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  1. 'सेलर्स' से 'बायर्स' बने FIIs, 4 प्वाइंट में समझिए भारतीय बाजार में क्यों लौटा विदेशी पैसा?

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'सेलर्स' से 'बायर्स' बने FIIs, 4 प्वाइंट में समझिए भारतीय बाजार में क्यों लौटा विदेशी पैसा?

विकास तिवारी

3 min read | अपडेटेड October 28, 2025, 17:21 IST

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सारांश

3 महीने की लगातार बिकवाली के बाद विदेशी निवेशकों (FIIs) ने अक्टूबर में शानदार वापसी की है। FIIs ने इस महीने अब तक भारतीय शेयर बाजार में करीब 8,000 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है। DIIs का भी उन्हें पूरा साथ मिला है।

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अक्टूबर में विदेशी निवेशकों की खरीदारी से भारतीय शेयर बाजार को मिला बड़ा सहारा।

भारतीय शेयर बाजार के लिए अक्टूबर का महीना एक बड़ा पॉजिटिव बदलाव लेकर आया है। पिछले तीन महीनों से लगातार बिकवाली कर रहे विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) दिवाली के इस महीने में 'सेलर्स' से 'बायर्स' बन गए हैं। FIIs ने जुलाई से सितंबर के बीच 76,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की भारी बिकवाली की थी, लेकिन अक्टूबर में उनका मूड पूरी तरह बदल गया है।

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आंकड़ों के मुताबिक, FIIs ने अक्टूबर महीने में (27 अक्टूबर तक) कैश मार्केट में करीब 8,000 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश (Net Investment) किया है। यह वापसी बाजार के लिए एक बड़ा सहारा है, जिसने सेंसेक्स और निफ्टी को अपने ऑल-टाइम हाई के करीब पहुंचाने में मदद की है।

विदेशी निवेशकों का बदला दिल, क्यों लौटे?

बाजार के जानकारों का मानना है कि FIIs के इस यू-टर्न के पीछे एक नहीं, बल्कि कई बड़ी वजहें काम कर रही हैं।

1. कंपनियों के दमदार नतीजे: इस वापसी का सबसे बड़ा कारण है कंपनियों के दूसरी तिमाही (Q2) के नतीजे। अब तक आए रिजल्ट्स, खासकर बैंकिंग और आईटी सेक्टर (HCL Tech) के नतीजे उम्मीद से बेहतर रहे हैं। जब कंपनियों का मुनाफा बढ़ता है, तो विदेशी निवेशकों का भरोसा भी बढ़ता है कि उनका पैसा सही जगह लग रहा है।
2. भारत-अमेरिका ट्रेड डील की उम्मीद: बाजार में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि भारत और अमेरिका के बीच एक बड़ी ट्रेड डील (Trade Deal) फाइनल हो सकती है। अगर ऐसा होता है, तो इससे भारत के एक्सपोर्ट को बड़ा फायदा मिलेगा और कई सेक्टर्स की ग्रोथ तेज होगी। इस पॉजिटिव उम्मीद ने FIIs को निवेश के लिए आकर्षित किया है।
3. फेस्टिव सीजन की बंपर बिक्री: इस साल दिवाली और फेस्टिव सीजन में हुई बंपर बिक्री ने यह साफ कर दिया है कि भारत की घरेलू खपत (Domestic Consumption) बहुत मजबूत है। यह मजबूती आने वाले समय में कंपनियों की कमाई और बढ़ाएगी, जिसे देखते हुए FIIs ने बाजार में पैसा लगाना शुरू कर दिया है।
4. ग्लोबल संकेतों में सुधार: अमेरिका में महंगाई के आंकड़े कुछ नरम आए हैं, जिससे यह उम्मीद बंधी है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व शायद ब्याज दरें घटाने पर विचार कर सकता है। जब अमेरिका में ब्याज दरें घटती हैं, तो FIIs भारत जैसे उभरते बाजारों में ज्यादा पैसा लगाते हैं।

DIIs का भी मिला पूरा साथ

दिलचस्प बात यह है कि जब FIIs तीन महीने तक बिकवाली कर रहे थे, तब घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) यानी भारतीय म्यूचुअल फंड और बीमा कंपनियों ने बाजार को गिरने नहीं दिया। DIIs ने उस दौरान डटकर खरीदारी की। अब अक्टूबर में जब FIIs ने खरीदारी शुरू की है, तब DIIs ने भी उनका साथ दिया है और वे भी शुद्ध खरीदार बने हुए हैं। FIIs और DIIs की इस दोहरी खरीदारी ने बाजार की तेजी को डबल सपोर्ट दिया है।

(डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें।)
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लेखकों के बारे में

विकास तिवारी
Vikash Tiwary is a finance journalist with 6+ years of newsroom experience. He is currently growing Upstox Hindi, crafting data-driven stories on stocks, personal finance, mutual funds, and global markets, while exploring how AI can simplify finance. His work spans Zee Business, TV9 Bharatvarsh, ABP News, India TV, and Inshorts. He also holds NISM certification.

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