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  1. सितंबर में FIIs ने बेचे ₹23,885 करोड़ के शेयर, और इधर एक हफ्ते में ₹74,573 करोड़ बढ़ गया बाजार का कुल मार्केट कैप

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सितंबर में FIIs ने बेचे ₹23,885 करोड़ के शेयर, और इधर एक हफ्ते में ₹74,573 करोड़ बढ़ गया बाजार का कुल मार्केट कैप

Upstox

2 min read | अपडेटेड October 05, 2025, 16:20 IST

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सारांश

पिछले महीने एफपीआई ने 23,885 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, बावजूद इसके बाजार का कुल मार्केट कैप पिछले हफ्ते में 74,573 करोड़ रुपये बढ़ गया। एचडीएफसी बैंक, एलआईसी, एसबीआई और एचयूएल जैसी कंपनियों ने बढ़त दर्ज की, जबकि रिलायंस, एयरटेल और इंफोसिस का वैल्यूएशन घटा।

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Indian Stock Market का हाल क्या कहता है?

पिछले महीने भारतीय शेयर बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की भारी बिकवाली देखने को मिली। सितंबर में एफपीआई ने भारतीय इक्विटी से 23,885 करोड़ रुपये की निकासी की। यह लगातार तीसरा महीना है जब विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से पैसा निकाला। अगस्त में उन्होंने 34,990 करोड़ रुपये और जुलाई में 17,700 करोड़ रुपये की बिकवाली की थी। इसके बावजूद, बाजार ने मजबूती दिखाई और बीएसई सेंसेक्स 780 अंक यानी 0.97% चढ़कर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 239 अंक या 0.97% मजबूत हुआ।

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टॉप 10 कंपनियों का मार्केट कैप ट्रेंड

देश की शीर्ष 10 कंपनियों में से 7 कंपनियों का संयुक्त मार्केट कैप पिछले सप्ताह ₹74,573.63 करोड़ बढ़ गया। इसमें सबसे ज्यादा फायदा एचडीएफसी बैंक को हुआ, जिसका मार्केट कैप ₹30,106.28 करोड़ बढ़कर 14,81,889.57 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। एलआईसी को भी बड़ा लाभ मिला और उसका वैल्यूएशन ₹20,587.87 करोड़ बढ़कर 5,72,507.17 करोड़ रुपये हो गया। भारतीय स्टेट बैंक का मार्केट कैप ₹9,276.77 करोड़ बढ़ा और यह 8,00,340.70 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जबकि हिंदुस्तान यूनिलीवर का वैल्यूएशन ₹7,859.38 करोड़ बढ़कर 5,97,806.50 करोड़ रुपये हो गया।

रिलायंस, एयरटेल और इंफोसिस को झटका

हालांकि, सभी कंपनियों को लाभ नहीं हुआ। रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैप ₹19,351.44 करोड़ घटकर 18,45,084.98 करोड़ रुपये रह गया। भारती एयरटेल का वैल्यूएशन भी ₹12,031.45 करोड़ घटकर 10,80,891.08 करोड़ रुपये पर आ गया। वहीं, आईटी सेक्टर की दिग्गज कंपनी इंफोसिस का मार्केट कैप ₹850.32 करोड़ घटकर 6,00,954.93 करोड़ रुपये हो गया।

बिकवाली के कारण क्या रहे?

विशेषज्ञों का मानना है कि एफपीआई की बिकवाली के पीछे कई वैश्विक और घरेलू कारण रहे। अमेरिका द्वारा भारत पर 50% शुल्क लगाना, एच-1बी वीजा पर अतिरिक्त एक लाख अमेरिकी डॉलर की फीस, और रुपये का रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिरना प्रमुख वजहें रहीं। इसके अलावा भारतीय इक्विटी का ऊंचा वैल्यूएशन विदेशी निवेशकों को दूसरी एशियाई बाजारों की ओर खींच रहा है।

मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि वर्तमान बिकवाली अस्थायी हो सकती है और हालात धीरे-धीरे भारत के पक्ष में हो सकते हैं। वहीं, एंजेल वन के वरिष्ठ विश्लेषक वकारजावेद खान का मानना है कि मौजूदा वैल्यूएशन अब ज्यादा आकर्षक हो गए हैं और जीएसटी दरों में कटौती व वृद्धि समर्थक नीतियां विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी को फिर से जगा सकती हैं।

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लेखकों के बारे में

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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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