मार्केट न्यूज़
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3 min read | अपडेटेड November 09, 2025, 17:25 IST
सारांश
नवंबर के पहले 6 कारोबारी दिनों में विदेशी निवेशकों (FPIs) ने भारतीय शेयर बाजार से 12,569 करोड़ रुपये की भारी निकासी की है। हालांकि, उन्होंने कर्ज बाजार (Debt Market) में 3,165 करोड़ रुपये का निवेश भी किया।

भारतीय शेयर बाजार से विदेशी निवेशकों ने फिर से पैसा निकालना शुरू कर दिया है।
भारतीय शेयर बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) की बिकवाली का सिलसिला नवंबर महीने में भी थमता नहीं दिख रहा है। ग्लोबल संकेतों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से जुड़े शेयरों में निवेश की होड़ के बीच, विदेशी निवेशकों ने नवंबर के पहले 6 कारोबारी दिनों में ही 12,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के शेयर बेच डाले हैं। यह लगातार तीसरा महीना है जब FPIs भारतीय बाजार में शुद्ध बिकवाल बने हुए हैं। हालांकि अक्तूबर महीने के आखिरी हफ्ते में विदेशी निवेशकों ने हल्की खरीदारी की थी तो बाजार को एक सपोर्ट मिला था। अब फिर से बिकवाली शुरू कर दी है।
डिपॉजिटरी के पास मौजूद ताजा आंकड़ों के मुताबिक, FPIs ने 1 से 8 नवंबर के बीच भारतीय शेयर बाजारों (इक्विटी) से शुद्ध रूप से 12,569 करोड़ रुपये की निकासी की है। यह बाजार के लिए एक बड़ा झटका है। हालांकि, इसी अवधि के दौरान उन्होंने कर्ज बाजार (Debt Market) में थोड़ी दिलचस्पी दिखाई और 3,165 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया। अगर इक्विटी और डेट दोनों सेगमेंट को मिला दें, तो भी FPIs ने कुल मिलाकर 9,438 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी ही की है।
बाजार जानकारों का मानना है कि इस लगातार बिकवाली के पीछे कई ग्लोबल कारण जिम्मेदार हैं। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार के मुताबिक, FPIs इस समय भारत जैसे 'महंगे' (ओवर-वैल्यूड) बाजारों में बिकवाली कर रहे हैं। वहीं, वे चीन और दक्षिण कोरिया (खासकर हांगकांग) जैसे 'सस्ते' (अंडर-वैल्यूड) बाजारों में खरीदारी का रुख अपना रहे हैं।
विजयकुमार ने एक और बड़ी वजह की तरफ इशारा किया है। उन्होंने कहा कि FPIs का पैसा उन बाजारों की तरफ जा रहा है जहां AI से जुड़ी कंपनियों के शेयर मौजूद हैं। इस समय अमेरिका, दक्षिण कोरिया और ताइवान के बाजारों में चिप बनाने वाली और AI से जुड़ी दूसरी कंपनियों में जमकर निवेश हो रहा है। माना जा रहा है कि भारत में इस सेक्टर में ज्यादा आकर्षक मौके नहीं होने के कारण FPIs यहां से पैसा निकालकर उन बाजारों में लगा रहे हैं।
कोटक सिक्योरिटीज के श्रीकांत चौहान ने कहा कि अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी भी FPIs की बिकवाली की एक बड़ी वजह बनी हुई है। जब अमेरिका में ही सुरक्षित निवेश (बॉन्ड) पर ज्यादा रिटर्न मिलता है, तो निवेशक भारत जैसे उभरते बाजारों से पैसा निकालने लगते हैं। इसके अलावा, इजरायल-हमास युद्ध जैसे ग्लोबल भू-राजनीतिक तनाव, कच्चे तेल की कीमतों में लगातार हो रहा उतार-चढ़ाव और ग्लोबल इकोनॉमी की ग्रोथ को लेकर चिंताएं भी बाजार का मूड बिगाड़ रही हैं।
यह लगातार तीसरा महीना है जब FPIs ने भारतीय इक्विटी बाजार से पैसा निकाला है। नवंबर से पहले, अक्टूबर में FPIs ने 24,548 करोड़ रुपये और सितंबर में 14,767 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की थी। यह बिकवाली का दौर अगस्त के बाद शुरू हुआ। इससे पहले, FPIs ने मार्च से अगस्त तक लगातार भारतीय बाजारों में जमकर पैसा लगाया था। आंकड़ों के अनुसार, इस बिकवाली के बावजूद 2023 में अब तक FPIs ने शेयरों में 83,164 करोड़ रुपये और कर्ज बाजार में 33,338 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है।
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