईटी सर्विसेज की मजबूत मांग की वजह से आई।
Accenture के शेयर भी इसी दौरान नैस्डैक पर 0.85% बढ़कर $274.57 पर कारोबार करते दिखे। आमतौर पर एक्सेंचर के नतीजों को आईटी सेक्टर का संकेतक माना जाता है, इसलिए इसका असर भारतीय आईटी कंपनियों, खासकर इंफोसिस जैसे शेयरों पर भी पड़ा।
इस बीच, इंफोसिस ने अपनी फाइनेंशियल ईयर 2026 की गाइडेंस भी दोहराई। कंपनी को पूरे साल में लोकल करेंसी के हिसाब से 2% से 5% रेवेन्यू ग्रोथ की उम्मीद है। अमेरिकी फेडरल बिजनेस से होने वाले करीब 1% के असर को हटाकर देखें तो कंपनी 3% से 6% की कॉन्स्टेंट करेंसी ग्रोथ का अनुमान लगा रही है।
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